Friday, March 29, 2024

anniversary

जब बेदी और मंटो में ख़तो-किताबत बंद हो गई

अफ़साना निगार राजिंदर सिंह बेदी का दौर वह हसीन दौर था, जब उर्दू अदब में सआदत हसन मंटो, कृश्न चंदर, इस्मत चुग़ताई और ख़्वाजा अहमद अब्बास जैसे महारथी एक साथ अपने अफ़सानों से पूरे मुल्क में धूम मचाए हुए...

तिलाड़ी विद्रोह की बरसी पर उत्तराखंड में उठी हक की आवाज

देहरादून। कल 30 मई को तिलाड़ी विद्रोह की याद में प्रदेश भर में कार्यक्रम आयोजित किए गए। इसके तहत जुलूस, प्रदर्शन और संगोष्ठियां आयोजित की गयीं। देहरादून, चमियाला, भवाली, रामगढ़, रामनगर, बागेश्वर, अल्मोड़ा, थलीसैंण, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी समेत अन्य जगहों...

जयंती पर विशेष: आज अगर विवेकानंद होते तो उन्हें भी हिंदू विरोधी करार दे दिया जाता!

हर देश-काल में ऐसी विभूतियां हुई हैं, जिन्हें बहुत छोटा जीवन मिला, लेकिन छोटे से जीवनकाल में ही उन्होंने अपने समय के समाज में हलचल पैदा करने का काम किया। सुदूर अतीत में ईसा मसीह और आदि शंकर, ज्ञानेश्वर,...

पुण्यतिथि पर विशेष: भारतीय राजनीति के दधीचि थे सुरेन्द्र मोहन

समाजवादी चिंतक पूर्व सांसद सुरेंद्र मोहन जी से 1984 में दिल्ली पहुंचने के बाद लगातार मुलाकात होती थी। जनता दल में जनता पार्टी की तरह ही वे ही मुख्य भूमिका में थे। पार्टी की बैठक और सम्मेलनों में प्रस्ताव...

65 साल बाद भी जीवंत और प्रासंगिक हैं बाबा साहेब

1956 में आज ही के दिन - 6 दिसंबर को - नहीं रहे थे बाबा साहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर ; मगर कमाल ही है उनका व्यक्तित्व और कृतित्व, जिसके चलते वे आज साढ़े छः दशक बाद भी न सिर्फ...

पुण्यतिथि पर विशेष: एक सच्चे अम्बेडकरवादी थे भगवान दास

                   भगवान दास का जन्म 23 अप्रैल, 1927 को जुतोग छावनी, शिमला (हिमाचल प्रदेश) में रहने वाले एक अछूत परिवार में हुआ था। उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान रॉयल इंडियन एयर फोर्स में सेवा की और विमुद्रीकरण के...

पुण्यतिथि पर विशेष: भगत सिंह के दिल में बसते थे करतार सिंह सराभा

'फांसी पर ही तो चढ़ा दोगे और क्या? हम इससे नहीं डरते!' उक्त बयान भारत मां के उस सपूत के हैं, जो मात्र 19 वर्ष 5 महीने और 22 दिन की अल्पायु में अपने अन्य छः साथियों क्रमशः सुरैण सिंह,...

जयंती पर विशेष : व्यवस्था के खिलाफ मुक्तिबोध में दबा बम धूमिल में फट पड़ा!

‘क्या आजादी सिर्फ तीन थके हुए रंगों का नाम है, जिन्हें एक पहिया ढोता है या इसका कोई मतलब होता है?’ हिन्दी कविता के एंग्रीयंगमैन सुदामा पांडे ‘धूमिल’ने अब से कई दशक पहले यह जलता व चुभता हुआ सवाल...

पुण्यतिथि पर विशेष: क्या राजेन्द्र यादव का सही मूल्यांकन होना बाकी है?

आज से करीब 50 साल से भी पहले प्रसिद्ध अमरीकी लेखक मारियो पूजो की बहुचर्चित किताब" गॉडफादर" आयी थी जो करीब 67 सप्ताह यानी करीब सवा साल तक बेस्ट सेलर रही। दो साल में वह किताब दो करोड़ बिकी।...

गांधी जयंती पर कल किसान मोर्चा रखेगा उपवास

नई दिल्ली। एसकेएम द्वारा पूरे भारत में 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाई जाएगी। एसकेएम सभी मोर्चों पर दिन भर उपवास रखकर गांधी जयंती मनाएगा। “बापू का सत्याग्रह ,सत्य और अहिंसा के सिद्धांत हमारे संघर्ष में हमारा मार्गदर्शन करते...

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बहुसंख्यकवादी नैरेटिव को टेका लगाती फिल्में: स्वातंत्र्यवीर सावरकर

फिल्म जनसंचार का एक शक्तिशाली माध्यम है जो सामाजिक समझ को कई तरह से प्रभावित करता है। कई दशकों...