मानवाधिकार कार्यकर्ता स्टेन स्वामी की गिरफ्तारी की आल इंडिया पीपुल्स फ़ोरम (एआईपीएफ) ने कड़ी भर्त्सना की है। संगठन ने कहा है कि केंद्र सरकार स्टेन स्वामी समेत देश भर में लोकतांत्रिक-मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, सामाजिक सरोकार रखने वालों, बुद्धिजीवियों, लेखक और पत्रकारों को निशाना बनाना बंद करे।
एआईपीएफ के केंद्रीय सचिवालय की ओर से जारी बयान में राष्ट्रीय परिषद ने NIA द्वारा 84 वर्षीय स्टेन स्वामी की गिरफ्तारी को मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन बताते हुए कहा कि उनके माओवादियों के साथ संबंद्ध होने के जो दस्तावेज़ एनआईए ने उनके कंप्यूटर से प्राप्त करने की बात कही है, वह भाजपा की केंद्र सरकार के इशारे पर NIA द्वारा गढ़ी गई एक झूठी कहानी के सिवा और कुछ नहीं है। मानवाधिकारों में विश्वास रखने वाला देश का हर नागरिक जानता है कि फादर स्टेन स्वामी झारखंड में दशकों से वंचितों के संघर्षों से जुड़े रहे हैं। वह राज्य के आदिवासियों, गरीब, वंचितों की एक सशक्त आवाज रहे हैं। यही वजह है कि वह केंद्र की मोदी सरकार के निशाने पर थे।
एआईपीएफ ने कोविड के संकटग्रस्त दौर में 84 वर्षीय बुजुर्ग, जो कि स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं से भी जूझ रहे हैं के प्रति केंद्र सरकार के रवैये को अमानवीय बताया है। एआईपीएफ ने बयान में कहा कि एनआईए के इस अमानवीय कृत्य की हेमंत सोरेन सरकार ने निंदा की है, लेकिन राज्य सरकार को दमन-उत्पीड़न के इस गंभीर मामले में सक्रिय हस्तक्षेप करना चाहिए। एआईपीएफ स्टेन स्वामी की गिरफ्तारी के खिलाफ सभी लोकतांत्रिक मानवाधिकार और जनपक्षीय ताकतों के हर संघर्ष में साथ है।
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