चंडीगढ़ में ‘आप’ कार्यालय को जमीन आवंटित करने से राज्यपाल का इनकार

पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने आम आदमी पार्टी (आप) को चंडीगढ़ में कार्यालय खोलने के लिए जमीन आवंटित करने से दो-टूक इनकार के बाद पंजाब में राजनीति सुलग रही है। यह मामला दिल्ली तक पहुंच गया है। चंडीगढ़ में कांग्रेस और भाजपा को यूटी प्रशासन की ओर से दफ्तर बनाने के लिए जमीन अलॉट की हुई है और बाकायदा दफ्तर बने भी हुए हैं लेकिन ‘आप’ को साफ इंकार कर दिया गया। मुख्यमंत्री, मंत्रिमंडल के सदस्य, विधायक और आम आदमी पार्टी समर्थक इसे केंद्र का ‘आप’ के प्रति खुला पक्षपात मानते हैं। इस मुद्दे को लेकर पार्टी सड़कों पर संघर्ष भी कर सकती है, ऐसे संकेत खुद पार्टी नेताओं ने दिए हैं।

आम आदमी पार्टी ने कहा है कि अगर राज्यपाल पार्टी कार्यालय के लिए जमीन नहीं देना चाहते तो ‘आप’ राजभवन के समक्ष दफ्तर खोलेगी। इस से राज्यपाल का पक्षपात भी जगजाहिर होगा। वरिष्ठ मंत्री हरपाल सिंह चीमा के अनुसार, “नियमानुसार राज्यपाल को आम आदमी पार्टी के लिए तुरंत जमीन आवंटित करनी चाहिए। यह पार्टी का हक है।”

स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह कहते हैं, “राज्य में जिस दिन से आम आदमी पार्टी सरकार का गठन हुआ है, केंद्र के इशारे पर राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित किसी न किसी बहाने ‘आप’ को तंग-परेशान कर रहे हैं। रोज कोई न कोई बहाना ढूंढा जाता है। राज्यपाल ने साबित कर दिया है कि वह सही मायनों में केंद्र के एजेंट हैं और सारा काम उसी के इशारे पर करते हैं। यह घोर अलोकतंत्रवादी है। सत्तारूढ़ पार्टी को कमजोर करना समूचे सूबे को कमजोर करना है।” एक अन्य मंत्री ने कहा कि राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित को अपनी शक्तियों का माकूल इस्तेमाल करना चाहिए।

विपक्ष की ओर से इसकी प्रतिक्रिया आनी शुरू हो गई है। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा का कहना है कि राजभवन के समक्ष कार्यालय खोलने की घोषणा मूर्खता भरा बयान है। चंडीगढ़ में विधानसभा बनाने के लिए हरियाणा को दस एकड़ जमीन देने की योजना बनाई जा रही है और इस पर आम आदमी पार्टी रोष-प्रदर्शन नहीं करती। मुख्यमंत्री भगवंत मन को अवाम को बताना चाहिए कि चंडीगढ़ में आम आदमी पार्टी का कार्यालय पंजाब व पंजाबियों के बड़े हितों की पूर्ति कैसे करेगा?

वरिष्ठ भाजपा नेता हरजीत सिंह ग्रेवाल के अनुसार, “जब आम आदमी पार्टी चंडीगढ़ में जमीन लेने के लिए शर्तें ही पूरी नहीं करती तो इस तरह राजभवन के आगे कार्यालय खोलने जैसी ड्रामेबाजी करने वाले बयान देना हास्यास्पद है।”

गौरतलब है कि पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित और मुख्यमंत्री भगवंत मान का इन दिनों छत्तीस का आंकड़ा है। दोनों आपस में जुड़े हुए हैं। रोज एक दूसरे के खिलाफ बयानबाजी करते हैं। राज्यपाल ने सरकार की कई फाइलें रोक रखी हैं और कई ऐसे फैसले किए हैं जिससे राज्य की अफसरशाही मुसीबत में है। शनिवार को जालंधर के पुलिस कमिश्नर से सीबीआई ने कई घंटे पूछताछ की।

पुलिस कमिश्नर कुलदीप चाहल की राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित से तब से अदावत है जब वह चंडीगढ़ के एसएसपी से थे। राज्यपाल के सख्त एतराज के बाद उनका तबादला जालंधर कर दिया गया और राज्यपाल की सिफारिश पर ही उनके खिलाफ सीबीआई जांच चल रही है। बनवारीलाल पुरोहित चाहते हैं कि कुलदीप चाहल को जालंधर के पुलिस कमिश्नर पद से भी हटाया जाए लेकिन मुख्यमंत्री भगवंत मान इसके लिए राजी नहीं। कई अन्य मामले हैं, जिन्हें लेकर राज्यपाल-मुख्यमंत्री आमने-सामने हैं। दोनों की जिद्द आम जनता का नुकसान होना स्वाभाविक है। जनहित के कई राज्यपाल के पास पेंडिंग हैं। मुख्यमंत्री ने इसे भी बड़ा मुद्दा बनाया हुआ है, लेकिन फिलहाल तक समाधान की ओर जाता कोई रास्ता दिखाई नहीं देता।

इस बाबत भगवंत मान ठीक आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल के नक्शे-कदम पर चल रहे हैं। उनकी भी दिल्ली के किसी राज्यपाल से नहीं बनी। पंजाब में पहली बार ऐसा हो रहा है कि किसी मुख्यमंत्री की राज्यपाल से इतनी ज्यादा अदावत हो। भगवंत मान का आरोप यहां तक है कि बनवारीलाल पुरोहित राज्य सरकार के कामकाज में दखल देते हैं। राज्यपाल से साफ इनकार करते हैं और कहते हैं कि वह संविधान के तहत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल कर रहे हैं। उन पर आरोप लगाने से पहले मुख्यमंत्री को संविधान का अध्ययन करना चाहिए।

(अमरीक वरिष्ठ पत्रकार हैं और पंजाब में रहते हैं।)

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments