प्रियंका गांधी की ललकार: जनता के पक्ष में बोलने की हर कीमत चुकाने को तैयार हैं राहुल गांधी!

नई दिल्ली। गुजरात हाईकोर्ट ने राहुल गांधी को मोदी सरनेम मानहानि मामले में राहुल गांधी की सजा पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका खारिज कर दिया है। गुजरात हाईकोर्ट के फैसले के बाद प्रियंका गांधी ने कहा कि राहुल गांधी जनता के हक में बोलते रहेंगे। इसके लिए वे हर कीमत चुकाने को तैयार हैं और तमाम हमलों व अहंकारी भाजपा सरकार के हथकंडों के बावजूद एक सच्चे देशप्रेमी की तरह जनता से जुड़े सवालों को उठाने से पीछे नहीं हटे हैं। जनता का दर्द बांटने के कर्तव्य पथ पर डटे हुए हैं।

प्रियंका गांधी ने रामधारी सिंह ‘दिनकर’ के प्रसिद्ध ‘समर शेष है’ कविता के एक अंश को ट्वीट किया:

“समर शेष है, जनगंगा को खुल कर लहराने दो
शिखरों को डूबने और मुकुटों को बह जाने दो
पथरीली ऊँची जमीन है? तो उसको तोड़ेंगे
समतल पीटे बिना समर की भूमि नहीं छोड़ेंगे
समर शेष है, चलो ज्योतियों के बरसाते तीर
खण्ड-खण्ड हो गिरे विषमता की काली जंजीर”

प्रियंका गांधी ने कहा कि ”राहुल गांधी इस अहंकारी सत्ता के सामने सत्य और जनता के हितों की लड़ाई लड़ रहे हैं। अहंकारी सत्ता चाहती है कि जनता के हितों के सवाल न उठें, अहंकारी सत्ता चाहती है कि देश के लोगों की जिंदगियों को बेहतर बनाने वाले सवाल न उठें, अहंकारी सत्ता चाहती है कि उनसे महंगाई पर सवाल न पूछे जाएं, युवाओं के रोजगार पर कोई बात न हो, किसानों की भलाई की आवाज न उठे, महिलाओं के हक की बात न हो, श्रमिकों के सम्मान के सवाल को न उठाया जाए।”

उन्होंने कहा कि अहंकारी सत्ता सच को दबाने के लिए हर हथकंडे आजमा रही है, जनता के हितों से जुड़े सवालों से भटकाने के लिए साम, दाम, दंड, भेद, छल, कपट: सब अपना रही है। लेकिन, सत्य, सत्याग्रह, जनता की ताकत के सामने न तो सत्ता का अहंकार ज्यादा दिन टिकेगा और न ही सच्चाई पर झूठ का परदा। राहुल गांधी जी ने इस अहंकारी सत्ता के सामने जनता के हितों से जुड़े सवालों की ज्योति जलाकर रखी है। उन्होंने कहा कि अंत में सत्य की जीत होगी। जनता की आवाज जीतेगी।

मोदी सरनेम मानहानि मामले में गुजरात हाईकोर्ट का निर्णय

राहुल गांधी को मोदी सरनेम मानहानि मामले में गुजरात हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली है। अदालत ने शुक्रवार को उनकी उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें आपराधिक मानहानि मामले में उनकी सजा पर रोक लगाने की मांग की गई थी। इस मामले में राहुल गांधी को दो साल की सजा सुनाई गई है।

दरअसल, 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान राहुल गांधी कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी सभा में अपने भाषण में मोदी सरकार के भ्रष्टाचार पर बोलते हुए सवालिया लहजे में पूछा था कि “सभी चोरों के उपनाम मोदी क्यों होते हैं?”

