Sunday, April 28, 2024

ग्राउंड से चुनाव: प्रदेश अध्यक्ष को टिकट देने से नाराज जनता को कैसे खुश करेगी कांग्रेस

बस्तर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के पहले चरण के चुनाव लिए सभी पार्टियों ने कमर कस ली है। बस्तर की 12 सीटों में चित्रकोट और कोंटा विधानसभा इस बार हॉट सीट है। कोंटा से आबकारी मंत्री कवासी लखमा और चित्रकोट से पीसीसी अध्यक्ष और बस्तर लोकसभा के सांसद दीपक बैज मैदान पर हैं। जिनके लिए कांग्रेस के शीर्ष नेता बस्तर में प्रचार करने आए हैं।

इस विधानसभा का हाल जानने के लिए जनचौक की टीम चित्रकोट विधानसभा गई। शुक्रवार के दिन इसी विधानसभा के लोहंडीगुडा में हाट बाजार लगा हुआ था। यहां सभी पार्टियाों के कार्यकर्ता और उम्मीदवार वोट की अपील करने के साथ पार्टियों ने रैली भी निकाली।

धर्मातरण एक बड़ा मुद्दा

इस दौरान हमें भाजपा की एक बड़ी रैली दिखी जिसमें प्रत्याशी विनायक गोयल के अलावा पूर्व विधायक लच्छुराम कश्यप प्रचार गाड़ी से धर्मातरण को लेकर प्रचार कर रहे थे। इस बार के चुनाव में धर्मातरण एक बड़ा मुद्दा है। जहां छत्तीसगढ़ के अन्य जगहों में भ्रष्टाचार एक बड़ा मुद्दा है। वहीं बस्तर में धर्मातरण सबसे अहम है। जिसमें भाजपा कांग्रेस को घेरने पर लगी हुई है।

इसी हाट बाजार में सड़क के बीचों-बीच भाजपा के पूर्व मंत्री लच्छुराम कश्यप एक गाड़ी से लोगों को संबोधित करते हुए धर्मातरण पर बात कर रहे थे। वो कहते हैं कि “ये लोग हिंदू आदिवासियों को ईसाई बना रहे हैं। इनसे बचने के जरुरत है”।

वह जनता को कहते हैं कि आप लोगों ने ऐसे इंसान को छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री बनाया जिसने बस्तर और छत्तीसगढ़ का नाश कर दिया है। ये लोग चित्रकोट विधानसभा के एक-एक जन को ईसाई बना रहे हैं। इनको बहुत घमंड है कि वो घर बैठे चुनाव जीत जाएंगे। लेकिन आप लोग सात तारीख को अपनी वोट की ताकत दिखाकर इनकाे घमंड को तोड़ देना।

इसी जगह पर “हमर राज पार्टी”, बसपा और कुछ देर बाद कांग्रेस का चुनावी जुलूस आ पहुंचा। पूरे हाट में एक तरफ लोग साप्ताहिक सामान लेने की तेजी कर रहे थे। दूसरी ओर चुनावी माहौल के बीच कार्यकर्ता जनता को पैम्पलेट बांट रहे थे। स्पीकर के बीच सभी पार्टियों का प्रचार चल रहा था। इसी बीच जनचौक की टीम बाजार में घूमकर लोगों से वोट के बारे में जानने की कोशिश कर रही थी।

जमीन वापस हुई है

इसी क्रम में हमें बुदरु कश्यप और कुछ लोग मिले। बुदरु की उम्र 70 साल थी। उन्होंने कई चुनाव अपने जीवन में देखें हैं। वह बहुत कम हिंदी बोल पा रहे थे। लेकिन इतनी हिंदी आती थी कि अपनी बात को बता सकें। वो कहते हैं “मैं हाथ छाप में वोट दूं”। मैंने पूछा दीपक बैज से कभी मिले हैं? इसका जवाब सिर्फ इतना था काम हुआ है इसलिए हाथ छाप को वोट दूंगा।

बुदरु के बगल में खड़े एक शख्स ने हमें बताया कि सरकार लोहंडीगुडा में जमीन वापस करने की जो बात कर रही है वह सच है। मेरे एक रिश्तेदार को यह जमीन वापस मिल गई है। कांटे की टक्कर की बात करते हुए वह कहते हैं कि इस बार भी कांग्रेस ही आएगी।

इस बाजार में कहीं सब्जी, चिकन, मछली, राशन, घर में इस्तेमाल होने वाला सामान, बर्तन बिक रहे थे तो एक कोने में मुर्गो को लड़ाई के लिए लाया गया था। विभिन्न गांव से लोग अपने-अपने मुर्गे को लड़ाने को लेकर आए थे। इस लड़ाई में कोई भी चुनाव पर बात करने को तैयार नहीं था।

