सरयू राय की बिहार चुनाव में एंट्री, एनडीए की मुश्किलें बढ़ीं!

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सरयू राय बिहार चुनाव में हिस्सा लेने झारखंड से पटना पहुंच रहे हैं। उनकी पार्टी ने एलान किया है कि बिहार की दर्जन भर से ज्यादा सीटों पर वह चुनाव लड़ेगी। राय की पार्टी के इस एलान से बिहार की एनडीए सरकार की सांसें रुक गई हैं। नीतीश और सुशील मोदी की परेशानी बढ़ गई है। अब वे बीजेपी से अलग हैं और खबर के मुताबिक़ उन्होंने राजद और पप्पू यादव का साथ देने का एलान भी किया है।

कौन हैं सरयू राय
सरयू राय, इसी नाम से बिहार और झारखंड की राजनीति में इनकी पहचान है। जब तक बिहार बंटा नहीं था, सरयू राय बिहार के चर्चित बीजेपी नेताओं में शुमार किए जाते थे। जाति से क्षत्रिय, सोच समाजवादी और राजनीति बीजेपी की। सरयू राय की यही पहचान कइयों को परेशान करती रही। संघ के भी वे करीब रहे, लेकिन संघ की विचारधारा को कभी राजनीति में समावेश नहीं किया। जब तक बिहार की राजनीति में रहे बीजेपी को बल मिला। बिहार बंटा तो उन्होंने अपनी राजनीतिक भूमि की तलाश झारखंड में की। बीजेपी को वहां सरयू राय का खूब लाभ मिला। सीएम के उम्मीदावर कहलाए, लेकिन सीएम बन नहीं पाए। रघुबर जब सीएम रहे, सरयू राय मंत्री रहते हुए भी रघुबर को रडार पर लेते रहे। यही राय की विशेषता है।

   
सरयू राय लालू, नीतीश और सुशील मोदी के अच्छे दोस्त रहे। सबने जेपी के आंदोलन में हिस्सा लिया था। सबने बिहार और देश बदलो की कसमें खाई थीं। सबने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने का प्रण लिया था, लेकिन जब लालू को बिहार में सत्ता मिली और चारा घोटाला सामने आया तो सरयू राय लालू के खिलाफ हो गए। लालू को जेल भेजवाने में सरयू राय सबसे आगे रहे, लेकिन अब राय और लालू की दोस्ती फिर पनप रही है। शायद उम्र का तकाजा हो या फिर नीतीश सरकार की नाकामी।

राय इस बार बिहार चुनाव में शिरकत करने आ रहे हैं। नीतीश और सुशील मोदी की परेशानी बढ़ती जा रही है। चर्चा है कि राय अब रघुबर सरकार की तरह ही नीतीश सरकार से बहुत सारे हिसाब मांगने वाले हैं। कच्चा चिठ्ठा तैयार है। रघुबर को पहले निपटाया अब नीतीश की बारी है!

सरयू राय की बेजोड़ राजनीति
सरयू राय वर्तमान में जमशेदपुर पश्चिम सीट से विधायक हैं। बीजेपी छोड़ चुके हैं और रघुबर दास को इस सीट से हराकर आए हैं। सरयू की दुश्मनी रघुबर को भारी पड़ी और बीजेपी को भी। अब उन्होंने एक पार्टी बना ली है। मंत्री सरयू राय ने 1994 में सबसे पहले पशुपालन घोटाले का भंडाफोड़ किया था। बाद में इस घोटाले की सीबीआई जांच हुई। राय ने घोटाले के दोषियों को सजा दिलाने के लिए उच्च न्यायालय से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक संघर्ष किया। इसके फलस्वरूप राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव समेत दर्जनों राजनीतिक नेताओं और अफसरों को जेल जाना पड़ा।

सरयू राय ने 1980 में किसानों को आपूर्ति होने वाली घटिया खाद, बीज, तथा नकली कीटनाशकों का वितरण करने वाली शीर्ष सहकारी संस्थाओं के विरुद्ध भी आवाज उठाई थी। तब उन्होंने किसानों को मुआवजा दिलाने के लिए सफल आंदोलन किया। सरयू राय ने ही संयुक्त बिहार में अलकतरा घोटाले का भी भंडाफोड़ किया था। इसके अलावा झारखंड के खनन घोटाले को उजागर करने में सरयू राय की अहम भूमिका रही। इतने घोटालों के पर्दाफाश के बाद तो सरयू राय का नाम भ्रष्ट नेताओं में खौफ का पर्याय बन गया।

बिहार चुनाव में दखल
सरयू राय की पार्टी का नाम है भारतीय जनमोर्चा। भाजमो ने बक्सर (बिहार) की ब्रह्मपुर सीट से प्रत्याशी देने की घोषणा की है। मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष धर्मेंद्र तिवारी ने शुक्रवार को साकची स्थित कार्यालय में पत्रकारों को बताया कि जमशेदपुर के रमेश सिंह कुंवर ब्रह्मपुर सीट से पार्टी प्रत्याशी होंगे। भाजमो ने बिहार में 10-15 सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बनाई है। इसकी रूपरेखा तैयार की जा रही है। बिहार में चुनाव आचार संहिता लगने के बाद पार्टी इसकी घोषणा करेगी।

जानकारी के मुताबिक भाजमो प्रत्याशियों की जीत सुनिश्चित करने के लिए पार्टी के स्टार प्रचारक के रूप में जमशेदपुर पूर्वी के विधायक और भाजमो के संस्थापक सदस्य सरयू राय बिहार में सक्रिय रहेंगे। सरयू राय ने पिछले दिनों लालू प्रसाद की पार्टी राजद और पप्पू यादव की पार्टी जन अधिकार पार्टी को समर्थन देने की घोषणा की थी। बिहार चुनाव में ब्रह्मपुर सीट से चुनाव लड़ने वाले संभावित प्रत्याशी रमेश सिंह कुंवर का बैकग्राउंड बजरंग दल का रहा है।

लालू का साथ और नीतीश सरकार का विरोध
झारखंड की जेल में बंद लालू प्रसाद वहीं से बिहार की राजनीति को भांप रहे हैं और गोटी फिट कर रहे हैं। सरयू राय के करीब भी लालू प्रसाद जा चुके हैं। दोनों के बीच बात होने की खबर है। बात तय होने के बाद सरयू राय बिहार चुनाव में हिस्सा लेने को तैयार हुए हैं। खबर के मुताबिक़ सरयू राय बिहार आने से पहले पूरी तैयारी कर रहे हैं। पिछले 15 सालों के दस्तावेजों को खंगाल रहे हैं। नीतीश सरकार की योजनाओं को परख रहे हैं। घपले-घोटाले की छानबीन कर रहे हैं और बीजेपी के खेल को दर्ज कर रहे हैं।

(अखिलेश अखिल वरिष्ठ पत्रकार हैं और उनकी बिहार की राजनीति पर गहरी पकड़ है। वह आजकल दिल्ली में रहते हैं।)

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