राहुला गांधी के भाषण को आधार बनाते हुए भाजपा नेता और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला दायर किया था। जिस मामले में 23 मार्च 2023 को सूरत के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने राहुल गांधी को दोषी ठहराया और 2 साल कैद की सजा सुनाई थी, जिसके बाद उन्हें लोकसभा के सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया।

राहुल गांधी ने 3 अप्रैल को अपनी दोषसिद्धि पर आपत्ति जताते हुए सूरत सत्र न्यायालय का रुख किया और अपनी दोषसिद्धि पर रोक लगाने की मांग की, जिसे 20 अप्रैल को खारिज कर दिया गया। हालांकि सूरत सत्र न्यायालय ने 3 अप्रैल को राहुल गांधी को उनकी अपील के निपटारे तक जमानत दे दी थी।

पढ़ें रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की ‘समर शेष है’ कविता:

ढीली करो धनुष की डोरी, तरकस का कस खोलो ,
किसने कहा, युद्ध की वेला चली गयी, शांति से बोलो?
किसने कहा, और मत वेधो ह्रदय वह्रि के शर से,
भरो भुवन का अंग कुंकुम से, कुसुम से, केसर से?

कुंकुम? लेपूं किसे? सुनाऊं किसको कोमल गान?
तड़प रहा आँखों के आगे भूखा हिन्दुस्तान।

फूलों के रंगीन लहर पर ओ उतरनेवाले !
ओ रेशमी नगर के वासी! ओ छवि के मतवाले!
सकल देश में हालाहल है, दिल्ली में हाला है,
दिल्ली में रौशनी, शेष भारत में अंधियाला है।

मखमल के पर्दों के बाहर, फूलों के उस पार,
ज्यों का त्यों है खड़ा, आज भी मरघट-सा संसार।

वह संसार जहां तक पहुंची अब तक नहीं किरण है,
जहां क्षितिज है शून्य, अभी तक अंबर तिमिर वरण है।
देख जहाँ का दृश्य आज भी अन्त:स्थल हिलता है,
माँ को लज्ज वसन और शिशु को न क्षीर मिलता है।

पूज रहा है जहां चकित हो जन-जन देख अकाज
सात वर्ष हो गये राह में, अटका कहां स्वराज?

अटका कहां स्वराज? बोल दिल्ली! तू क्या कहती है?
तू रानी बन गयी वेदना जनता क्यों सहती है?
सबके भाग्य दबा रखे हैं किसने अपने कर में?
उतरी थी जो विभा, हुई बंदिनी बता किस घर में।

समर शेष है, यह प्रकाश बंदीगृह से छूटेगा
और नहीं तो तुझ पर पापिनी! महावज्र टूटेगा।

समर शेष है, उस स्वराज को सत्य बनाना होगा,
जिसका है ये न्यास उसे सत्वर पहुंचाना होगा।
धारा के मग में अनेक जो पर्वत खडे हुए हैं,
गंगा का पथ रोक इन्द्र के गज जो अडे हुए हैं।

कह दो उनसे झुके अगर तो जग मे यश पाएंगे,
अड़े रहे अगर तो ऐरावत पत्तों से बह जाऐंगे।

समर शेष है, जनगंगा को खुल कर लहराने दो,
शिखरों को डूबने और मुकुटों को बह जाने दो।
पथरीली ऊंची जमीन है? तो उसको तोडेंगे,
समतल पीटे बिना समर कि भूमि नहीं छोड़ेंगे।

समर शेष है, चलो ज्योतियों के बरसाते तीर,
खण्ड-खण्ड हो गिरे विषमता की काली जंजीर।

समर शेष है, अभी मनुज भक्षी हुंकार रहे हैं,
गांधी का पी रुधिर जवाहर पर फुंकार रहे हैं।
समर शेष है, अहंकार इनका हरना बाकी है,
वृक को दंतहीन, अहि को निर्विष करना बाकी है।

समर शेष है, शपथ धर्म की लाना है वह काल,
विचरें अभय देश में गांधी और जवाहर लाल।

तिमिर पुत्र ये दस्यु कहीं कोई दुष्काण्ड रचें ना,
सावधान हो खडी देश भर में गांधी की सेना।
बलि देकर भी बलि! स्नेह का यह मृदु व्रत साधो रे,
मंदिर औ’ मस्जिद दोनों पर एक तार बांधो रे।

समर शेष है, नहीं पाप का भागी केवल व्याध,
जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा उनके भी अपराध।

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