मूलभूत सुविधा से वंचित लोग

कुछ महिलाएं एक जगह महुआ बेचने आई थी। पहले तो ये कुछ बोल नहीं रही थी। फिर बात का सिलसिला आगे बढ़ा तो सुकाली कश्यप ने अपने मन की बात बताई की। सुकाली के छह बच्चे हैं। जिसमें से दो लड़कियों की शादी हो गई है। बाकी पढ़ते हैं और पति खेती बाड़ी करता है। वह भी उसके साथ मदद करती है।

हल्बी में वह कहती है कि मेरे यहां तो न तो बिजली है न पानी की सुविधा है। ऐसे में इन नेताओं का मैं क्या करुं। मेरा घर अंदर की तरफ रोड के किनारे है। इसका यह मतलब नहीं है कि मुझे सुविधा नहीं दी जाएगी। जबकि मैं तो वोट भी देती हूं।

सुकाली की एक और शिकायत थी कि सबको सोसायटी से सरकारी चावल मिल रहा है लेकिन उसे नहीं मिल रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण था नया राशन कार्ड नहीं बन पाना। वह कहती हैं कि हमारा बीपीएल कार्ड नहीं बन पा रहा है। इसके लिए हमने कोशिश की। लेकिन किसी ने हमारी मदद नहीं की।

चित्रकोट विधानसभा सीट राजनीतिक तौर पर भी बहुत महत्वपूर्ण सीट है। यहां से पिछले विधायक रहें राजमन बेंजान का टिकट काटकर प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज को टिकट दी गई है। इसको लेकर भी लोगों के बीच में गुस्सा है।

राजमन बेंजान का टिकट कटने से नाराज युवा

एक युवक ने नाम न लिखने की शर्त पर टिकट कटने पर अपना रोष व्यक्त किया। उसने कहा कि कांग्रेस की सभा में लोगों की कमी आई है। पहले इनके पीछे बहुत लोग होते थे। लेकिन अब लोगों में टिकट काटने को लेकर गुस्सा है।

युवक के अनुसार राजमन बेंजान लोगों के बीच में बहुत प्रिय थे। जनता उनके काम को पसंद भी करती है। यहां तक की जनता इस बार फिर उसे ही चाहती थी।

चित्रकोट विधानसभा का इतिहास

चित्रकोट विधानसभा साल 2008 से पहले केशलूर विधानसभा के नाम से जानी जाती थाी। साल 2003 और 2008 में यहां से बीजेपी की जीत हुई। लेकिन 2013 में कांग्रेस की तरफ से दीपक बैज और भाजपा की तरफ से एक फिर बैदूराम कश्यप को टिकट मिला। इस बार के चुनाव में दीपक बैज ने बैदूराम कश्यप को 12 हजार वोटों से हराकर चित्रकोट विधानसभा को कांग्रेस का गढ़ बनाने का काम किया। साल 2018 मे दोबारा दीपक बैज यहां से विधायक बने।

इसी बीच साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में उन्हें बस्तर से कांग्रेस प्रत्याशी बनाया गया। छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों में से सिर्फ दो पर कांग्रेस की जीत हुई थी। इसमें से एक बस्तर की सीट थी। सांसद बनने के बाद यहां उपचुनाव हुए और कांग्रेस को एक फिर जीत मिली और राजमन बेंजान विधायक बने। लेकिन 2023 में जब विधानसभा चुनाव हो रहा है तो चित्रकोट की जनता विधायक का टिकट कटने से नाराज दिखाई दे रही है।

चित्रकोट विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या 1 लाख 68 हजार 77 हैं। यहां महिला मतदाताओं की संख्या ज्यादा है। जातिगत समीकरण के हिसाब से विधानसभा में 70% माड़ीया, 20% मुरिया और 10% सामान्य है।

चित्रकूट विधानसभा के अंतर्गत तीन विकासखंड आते हैं। लोहंडीगुडा, बास्तानार और तोकापाल। इसके अलावा मिनी नयाग्रा कहा जाने वाले चित्रकूट जलप्रपात यहीं है। पर्यटक स्थल होने के कारण यहां से प्रति वर्ष सरकार को लाखों की कमाई होती है। इसी विधानसभा क्षेत्र के राम वन गमन पथ भी है। 

नाक का सवाल है यह सीट

चित्रकोट के राजनीतिक समीकरण पर हमने जगदलपुर के वरिष्ठ पत्रकार संजीव पचौरी से बातचीत की। उन्होंने बताया कि इस समय की परिस्थिति के हिसाब से देखे तो चित्रकोट इसलिए हॉट सीट बनी हुई है क्योंकि यहां से कांग्रेस के पीसीसी अध्यक्ष और सांसद मैदान में हैे और बीजेपी के लिए यह इसलिए महत्वपूर्ण है अगर वह इस सीट को जीत लेते हैं तो प्रदेश में बीजेपी के प्रति एक अच्छा मैसेज जाएगा। जो 2024 के लोकसभा चुनाव में भी इन्हें फायदा पहुंचाएगी।

