वाराणसी। सर्व सेवा संघ ने नॉर्दन रेलवे के अधिकारियों पर न्यायिक रिकॉर्ड के साथ छेड़-छाड़ किए जाने का मुकदमा किया है। नॉर्दन रेलवे, लखनऊ के अधिकारियों ने सर्व सेवा संघ को नोटिस भेजकर उनपर रेलवे की जमीन कब्जा करने का आरोप लगाया था। और 60 साल पहले रेलवे की जमीन को बैनामा कराने वाले सर्व सेवा संघ के अधिकारियों पर जालसाजी का आरोप लगाया था। ऐसी चर्चा है कि नॉदर्न रेलवे ने यह सब जालसाजी मोदी सरकार के इशारे और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, नई दिल्ली के वरिष्ठ अधिकारयों के निर्देश पर किया था। सर्व सेवा संघ परिसर में स्थित गांधी विद्या भवन को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र ने कब्जा कर अपना क्षेत्रीय कार्यालय खोल दिया है। भवन को कब्जा करने में वाराणसी को मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा की भूमिका संदिग्ध रही है।
अब सर्व सेवा संघ ने नॉर्दन रेलवे के अधिकारियों पर न्यायिक रिकॉर्ड के साथ धोखाधड़ी किए जाने की एक शिकायतवाद CRPC की धारा 340 के तहत बुधवार को उप जिलाधिकारी, सदर वाराणसी के यहां दर्ज कराया गया। दरअसल, उत्तर रेलवे, लखनऊ ने सर्व सेवा संघ को एक नोटिस भेजकर रेलवे की जमीन पर कब्जा करने का आरोप लगाया था।
30 मई, 2023 को सर्व सेवा संघ की ओर से पक्ष रखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता भुवन मोहन श्रीवास्तव ने नॉर्दन रेलवे द्वारा की गई शिकायत की विसंगतियों को उजागर किया था। उन्होंने इस तथ्य को स्पष्ट किया था कि शिकायतकर्ता और हस्ताक्षरी दोनों अलग-अलग व्यक्ति हैं जबकि ऐसा होना अनुचित है। उन्होंने इस तथ्य को भी सामने लाया कि सेल डीड के परीक्षण का अधिकार इस न्यायालय को नहीं है, वह सिर्फ नाम की त्रुटियों को सुधारने का अधिकार रखती है। नॉर्दर्न रेलवे द्वारा सर्व सेवा संघ शिकायत की नोटिस 20 मई, 2023 को प्राप्त हुई थी।

सर्व सेवा संघ की ओर से जब 31 मई , 2023 को नॉर्दन रेलवे के शिकायत की सत्यापित प्रति निकाली गई जो 20 मई, 2023 को प्राप्त नोटिस से भिन्न थी। इस में एक नए हस्ताक्षरी रंजीत कुमार का नाम अंकित है जो सीनियर सेक्शन इंजीनियर है, जबकि नोटिस के रूप में प्राप्त शिकायत में सीनियर सेक्शन इंजीनियर, वर्क्स तथा सहायक मंडल अभियंता,नॉर्दर्न रेलवे, वाराणसी का पदनाम तथा लघु हस्ताक्षर अंकित है। सत्यापित शिकायत के प्रथम पृष्ठ पर ऊपर दाहिनी और 32 /38 लिखा हुआ है। इस धारा के तहत न्यायालय को नाम सुधार का अधिकार प्राप्त है। जल्दबाजी में किए गए बदलाव में जालसाजी करने वाले रेलवे अधिकारियों को यह ध्यान नहीं रहा कि पहली शिकायत में 10 अप्रैल, 2023 का दिनांक दर्ज किए हैं जबकि बदले हुए दस्तावेज में उन्होंने 11 अप्रैल, 2023 की तिथि अंकित कर दिया है। इस तरह रेलवे अधिकारियों का षड्यंत्र पूरी तरह से बेनकाब हुआ है।

ज्ञात हो कि नॉर्दन रेलवे ने सर्व सेवा संघ पर कूटरचित तरीके से जमीन हड़पने का आरोप लगाकर आचार्य विनोबा भावे, लाल बहादुर शास्त्री, डॉ राजेंद्र प्रसाद, जगजीवन राम आदि महान व्यक्तियों को लांछित किया है। सर्व सेवा संघ के रामधीरज ने कहा कि न्यायिक दस्तावेजों को बदलना एक न केवल एक गंभीर अपराध है बल्कि प्रशासन और रेलवे की मिलीभगत को भी उजागर करता है। साथ ही इस बात को प्रमाणित भी करता है कि सर्व सेवा संघ की जमीन को ये षडयंत्रपूर्वक हड़पना चाहते हैं।

लेकिन सच को छुपाया नहीं जा सकता है और यह रेलवे द्वारा कागजात बदलने के दृष्टांत से सिद्ध हो रहा है। उन्होंने कहा कि सर्व सेवा संघ और वाराणसी प्रशासन के बीच सच्चाई और षड्यंत्र के बीच का आमना -सामना है। लेकिन अंत में सच्चाई को ही सफलता मिलेगी।
(प्रदीप सिंह जनचौक के राजनीतिक संपादक हैं।)
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