भाकपा-माले के वरिष्ठ नेता और आईपीएफ के संस्थापक महासचिव कॉ. राजाराम का निधन

Estimated read time 1 min read

पटना। भाकपा-माले की पहली पंक्ति के नेता 74 वर्षीय कॉमरेड राजाराम का 1 सितंबर 2023 की रात्रि निधन हो गया। वे कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे और पीएमसीएच में इलाजरत थे। कॉमरेड राजाराम वर्तमान में बिहार राज्य स्थाई समिति के सदस्य थे। 74 के छात्र आंदोलन से पूरे राज्य में अपनी एक अलग पहचान बनाने वाले राजाराम लंबे समय तक पार्टी की केंद्रीय कमेटी के सदस्य और केंद्रीय कंट्रोल कमीशन के चेयरमैन रहे। 1982 में गठित आईपीएफ के वे संस्थापक महासचिव थे।

भाकपा-माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने अपने शोक संदेश में कहा है कि ‘इस बात पर यकीन करना मुश्किल है कि आईपीएफ के संस्थापक महासचिव और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी- मार्क्सवादी लेनिनवादी- लिबरेशन के दिग्गज नेता कॉमरेड राजाराम अब नहीं रहे। कल रात अचानक थोड़ी बीमारी के बाद पीएमसीएच में उनका निधन हो गया’।

दीपंकर ने कहा कि ‘एक मार्क्सवादी नेता, जो 1970 के दशक की शुरुआत में सीपीआई (एम) छोड़कर कॉमरेड एके रॉय के साथ जुड़े। कॉमरेड राजाराम को आपातकाल के दौरान गिरफ्तार कर लिया गया था। अपनी रिहाई के बाद वह सीपीआई (एमएल) में शामिल हो गए और इंडियन पीपुल्स फ्रंट की स्थापना और पूरे देश में लोकतंत्र का संदेश फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके बाद सीपीआई (एमएल) की केंद्रीय समिति के सदस्य के रूप में उन्होंने छत्तीसगढ़, झारखंड और बिहार में पार्टी का नेतृत्व किया’।

दीपंकर ने कहा कि ‘उनके निधन से पार्टी ने इस महत्वपूर्ण मोड़ पर एक अनुभवी और प्रतिबद्ध सेनानी खो दिया है। कॉमरेड संगीताजी, कॉमरेड अभिषेक और उनके परिवार के अन्य शोक संतप्त सदस्यों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं। कॉमरेड राजाराम की विरासत जीवित रहेगी और संघर्ष के हर क्षेत्र में कम्युनिस्टों और अन्य फासीवाद-विरोधी सेनानियों को प्रेरित करती रहेगी’।

पार्टी के वरिष्ठ नेता स्वेदश भट्टाचार्य, राज्य सचिव कुणाल और 1971 से ही उनके साथ सामाजिक बदलाव के आंदोलनों में शामिल रहे पार्टी के वरिष्ठ नेता केडी यादव, राजाराम सिंह, शंभूनाथ मेहता सहित पार्टी के सभी प्रमुख नेताओं ने कॉमरेड राजाराम को अपनी श्रद्धांजलि दी है।

माले राज्य सचिव कुणाल ने बताया कि कल 3 सितंबर को छज्जूबाग स्थित माले विधायक दल के नेता महबूब आलम के आवास पर 10 बजे एक श्रद्धांजलि सभा रखी गई है। उसके बाद उनकी अंतिम यात्रा निकलेगी। अंतिम यात्रा में पूरे राज्य और राज्य के बाहर के भी नेता-कार्यकर्ता हिस्सा लेंगे।

माले नेता केडी यादव ने कहा कि ‘संघर्ष की भट्टी में तपे तपाए और सादगी के प्रतीक कॉमरेड राजाराम भाकपा-माले के एक प्रमुख स्तंभ थे। सामाजिक बदलाव के प्रति अटूट प्रतिबद्धता उनकी ताउम्र बनी रही। वे हर किसी से बेहद सहज व आत्मीय ढंग से बात करते थे। हर किसी के लोकतांत्रिक अधिकार की कद्र करते थे। उनका निधन न केवल पार्टी बल्कि पूरे देश व समाज के लिए एक गहरी क्षति है।

+ There are no comments

Add yours

You May Also Like

More From Author