रांची। झारखंड में सरना झंडा को जलाए जाने और प्रशासन द्वारा दोषियों पर कोई कार्रवाई ने करने पर आदिवासी संगठनों ने रांची बंद का आह्वान किया था। आदिवासी संगठनों के आह्वान पर आज यानि 8 अप्रैल सुबह से ही रांची बंद है। बंद का समर्थन करने वालों में झारखंड पाहन महासंघ, केंद्रीय सरना समिति, राजी सरना प्रार्थना महासभा सहित कई आदिवासी संगठन शामिल हैं।
दरअसल, आदिवासियों के त्योहार सरहुल उत्सव के दूसरे दिन 25 मार्च को रांची के लोअर करम टोली इलाके में आदिवासियों का प्रतीकात्मक झंडा सरना झंडा को असामाजिक तत्वों ने जला दिया गया था और इसकी शिकायत के बाद भी प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की। आदिवासी संगठनों का कहना है कि लोअर करम टोली में ही सरना झंडा को नहीं जलाया गया बल्कि इस तरह की और भी घटनाएं घटित होने का दावा किया जा रहा है। संगठनों का आरोप है कि नागरी और ठाकुरगांव इलाकों में एक आदिवासी धार्मिक ध्वज को फेंक दिया गया। इन मामलों में भी कोई कार्रवाई नहीं की गई, हालांकि आदिवासी संगठनों ने अपना विरोध दर्ज कराया था। उन्होंने कहा कि चूंकि प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की, इसलिए हम रांची बंद का आह्वान करने को मजबूर हुए हैं।
बंद का असर यह है कि राजधानी के कई चौक और चौराहों पर केवल आदिवासी समुदाय व संगठन के लोग ही नजर आ रहे हैं। उन्होंने रोड जाम कर आवागमन बाधित कर दिया है।
रांची में सुबह के वक्त खुली दुकानों को आदिवासी संगठनों ने बंद करा दिया। बिरसा चौक बायपास रोड के पास आदिवासी संगठन के लोगों ने भारी संख्या में आकर जाम कर दिया है, जिस वजह से आम लोगों को काफी परेशानी हो रही है। इससे पहले शुक्रवार शाम को ही आदिवासी संगठनों ने मशाल जुलूस निकालकर बंद की घोषणा की थी। जिसको लेकर प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम कर लिए हैं। इसको लेकर रांची पुलिस की तरफ से 40 मजिस्ट्रेट और 800 पुलिसकर्मियों को पूरे शहर में तैनात किया गया है। इतना ही नहीं प्रोफेशनल फोटोग्राफरों को भी मौके पर तैनात कर उनसे वीडियोग्राफी कराई जा रही है। जिससे उपद्रव करने वालों से बाद में निपटा जा सके।

केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष फूलचंद तिर्की ने कहा है कि आदिवासियों के सरना झंडे के अपमान की एक से खबर आती रही और पुलिस-प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा रहा। चूंकि प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की, इसलिए हम रांची बंद बुलाने को मजबूर हुए हैं।
बता दें कि घटना के बाद गीताश्री उरांव, अजय तिर्की, फूलचंद तिर्की, बबलू मुंडा, प्रेम शाही मुंडा, लक्ष्मीनारायण मुंडा आदि ने एसएसपी से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा और सभी दोषियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई करने की मांग की थी। लेकिन प्रशासन निष्क्रिय रहा।
फूलचंद तिर्की ने कहा कि आदिवासी अपनी परंपरा व संस्कृति के प्रति जागरूक हो चुके हैं एवं अपने सम्मान की रक्षा के लिए आर-पार की लड़ाई लड़ने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि यह बंद ऐतिहासिक होगा। लेकिन इस दौरान एंबुलेंस, स्कूल बसों और डेयरी एवं दवा की दुकानों को छूट दी गई है।
झारखंड पाहन संघ के अध्यक्ष जगदीश पाहन ने कहा कि सरना झंडा को अपमानित किया जाना निंदनीय है और इसे किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने मांग की कि असामाजिक तत्वों की गिरफ्तारी जल्द से जल्द हो।

