पटना।राजनीतिक दलों तथा जनप्रतिनिधियों को सूचना काअधिकार के दायरे में लाने के मामले में एक दिलचस्प मोड़ आया है। भाकपा-माले के विधायक सुदामा प्रसाद ने अपने विकास फंड की पूरी सूचना सार्वजनिक करने का निर्देश दिया है। उन्होंने पूरी सूचना वेबसाइट पर जारी करके समय-समय पर अद्यतन करने का भी निर्देश दियाहै। बिहार के तरारी विधानसभा क्षेत्र के विधायक सुदामा प्रसाद ने भोजपुर के जिलाधिकारी को इस आशय का पत्र सौंपा है। सूचना का अधिकार के क्षेत्र में सक्रिय संगठनों ने इसे स्वागत योग्य कदम बताते हुए कहा है कि इससे राजनीतिक दलों को पारदर्शी बनाने में मदद मिलेगी। सांसद और विधायक फंड की सूचना सार्वजनिक होने से उन क्षेत्रों में भ्रष्टाचार पर अंकुश लग सकता है,जहां ऐसे कामों में भारी लूटखसोट की शिकायत आती रहती है।
केंद्रीय सूचना आयोग का अंतरिम आदेश
भाकपा-माले विधायक सुदामा प्रसाद ने यह कदम केंद्रीय सूचना आयोग के अंतरिम आदेश के आलोक में उठाया है। उल्लेखनीय है कि केंद्रीय सूचना आयोग ने 18 अगस्त को एक अंतरिम फैसले में यह महत्वपूर्ण निर्देश दिया थ। सूचना का अधिकार के अंतर्गत एक नागरिक विष्णुदेव भंडारी ने भारत सरकार के सांख्यिकी एवं योजना विभाग से मधुबनी (बिहार) में भाजपा सांसद हुकुमदेव नारायण यादव के सांसद मद के कामों की सूचना मांगी थी। यह सूचना नहीं मिलने पर मामला केंद्रीय सूचना आयोग पहुंचा। केंद्रीय सूचना आयुक्त प्रो. एम. श्रीधर आचार्युलु ने इस पर अंतरिम आदेश में लोकसभा में भाजपा के मुख्य सचेतक अथवा नेता से पूछा था कि क्यों न भाजपा संसदीय दल को ‘लोक प्राधिकार‘ का दर्जा दे दिया जाए। आयोग ने भाजपा के साथ ही अन्य सभी दलों के सांसद और विधायकों को अपने क्षेत्रीय विकास मद के सभी काम के चयन के मापदंड, चयनित कायों की सूची तथा प्रगति की सूचना वेबसाइट पर देने का निर्देश दिया था।
सीआईसी ने मांगी थी इस पर राजनीतिक दलों से राय
केंद्रीय सूचना आयोग ने इन विषयों पर सभी दलों के साथ ही सामाजिक संगठनों तथा नागरिकों की भी राय मांगी थी। विषय था- क्या सभी विधानमंडल और संसदीय दलों को सूचना कानून के दायरे में लाया जाए? इस पर सात सितंबर तक सभी राजनीतिक दलों का जवाब मांगा गया था। लेकिन सभी दलों ने चुप्पी साध ली। राजनीतिक दलों को पारदर्शी बनाने के अभियान में अग्रणी दिल्ली निवासी सुभाषचंद्र अग्रवाल सात सितंबर को इस मामले की सुनवाई देखने आयोग गए। लेकिन वहां किसी पार्टी का प्रतिनिधि नहीं आया। अग्रवाल के अनुसार उनके अब तक के अनुभव से उन्हें ऐसी ही आशंका थी कि राजनीतिक दल इस बार भी आयोग के निर्देश की उपेक्षा करेंगे। अग्रवाल ने सुझाव दिया कि आयोग के पास अगर राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों तथा कार्यकर्ताओं के विचार आए हों, तो सबको विधिवत दस्तावेज में शामिल करके सार्वजनिक करना चाहिए ताकि इस पर समुचित निष्कर्ष तक पहुंचा जा सके।
माले विधायक की पहल से जनप्रतिनिधियों पर बढ़ा दबाव
माले विधायक सुदामा प्रसाद की इस पहल से अन्य जनप्रतिनिधियों पर भी दबाव बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है। राजनीतिक दलों को आरटीआई के दायरे में लाने के पक्षधर सामाजिक कार्यकर्ता बलराम के अनुसार जनप्रतिनिधियों को खुद आगे आकर ऐसी सूचनाएं सार्वजनिक करने की पहल करनी चाहिए, ताकि देश में पारदर्शिता का माहौल बने। उल्लेखनीय है कि राजनीतिक दलों को आरटीआई के दायरे में लाने का मामला विगत सात साल से चल रहा है। इस बीच केंद्रीय सूचना आयोग ने छह राष्ट्रीय दलों को लोक प्राधिकरण की श्रेणी में रखने का स्पष्ट निर्णय सुनाया था। लेकिन कांग्रेस, भाजपा, सीपीआई, सीपीएम, एनसीपी और बसपा ने अब तक उस फैसले की तौहीन की है। वह फैसला तीन जून 2013 का था। फिलहाल 18अगस्त 2017 का अंतरिम आदेश विकास कार्यों की सूचना वेबसाइट पर सार्वजनिक करने तक सीमित है। इसके बावजूद इसे लागू करने में पार्टियों और जनप्रतिनिधियों की चुप्पी हैरान करने वाली है। अब भाकपा-माले के विधायक सुदामा प्रसाद ने एक नया कदम उठाकर वामपंथी खेमे में हलचल पैदा कर दी है।
क्या लिखा है विधायक सुदामा प्रसाद ने
पत्रांक 92/17 दिनांक 21.9.17
प्रेषित
जिलाधिकारी, भोजपुर
विषयः मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना अंतर्गत 196 तरारी विधानसभा क्षेत्र के विकास के लिए मेरे द्वारा अनुशंसित योजनाओं की अद्यतन सूचना सार्वजनिक करने के संबंध में।
महोदय,
उपरोक्त विषय के आलोक में कहना है कि केंद्रीय सूचना आयोग द्वारा विगत 18 अगस्त के एक आदेश में सभी माननीय सांसद, विधायक गण से उनके द्वारा अनुसंशित योजनाओं की सूची तथा उनके कार्यान्वयन की अद्यतन स्थिति का विवरण सूचना का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत सार्वजनिक करने का आदेश दिया गया है।
अतः तरारी विधानसभा क्षेत्र के विकास के लिए मेरे द्वारा अनुशंसित योजनाओं एवं उनके कार्यान्वयन का पूर्ण विवरण जिला प्रशासन अथवा राज्य सरकार के किसी समुचित वेबसाइट पर अपलोड करते हुए इस बाबत आम नागरिकों को सूचित किया जाए। अपलोड की गई सूचना की एक प्रति मुझे भी उपलब्ध कराना तथा संबंधित सूचनाओं को अपडेट करना और त्रुटि रहित समस्त जानकारी सुनिश्चित करना भी अपेक्षित है।
इस कार्य को अत्यावश्यक और तत्काल श्रेणी में रखा जाए क्योंकि हमारी पार्टी भाकपा-माले समस्त विकास कार्यों में पारदर्शिता की पक्षधर है तथा इस संबंध में कार्यान्वयन की प्रगति रिपोर्ट मुझे अविलंब केंद्रीय सूचना आयोग में प्रस्तुत करनी है।
भवदीय
सुदामा प्रसाद
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