जनता के उलट संजीव पचौरी का कहना है कि रामजन बेंजाम का जनता के साथ खास ताल्लुक नहीं था। इसका कांग्रेस को नुकसान भी हुआ था। अब इस खाई को भरने के लिए दीपक बैज को मैदान में उतारा गया है। इसका फायदा जरूर कहीं न कहीं कांग्रेस को मिलेगा।

धर्मातरण पर बात करते हुए वह कहते हैं कि कांग्रेस पार्टी धर्मातरण का विरोध नहीं करती लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि वह समर्थन कर रही है। वह ईसाईयों को मतदाता के तौर पर मानकर चलती है। जबकि भाजपा और उनसे जुड़े हुए संगठन हमेशा इनका विरोध करते रहे हैं।

इस स्थिति में ईसाई लोगों का वोट कांग्रेस को मिल जाएगा। वहीं दूसरी ओर एक तबका जो आदिवासियों के ईसाई बनने से नाराज है। उसका वोट सीधी तौर पर भाजपा को ही जाएगा।

वहीं छत्तीसगढ़ के राजनीतिक विश्लेषक शशांक तिवारी ने चित्रकोट विधानसभा के बारे में कहा कि राजमन बेंजाम का टिकट कटने के बाद उनके समर्थकों में नाराजगी थी। बात यहां तक आ रही थी वह निर्दलीय भी लड़ सकते हैं। लेकिन बाद में मामला शांत हो गया ।

वह बताते हैं कि ग्रामीणों के बीच से यह भी बात सामने आई है कि दीपक बैज के सांसद बनने के बाद लोगों के बीच में उनकी सक्रियता कम हुई है।

यहां तक कि धर्मातरण वाले मामले में भी भाजपा उन्हें हमेशा घेरती रही है। भाजपा का कहना है कि दीपक बैज खुद ईसाई हैं। इसलिए यहां बड़ी संख्या में आदिवासी ईसाई बन रहे हैं। जबकि इस मामले में दीपक बैज ने खुद कभी कुछ नहीं कहा है।

हालांकि भाजपा ने इसको चुनावी मुद्दा बनाया है। जाहिर तौर जो लोग धर्मातरण से खुश नहीं है भाजपा को उनका समर्थन मिलेगा।  

नौकरी से ज्यादा वनोपज है आसरा

बेरोजगारी चित्रकोट का एक स्थानीय मुद्दा है। इस पर बात करते हुए संजीव पचौरी कहते हैं कि बस्तर की 80 प्रतिशत जनता वनोपज पर आश्रित है। वह नौकरी कम ढूंढती है। बाकी ग्रामीणों के लिए जो सरकारी योजनाएं हैं उनमें भी उन्हें काम मिल जाता है। इसलिए यहां नौकरी के लिए ऐसी स्थिति नहीं है।

वह कहते हैं चित्रकोट बहुत विकसित क्षेत्र नहीं है। यहां बहुत कम पढ़े लिखे लोग हैं जो नौकरी तलाश रहे हैं। इसलिए यहां ऐसा मामला नहीं है जहां नौकरी को लेकर लोग कांग्रेस पार्टी के खिलाफ वोट करें।

जमीन वापसी को कांग्रेस को फायदा

इस सीट को लेकर सीएम भूपेश बघेल अपने भाषणों में जमीन वापस करने की जिक्र करते हैं। दरअसल साल 2008 में भाजपा की सरकार के दौरान यहां टाटा ने स्टील प्लांट की नींव रखी और इसके लिए सैंकड़ों किसानों की जमीन अधिग्रहीत की गई। इसमें किसानों को मुआवजा भी मिला। लेकिन किसी कारणवश यहां प्लांट नहीं लग पाया।

साल 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने जमीन वापसी के मुद्दे को उठाया और अब लोगों को जमीन वापस मिल गई है। इसका चुनाव पर कितना असर पड़ेगा इसके बारे में संजीव पचौरी कहते हैं कि जमीनें किसानों से ली गई थी लेकिन उन्हें सुपुर्द नहीं किया गया था। किसान आखिरी तक उसमें खेती कर रहे थे। अब प्लांट नहीं लग पाया आखिर में तकनीकी तौर पर जमीन किसानों को वापस की गई है। इससे पहले कई किसानों को मुआवजा भी मिल गया था। इससे किसानों को डबल फायदा हुआ उऩ्हें जमीनें भी मिल गई और किसानों को पैसा भी मिला। जिसका सीधा दूसरी बार फायदा कांग्रेस को मिलने जा रहा है।

(बस्तर से पूनम मसीह की रिपोर्ट।)

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