(रघुवीर सहाय और मंगलेश डबराल की पुण्यतिथि को प्रतिरोध दिवस के तौर पर मनाया गया। इस अवसर पर प्रेस क्लब में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें तमाम नामचीन साहित्यकारों ने हिस्सा लिया। इस मौके पर एक प्रतिरोध प्रस्ताव भी पारित किया गया। पेश है पूरा प्रस्ताव- संपादक)
हिंदी के यशस्वी कवि पत्रकार रघुवीर सहाय और मंगलेश डबराल की स्मृति में आयोजित यह सभा पहले तो कोविड में हमसे बिछड़ने वाले लेखकों और देश में शहीद होने वाले किसानों के प्रति श्रृद्धांजलि अर्पित करती है।
यह सभा देश में दक्षिणपंथी साम्प्रदायिक शक्तियों और लोकतंत्र की आड़ में फासीवादी ताकतों के उभार तथा सत्ता तथा क्रोनी कैप्टलिजम के गठबंधन पर गहरी चिंता व्यक्त करती है और पत्रकारों को संसद में जाने से रोकने का कड़ा विरोध करती है तथा लेखकों कलाकारों पत्रकारों से अपील करती है कि देश में नित्य गढ़े जा रहे झूठ का पर्दाफाश करें तथा सत्य और न्याय के पक्ष में खड़ें हों एवम संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करने के लिए आगे आएं।
यह सभा करीब एक साल चले किसान आंदोलन सीए आंदोलन और देश में चल रहे आदिवासियों, दलितों तथा स्त्रियों के संघर्ष का समर्थन करती है और एक धर्मनिर्पेक्ष शोषण रहित समता मूलक न्याय प्रिय समाज बनाने की परिकल्पना में विश्वास रखती है।
यह सभा देशभर की लघु पत्रिकाओं और प्रगतिशील जनवादी मूल्यों में यकीन करनेवाली संस्थाओं से अपेक्षा करती है कि आनेवाले वर्षों में वह वर्तमान चुनौतियों के मद्दे नज़र प्रतिरोध के साहित्य पर ध्यान केन्द्रित करते हुए विशेषांक निकालें और कार्यक्रम आयोजित करें।
सभा यह भी अपील करती है कि अगले वर्ष प्रेमचन्द जयंती 31जुलाई से लेकर 31 जुलाई 2023 तक हम प्रतिरोध वर्ष मनाएं ।इस दौरान अधिक से अधिक प्रतिरोध साहित्य लिखा जाये ,संगोष्ठियों को आयोजित किया जाए, रचना पाठ किये जाएँ तथा किताबों का प्रकाशन हो।
सभा चाहती है कि हिंदी के लेखकगण साहित्य की प्रगतिशील परम्परा को आगे बढ़ाते हुए आज़ादी के दौरान लिखने वाले उन क्रांतिकारियों लेखकों की स्मृति में कार्यक्रम करें और ऐसे साहित्य के प्रचार प्रसार पर ध्यान दे और सोशल मीडिया पर भी उसका प्रचार प्रसार भी करें।
यह सभा यह भी प्रस्तावित करती है कि लेखकों के प्रतिरोध सम्मेलन दिल्ली, भोपाल, लखनऊ, पटना चंडीगढ़ ,जयपुर , कोलकोता, मुम्बई बनारस ,इलाहाबाद जैसे तमाम शहरों में हों। प्रेमचन्द निराला मुक्तिबोध महादेवी ,ओमप्रकाश वाल्मीकि आदि की स्मृति में जब समारोह हो तो उसे प्रतिरोध दिवस केरूप में मनाया जाए।
हम हिंदी के लेखकगण: –ज्ञानरंजन अशोक वाजपेयी , प्रयाग शुक्ल, इब्बार रब्बी, नरेश सक्सेना , मृदुला गर्ग असग़र वजाहत कुमार प्रशांत, गिरधर राठी, सुधा अरोड़ा, पंकज बिष्ट, रामशरण जोशी, विभूति नारायण राय, विष्णु नागर, विजय कुमार विनोद भारद्वाज, असद ज़ैदी वीरेंद्र यादव, अशोक भौमिक , विनोद दास,कौशल किशोर, गोपेश्वर सिंह अजेय कुमार, लीलाधर मंडलोई, अशोक कुमार , अरविंद मोहन, उर्मिलेश, अनूप सेठी मदन कश्यप, देवी प्रसाद मिश्र, कुमार अम्बुज, मिथिलेश श्रीवास्तव,हरिमोहन मिश्र , गोपाल प्रधान, सुभाष राय, प्रेमपाल शर्मा विनोद तिवारी , रवींद्र त्रिपाठी , बलि सिंह,अलका सरावगी, मधु कांकरिया ,सुधा सिंह, अल्पना मिश्र ,आशुतोष कुमार, हीरालाल राजस्थानी ,अनीता भारती सूर्यनारायण, राजेश कुमार अरविंद कुमार, अरविंद गुप्ता , पवन करण , मोहन कुमार डहेरिया, प्रियदर्शन, संजय कुंदन ,पीयूष दईया, मृत्युंजय ,मृत्युंजय पांडेय, नवनीत पांडेय, रीता दास राम ,संवेदना रावत वन्दना गुप्ता, संध्या, निवेदिता ,बाबुषा कोहली, रश्मि भारद्वाज ,अणुशक्ति सिंह ,संध्या कुलकर्णी ,जोशना बनर्जी आडवाणी आदि —
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