Friday, March 29, 2024

एसीसी सीमेंट प्लांट में स्लैग से दब कर मजदूर की मौत, शव गेट पर रखकर दिया धरना

झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिला के झींकपानी प्रखंड मुख्यालय स्थित एसीसी सीमेंट प्लांट में काम के दौरान ठेका मजदूर की मौत हो गई। 54 साल के सुकरा गोप स्लैग से दब गए। यह हादसा तीन अगस्त की सुबह हुआ।

सुकरा गोप पश्चिमी सिंहभूम जिला के मंझारी प्रखंड के ईचाकुटी गांव के रहने वाले थे। उनकी ड्यूटी एसीसी सीमेंट प्लांट में रात 10 बजे से सुबह छह बजे तक की थी। सुकरा तीन अगस्त को सुबह 05:30 बजे कारखाने के अंदर सीमेंट मिल के स्लैग ड्रायर में काम कर रहे थे। उस समय वह दो सेलों के बीच हॉपर पर जाम हटा रहे थे।

इसी क्रम में पेलोडर से हॉपर में स्लैग डंप कर दिया गया। इससे वह स्लैग से दब गए और दम घुटने से मौके पर ही उनकी मौत हो गई।

मजदूरों ने बताया कि हापर में स्लैग डंप करने के दौरान वहां सुरक्षा मामले को लेकर किसी तरह की व्यवस्था नहीं थी। जिससे पेलोडर चालक भी सुकरा को नहीं देख सका। थोड़ी देर बाद घटना की जानकारी मिली, तो फैक्ट्री में अफरा-तफरी मच गई। आनन-फानन में सुकरा को एसीसी अस्पताल ले जाया गया। वहां चिकित्सकों ने उनकी मृत्यु की पुष्टि कर दी।

मजदूरों ने बताया कि दुर्घटना के समय वहां सेफ्टी की कोई व्यवस्था नहीं थी। इससे पूर्व भी 10-12 वर्ष पहले स्लैग ड्रायर के पास काम के दौरान दो एसआईएस के जवान की मौत पेलोडर की चपेट में आने से हो गई थी।

मजदूरों के मुताबिक दुर्घटना के बाद कारखाने में सायरन बजाकर सभी को अलर्ट किया जाता है, लेकिन सुकरा की हुई दुर्घटना के बाद सायरन भी नहीं बजाया गया। ठेका मजदूर सुकरा गोप के साथी मजदूरों और परिजनों को जब दुर्घटना की जानकारी मिली, तो वे लोग दुर्घटना की निष्पक्ष जांच कराने, सुकरा के परिजनों को 20 लाख रुपये मुआवजा देने और सुकरा के परिवार के एक सदस्य को एसीसी सीमेंट प्लांट में स्थायी नौकरी देने की मांग करने लगे।

कंपनी प्रबंधन उनकी मांगों को सुनने को तैयार नहीं हुए। फलतः चार अगस्त की सुबह मृतक ठेका मजदूर सुकरा गोप की लाश के साथ उनके साथी मजदूर और घर वाले कंपनी गेट पर झारखंड जनरल मजदूर यूनियन के बैनर तले धरने पर बैठ गए।

सुकरा गोप की पत्नी और पुत्र।

झारखंड जनरल मजदूर यूनियन के नेता जॉन मिरन मुंडा कहते हैं, ‘यह दुर्घटना कंपनी प्रबंधन की लापरवाही के कारण हुई है। कंपनी प्रबंधन मजदूरों के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रही है। यहां जब भी कोई दुर्घटना घटी है, कंपनी प्रबंधन दलालों को लाखों रुपये देकर मजदूरों को बहुत कम मुआवजा देकर अपनी जान बचा लेते हैं, लेकिन इस बार कंपनी प्रबंधन को हमारी मांगें माननी ही होंगी।’

धरनास्थल पर मौजूद सामाजिक कार्यकर्ता माधव चन्द्र कुंकल कहते हैं, ‘दुर्घटना के बाद एसडीपीओ, एसडीओ, पुलिस निरीक्षक सभी आए हैं, लेकिन झारखंड सरकार के एक भी विधायक और स्थानीय सांसद गीता कोड़ा (कांग्रेस) नहीं आए हैं।’ वे बताते हैं कि ‘मैंने ट्विटर के जरिए झारखंड के मुख्यमंत्री से लेकर सभी पदाधिकारी को भी घटना की जानकारी दी है, फिर भी कंपनी प्रबंधन पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है और न ही मजदूरों और उनके परिजनों की मांगों को माना जा रहा है।’

मृतक ठेका मजदूर सुकरा गोप की पत्नी रोयबरी गोप और पुत्र लखिन्द्र गोप भी दुर्घटना की निष्पक्ष जांच कराने, 20 लाख रुपये मुआवजा देने और स्थायी नौकरी की मांग को दोहराते हैं और मांग पूरी होने तक धरने पर ही बैठे रहने की बात कह रहे हैं।

ठेका मजदूर सुकरा गोप की मृत्यु इस बात का प्रमाण है कि ये कम्पनियां मजदूरों को कोई भी सुरक्षा उपकरण न देकर जान-बूझकर उनकी जिंदगी को दांव पर लगाती हैं। मजदूर की मृत्यु हो जाने पर अपने दलालों के जरिए कुछ पैसे मृतक मजदूर के परिवार को देकर उनका मुंह बंद कर देती हैं।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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