गांधी जयंती पर कल किसान मोर्चा रखेगा उपवास

नई दिल्ली। एसकेएम द्वारा पूरे भारत में 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाई जाएगी। एसकेएम सभी मोर्चों पर दिन भर उपवास रखकर गांधी जयंती मनाएगा। “बापू का सत्याग्रह ,सत्य और अहिंसा के सिद्धांत हमारे संघर्ष में हमारा मार्गदर्शन करते रहेंगे”,एसकेएम ने कहा।

एसकेएम स्पष्ट करता है कि आज सुप्रीम कोर्ट के चल रहे मामले में याचिकाकर्ता का संयुक्त किसान मोर्चा से कोई लेना-देना नहीं है। एसकेएम ने कभी भी तीन काले कानूनों पर निर्णय के लिए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा नहीं खटखटाया है। एसकेएम ने हमेशा स्पष्ट कहा है कि दिल्ली की ओर जाने वाले राजमार्गों को भाजपा की पुलिस के द्वारा अवरुद्ध किया गया है। केंद्र सरकार जानती है कि किसानों की जायज मांगों को स्वीकार कर विरोध का समाधान किया जा सकता है लेकिन सैकड़ों किसान शहीद होने के बावजूद उसने ऐसा नहीं करने का फैसला किया है।

एसकेएम ने हरियाणा और पंजाब में धान खरीद में 10 दिन और देरी करने के केंद्र सरकार के फैसले की निंदा की। एसकेएम इसे किसानों को अपनी फसल बेचने के अधिकार, और उनकी फसल के लिए लाभकारी मूल्य प्राप्त करने से वंचित करने की दिशा में एक और कदम के रूप में देखता है। सरकार का यह बहाना कि यह बारिश में देरी के कारण किया जा रहा है, की कोई वैधता नहीं है क्योंकि सरकार ने खुद धान की अल्पावधि किस्मों को मंजूरी दी है जो तैयार हैं और जो बाजारों में इंतजार कर रहीं हैं। अगर नमी को लेकर समस्या बनती है तो पहले की तरह कानूनों में ढील देना सरकार की जिम्मेदारी है। धान खरीद में देरी के विरोध में पंजाब और हरियाणा के किसान कल स्वतःस्फूर्त विरोध प्रदर्शन करेंगे, जहां भाजपा-जजपा विधायकों और सांसदों और डीसी कार्यालयों का घेराव किया जाएगा।

एसकेएम पंजाब और हरियाणा में कपास की फसलों को हुए व्यापक नुकसान का संज्ञान लेता है और मांग करता है कि सरकार को कपास की फसलों के लिए 50,000 रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजा प्रदान करना चाहिए। एसकेएम यह भी चिंता के साथ नोट करता है कि बाजरे की फसल पहले ही काटी जा चुकी है, लेकिन राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश जैसे बड़े बाजरा उत्पादक राज्यों में खरीद के कोई संकेत नहीं हैं। यह भी संज्ञान लिया जाता है कि पिछले साल बाजरा की सबसे बड़ी खरीदार हरियाणा सरकार ने इस साल बाजरा की खरीद नहीं करने का फैसला किया है, बल्कि सीमित मात्रा के लिए ₹600 प्रति क्विंटल के घाटे के भुगतान की पेशकश की है। “इससे किसानों को काफी नुकसान होगा क्योंकि बाजार दर सरकार द्वारा तय की गई दर से काफी नीचे है। हमें यह भी डर है कि यह सरकार द्वारा खरीद प्रणाली से दूर हटने की दिशा में एक कदम है”, एसकेएम ने कहा।

कल गांधी जयंती पर हजारों किसान चंपारण से वाराणसी तक 18 दिवसीय मार्च की शुरुआत करेंगे। मार्च में ओडिशा, बंगाल, बिहार और उत्तर प्रदेश के किसान हिस्सा लेंगे। 1917 में चंपारण में महात्मा गांधी ने नील किसानों के लिए अपना पहला सत्याग्रह शुरू किया और अन्याय के खिलाफ संघर्ष के लिए शांति का हथियार दिया था।

इस बीच, कई राज्यों में भाजपा और सहयोगी दलों के खिलाफ विरोध जारी है। करनाल के इंद्री में गुरुवार को किसानों ने भाजपा की बैठक के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। झज्जर में किसानों ने डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के खिलाफ प्रदर्शन किया।

(प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित।)

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