देहरादून: उत्तराखंड में हिंसक वन्य जीवों का खौफ सिर चढ़कर बोल रहा है। मानव-वन्यजीव संघर्ष में लोगों की जान जाने का सिलसिला जारी है। ताजा घटना राज्य की राजधानी देहरादून के निकट ऋषिकेश क्षेत्र की है, जहां एक बेलगाम हुए नर टस्कर हाथी ने हमला कर एक युवक को मौत के घाट उतार दिया।
ऋषिकेश में नीलकंठ मोटर मार्ग पर इस हाथी द्वारा एक युवक को पटक-पटककर मार डालने की खबर के बाद पुलिस ने एहतियातन इस रास्ते पर सभी वाहनों की आवाजाही रोक दी है। घटनास्थल राजाजी टाइगर रिजर्व से सटे क्षेत्र में आता है।
दरअसल, शुक्रवार सुबह करीब साढ़े छः बजे नीलकंठ रोड पर पटना वाटर फॉल के पास अचानक एक नर हाथी झूमता हुआ सड़क पर आ गया। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक हाथी के सड़क पर आते ही अफरा तफरी मच गई। लोग हाथी से बचने के लिए इधर उधर भागने लगे। लेकिन एक युवक इस हाथी के चंगुल में फंस गया।
हाथी ने इस युवक को सूंड में उठाकर पटकना शुरू कर दिया। युवक जान बचाने के लिए जितनी जोर से चीखता, उतनी ही जोर से हाथी उसे जमीन पर पटकता रहा। इस हमले में मौत के कारण युवक की चीखे थमने के बाद हाथी ने युवक को वहीं छोड़कर सड़क किनारे की एक झोंपड़ी में चलने वाली दुकान को अपना निशाना बनाया और उसे भी तहस नहस कर दिया। इसी के साथ मौके पर खड़ी एक कार भी हाथी के गुस्से का शिकार बनी।
कुछ देर के इस तांडव में एक युवक की जान लेने के बाद हाथी जंगल की ओर चला गया। ऋषिकेश के लक्ष्मण झूला थाना पुलिस के मुताबिक शुक्रवार की सुबह स्थानीय लोगों द्वारा पुलिस कंट्रोल रूम को मिली सूचना के बाद पुलिस जब तक घटनास्थल पर पहुंची तब तक हाथी जंगल की ओर जा चुका था।
हाथी के हमले में मारे गए इस युवक के पास शिनाख्त का कोई दस्तावेज न मिलने के कारण उसकी शिनाख्त नहीं हो पाई है। करीब 35 साल के इस युवक की शिनाख्त स्थानीय लोग भी नहीं कर पा रहे हैं। जिस कारण घटना के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने हाथी के हमले में जान गंवाने वाले इस युवक की लाश को कब्जे में लेकर पंचनामा करते हुए उसे फिलहाल मोर्चरी में रखवा दिया है।
लक्ष्मण झूला थाना प्रभारी विनोद गुसाईं ने बताया कि पुलिस ने शव कब्जे में लेकर उसे मोर्चरी में रखवा दिया है। उसकी शिनाख्त के प्रयास किए जा रहे हैं। शिनाख्त नहीं होने पर 72 घण्टे के बाद युवक का पोस्टमार्टम कराया जायेगा।
हाथी के हमले में युवक की मौत की जानकारी राजाजी टाइगर रिजर्व के वन अधिकारियों को दे दी गई है। हाथी का उत्पात देखते हुए नीलकंठ जाने वाले वाहनों के पहिए भी थम गए हैं। इसके साथ ही एहतियात बरतते हुए पुलिस ने भी गरुड़चट्टी पर ही कुछ देर के लिए वाहनों को रोक दिया।
इस घटना के बाद नीलकंठ मोटर मार्ग पर चलने वाले टैक्सी चालकों में हाथी को लेकर दहशत बरकरार है। उन्होंने हाथी प्रभावित वन क्षेत्र से गुजर रहे इस मार्ग पर वनकर्मियों की सुरक्षा गश्त को लगातार किए जाने की मांग की है।
इस इलाके में हाथी के हमले से मौत की यह कोई पहली घटना नहीं है। राजाजी नेशनल पार्क क्षेत्र से सटा होने के कारण पहले भी यहां कई घटनाएं हो चुकी हैं। अक्सर हाथियों के झुंड रिहायशी इलाके में चले आते हैं। और लोगों को आतंकित करते रहते हैं।
हाथियों के ये झुंड कुछ समय बाद जंगल में चले जाते हैं। लेकिन झुंड से अलग इकलौता हाथी अक्सर लोगों के लिए घातक साबित होता है। दरअसल अपने उत्पात और बदमाशी के चलते अनुशासनहीनता करने वाले ऐसे हाथी को हाथियों का यह झुंड अपने झुंड से बाहर निकाल देता है। झुंड से बाहर होने के बाद इकलौता हाथी पहले से भी ज्यादा उत्पात मचाना शुरू कर देता है।
उत्तराखंड में पहले भी इस तरह की अनेक घटनाएं देखने-सुनने को मिलती रही हैं जो अब तेजी से बढ़ती जा रही हैं।
उत्तराखंड के मशहूर पर्यावरणविद एस पी सती कहते हैं ‘उत्तराखंड में मनुष्यों और जानवरों के बीच टकराव बढ़ते ही जा रहे हैं। सरकार तथाकथित विकास के नाम पर जंगलों का सफाया कर रही है इससे जानवरों के खाने-रहने के लिए माहौल खत्म होता जा रहा है। मजबूरन वे आबादी की तरफ आते हैं जिसके परिणामस्वरूप यह टकराव बढ़ता ही जा रहा है। मनुष्य और जानवरों को बीच का यह टकराव आने वाले समय में और भी बढ़ने की आशंका है।‘
(जनचौक की रिपोर्ट)