चंडीगढ़। पंजाब विजिलेंस ब्यूरो ने बठिंडा (ग्रामीण) से विधायक अमित रतन के निजी सहायक रेशम गर्ग को चार लाख रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। इसमें विधायक की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है। आरोप है कि रेशम गर्ग ने विधायक कोटे से आई ग्रांट पास करवाने के लिए एक सरपंच के पति से पांच लाख रुपए मांगे थे।
शिकायतकर्ता बठिंडा के गांव गुद्दा की सरपंच सीमा रानी के पति प्रितपाल सिंह काका ने आरोप लगाया कि उनके गांव के विकास के लिए आई 25 लाख रुपए की ग्रांट पास करवाने के लिए बठिंडा ग्रामीण से विधायक अमित रतन ने पांच लाख रुपए मांगे थे। कुछ दिन पहले आम आदमी पार्टी विधायक ने अपने करीबी दोस्त और सहायक रेशम के जरिए उनसे एक लाख रुपए ले लिए थे। बाकी के चार लाख रुपए देने से पहले उन्होंने विजिलेंस में इसकी शिकायत दर्ज करा दी।
विजिलेंस ब्यूरो ने उच्चाधिकारियों से बात करने के बाद जाल बिछाया और शिकायतकर्ता को दो हजार के नोटों की गड्डियों पर रंग लगाकर दिए। शिकायतकर्ता चार लाख रुपए विधायक को देने सर्किट हाउस पहुंचा। विधायक ने उससे कहा कि बाहर पार्किंग में क्रेटा गाड़ी में रेशम बैठा है और उसे पैसे थमा दिए जाएं। रेशम गर्ग ने रुपए पकड़कर गाड़ी में रखे और उसी वक्त ट्रैप लगाए हुए विजिलेंस ने उसे धर लिया।
विजिलेंस ब्यूरो ने विधायक अमित रतन और रंगे हाथों गिरफ्तार उनके सहायक को आमने-सामने बिठाकर घंटों तक पूछताछ की। इसके बाद आप विधायक को पीछे के गेट से निकाल दिया। विधायक का अब कहना है कि उनका रेशम गर्ग से कोई नाता नहीं है और उनके पीए का नाम रणबीर सिंह है। वीरवार देर रात एक वीडियो जारी करके आप विधायक अमित ने यह सब कहा। अन्य सवालों के लिए वह मीडिया को उपलब्ध नहीं हैं। इस पत्रकार ने फोन पर उनसे संपर्क करने की कई बार कोशिश की लेकिन विधायक का फोन नहीं उठा।
गौरतलब है कि जिस रेशम गर्ग को अब विधायक पहचानने तक से इंकार कर रहे हैं; बठिंडा के लोगों ने उन्हें अक्सर उनके साथ घूमते देखा है। बठिंडा के एक वरिष्ठ पत्रकार सुभाष चंद्र के अनुसार मीडिया और अन्य लोगों ने रेशम गर्ग को अक्सर विधायक के साथ कई बार देखा है। इलाके के अन्य लोगों का भी कहना है कि विधायक अमित रतन सफेद झूठ बोल रहे हैं कि उनका रेशम गर्ग से कोई नाता नहीं।
विजिलेंस ब्यूरो के सूत्रों के मुताबिक पूरे प्रकरण में विधायक की भूमिका संदिग्ध है और रेशम गर्क से रिमांड के दौरान पूरी पूछताछ की जाएगी और तब सच सामने आएगा। उधर, बठिंडा के लोग कहते हैं कि अमित रतन की छवि साफ-सुथरी नहीं है। पहले वह शिरोमणि अकाली दल में थे और इसी वजह से उन्हें पार्टी ने निकाल दिया था। अकाली दल के टिकट पर वह चुनाव भी लड़ चुके हैं। उनके पिता बीएस रतन वरिष्ठ आईएएस अधिकारी रहे हैं और पंजाबी के लेखक भी।