बंद को देखते हुए रांची के अनेक शिक्षण संस्थानों ने अपने अपने संस्थान को बंद रहने की घोषणा की है। इनमें रांची के डीएवी ग्रुप के सभी स्कूल, ऑक्सफोर्ड, केरालि, फिरायालाल पब्लिक स्कूल आदि शामिल हैं। वहीं डीपीएस, जेवीएम सहित कई स्कूल माह के दूसरे शनिवार को बंद रहते हैं।
माना जाता है कि सरना धर्म, भारतीय धर्म परम्परा का ही एक आदि धर्म और जीवनपद्धति है जिसका अनुसरण छोटा नागपुर के पठारी भागों के बहुत से आदिवासी करते हैं। सरना धर्म आदिवासियों में मुण्डा, हो, संथाल, भूमिज, उरांव, गोंड, भील इत्यादि खास तौर पर इसको मानते हैं। सरना धर्म में पेड़, पौधे, पहाड़ इत्यादि प्राकृतिक सम्पदा की पूजा की जाती है। एक तरह से सरना छोटा नागपुर पठार क्षेत्र में पवित्र उपवन हैं और झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा में आदिवासियों द्वारा इनकी पूजा की जाती है।

बता दें कि असामाजिक तत्वों द्वारा सरना झंडे को उखाड़ कर जलाये जाने के विरोध में झारखंड पाहन महासंघ ने सात अप्रैल को मशाल जुलूस निकाला और आठ अप्रैल को रांची बंद का आह्वान किया।
आदिवासी समाज के पाहन- पुरोहितों ने 7 अप्रैल को करम टोली, धुमकुड़िया भवन में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि आदिवासी समाज अपने धर्म, संस्कृति, सभ्यता और परंपरा की रक्षा करना जानता है।
इसके पहले 6 अप्रैल को आदिवासी संगठनों ने एक बैठक की, जिसकी अध्यक्षता फूलचंद तिर्की ने की। बैठक में सरना झंडा को अपमानित कर आदिवासियों की भावनाओं का ठेस पहुंचाने के विषयों पर चर्चा हुई। फूलचंद तिर्की ने बैठक में कहा कि कहीं सरना झंडा को उखाड़ कर फेंक दिया जा रहा है तो कहीं जला दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पहला मामला लोअर करम टोली का है तो दूसरा- नगड़ी, तीसरा- ठाकुर गांव और चौथा मामला हजारीबाग का है। मौके पर भुनेश्वर लोहरा, प्रमोद एक्का, विनय उरांव, पंचम तिर्की, बाना मुंडा, विमल कच्छप समेत कई लोग उपस्थित थे।
इधर बंद को देखते हुए प्रशासन द्वारा शहर भर में पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। इनमें रैपिड एक्सन पुलिस, क्यूआरटी, इको व जिला पुलिस हथियार और लाठी पार्टी को लगाया गया है। वहीं, बज्रवाहन, रंगीन पानी का टैंकर, आंसू गैस की टीम को भी लगाया गया है।

डीसी राहुल कुमार सिन्हा और एसएसपी कौशल किशोर ने सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए 40 मजिस्ट्रेट और 800 पुलिसकर्मियों को विभिन्न स्थानों पर तैनात किया है। बाइक गश्ती दल के 58 सदस्यों को तैनात किया गया है, जो विभिन्न रूटों पर लगातार गश्त करके उपद्रव फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे। बंद समर्थकों द्वारा कहीं भी चल-अचल संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया जाता है, तो वीडियो रिकॉर्डिंग करते हुए उन पर त्वरित कार्रवाई करने के लिए कहा गया है।
बंद को देखते हुए निषेधाज्ञा लागू कर दी गयी है। उपायुक्त और एसएसपी ने संयुक्त आदेश जारी कर स्पष्ट कर दिया है कि सीएम आवास और सचिवालय के 200 मीटर की परिधि में जुलूस, रैली, प्रदर्शन व घेराव नहीं किया जा सकता है। उल्लंघन करनेवालों पर कार्रवाई की जायेगी। निषेधाज्ञा सुबह 8:00 बजे से रात 11:30 बजे तक लागू रहेगी।
( वरिष्ठ पत्रकार विशद कुमार की रिपोर्ट।)
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