जिक्रेखास है कि भगवंत मान ने भ्रष्टाचार के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ की घोषित नीति अख्तियार की हुई है लेकिन इसकी जमीनी हकीकत दूसरी है। पंजाब के कई आम आदमी पार्टी विधायक ऐसे हैं जिन पर आरोप हैं कि वे अपने सहायकों रिश्तेदारों के जरिए रिश्वत लेकर भ्रष्टाचार फैला रहे हैं। बेशक मुख्यमंत्री भगवंत मान के दामन पर ऐसा कोई दाग नहीं। लेकिन उनकी सरकार और आम आदमी पार्टी तो बदनाम हो ही रही है।
भ्रष्टाचार के आरोप में राज्य सरकार ने अपने ही तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री विजय सिंगला और उनके ओएसडी प्रदीप कुमार को पिछले साल मई में गिरफ्तार किया था। आरोपों के बाद एक और मंत्री को बाहर का रास्ता दिखाया गया था। विजिलेंस ब्यूरो इससे पहले पूर्व कांग्रेसी मंत्री साधु सिंह धर्मसोत, भारत भूषण आशू, सुंदर शाम अरोड़ा, दिनेश बस्सी, आईएएस अधिकारी संजय पोपली सहित कई अधिकारियों को गिरफ्तार कर चुकी है। मान मंत्रिमंडल से निकाले गए पूर्व मंत्री विधायक संगत सिंह गिलजियां पर भी केस दर्ज है। वह जमानत पर रिहा हैं।
रिश्वत मामले में एक और विधायक अमित रतन का नाम आने के बाद सूबे की सियासत खासी गरमा गई है। कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग इस प्रकरण पर कहते हैं, “भगवंत मान सरकार को दिल्ली से चलाया जा रहा है और इसलिए ने नहीं मालूम कि यहां उनके विधायक और मंत्री किस तरह भ्रष्टाचार के जरिए पैसा बटोर रहे हैं।”
शिरोमणि अकाली दल सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल के अनुसार, “दो-दो मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के केस दर्ज हैं। कई अन्य मंत्री और विधायक भी खुलेआम घूसखोरी कर रहे हैं। कैसे कहा जा सकता है कि आम आदमी पार्टी सरकार बेदाग है?”
कतिपय आप विधायक नाम नहीं छापने की शर्त पर कहते हैं कि उनके कई साथी सरेआम रिश्वतखोरी कर रहे हैं लेकिन मुख्यमंत्री को इसकी भनक नहीं। एक विधायक ने तो यहां तक कहा कि उनकी पार्टी की ओर से राज्यसभा में भेजे गए और अक्सर पंजाब में रहने वाले एक दिग्गज आम आदमी पार्टी नेता भ्रष्टाचारियों को खुली शाह दे रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री भगवंत मान खुद उस राज्यसभा सांसद से आजिज हैं।
दरअसल उक्त राज्यसभा सांसद आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल के बेहद करीबी हैं और विपक्ष सहित आम आदमी पार्टी के लोग कहते हैं कि पंजाब में वह समानांतर सत्ता चला रहे हैं। चुनाव से पहले टिकट बंटवारे में भी उस सांसद के जरिए बड़ा ‘लेनदेन’ हुआ था। भगवंत मान खामोश रहे। अब भी कमोबेश खामोश हैं। सार्वजनिक तौर पर इस सवाल पर वह किसी भी किस्म की टिप्पणी से परहेज करते हैं। इसे उनकी ‘मजबूरी’ माना जा रहा है।
भ्रष्टाचार के एक और मामले में आप विधायक की संदिग्ध भूमिका अथवा संलिप्तता से सरकार का इकबाल एकबारगी फिर तार-तार हुआ है। बेशक मुख्यमंत्री भगवंत मान कह सकते हैं कि किसी भी विधायक अथवा मंत्री का भ्रष्टाचार उन्हें बर्दाश्त नहीं।
(पंजाब से वरिष्ठ पत्रकार अमरीक की रिपोर्ट।)