‘मंत्री दंपति’ को रास नहीं आई आईएएस दिव्या मित्तल की लोकप्रियता

मिर्जापुर। संघ-भाजपा के राज में मोदी-योगी को अपने अलावा किसी भी शख्स की मीडिया और जनता के बीच लोकप्रियता बर्दाश्त नहीं है। इन दोनों शीर्ष नेताओं के नक्शेकदम पर अब केंद्र और यूपी सरकार के अन्य मंत्री-सांसद और विधायक भी चलने लगे हैं। मंत्रियों-विधायकों को किसी अधिकारी का जनता के बीच जाना पसंद नहीं है। तभी तो मिर्जापुर की लोकप्रिय जिलाधिकारी दिव्या मित्तल का स्थानांतरण अचानक बस्ती जनपद के लिए कर दिया गया।

सोशल मीडिया से लेकर विपक्षी नेता तक इस ट्रांसफर के पीछे राजनीतिक कारण बता रहे हैं। भाजपा से निष्कासित फायर ब्रांड नेता मनोज श्रीवास्तव ने तो इसके लिए केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल और उनके पति योगी सरकार में मंत्री आशीष पटेल को जिम्मेवार बता रहे हैं।

लोकप्रिय जिलाधिकारी दिव्या मित्तल का ट्रांसफर मिर्जापुर में मुद्दा बन गया है। आम जनता से लेकर विपक्ष के नेता सवाल उठा रहे हैं। समाजवादी पार्टी जिलाध्यक्ष देवी प्रसाद चौधरी के नेतृत्व में सपा कार्यकर्ताओं ने मुख्यालय पर प्रदर्शन कर स्थानांतरण रद्द करने की मांग भी की। वहीं खुद बीजेपी के अंदरखाने से भी जिलाधिकारी के स्थानांतरण को लेकर चर्चा तेज हो गई है, लोगों ने इसे गलत करार दिया है।

लोगों का कहना है कि “जिस तरह जिलाधिकारी दिव्या मित्तल ने जिले के विकास के प्रति सजग तरीके से काम किया है। कम दिनों में ही वह जनता के बहुत नजदीक हो गईं। यही बात यहां के नेताओं को रास नहीं आई। जिसका खामियाजा जिले की जनता को भुगतना पड़ेगा।

मीडिया रिपोर्टस के अनुसार मिर्जापुर के इतिहास में पहली बार किसी जिलाधिकारी के काम को आम जनता से सराहना मिली। जिले में पक्का घाट का निर्माण और चुनार किले पर महोत्सव कराकर पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया। इसके अलावा ‘मेरा गांव-मेरा गौरव’ अभियान चलाकर प्रशासन को जनता से जोड़ा। यहीं से वह राजनेताओं की आंखों की किरकिरी बन गईं। जिला प्रशासन की पहल से जनता नेताओं से कटकर प्रशासन से जुड़ने लगी, यह ख्याति जिले के नेताओं को रास नहीं आई है।

सोशल मीडिया पर राजनीतिक कारणों से ट्रांसफर कराने का आरोप

व्यापारी नेता शैलेंद्र अग्रहरी ने ट्वीट कर कहा कि “मिर्जा़पुर की दमदार, ईमानदार, संवेदनशील और लोकप्रिय जिलाधिकारी दिव्या मित्तल का बस्ती और बस्ती से प्रियंका निरंजन का मिर्जापुर स्थानांतरण आदेश के मीडिया में आने के बाद चंहुओर चर्चा है कि जिले के मंत्री दंपति जिलाधिकारी की बढ़ती लोकप्रियता से थे परेशान, मंत्री ने अपने ‘बेदम’ निर्णय से दम दिखाया है।”

एक कार्यक्रम के दौरान जिलाधिकारी दिव्या मित्तल के व्यक्त विचारों का उल्लेख करते हुए वह “जनचौक” को बताते हैं “जाते जाते जिलाधिकारी दिव्या मित्तल भावुक हुईं, उन्होंने यहां हर बैठक व सभा में मिर्जा़पुर को अपना दूसरा घर बताया था। पिछले महीने ही डॉ. काशी प्रसाद जायसवाल की स्मृति में आयोजित एक कार्यक्रम में भावुक हो उन्होंने कहा था कि “इतना स्नेह इतनी चाहत देने वाले लोग दुनिया में और कहीं नहीं हो सकते” सरलता और सहजता की बयार बहती है यहां, यहां के लोग अपनी संवेदनाओं और सरलता से हर किसी को अपना बना लेते हैं। इस जिले में विकास की गंगा चारों ओर बहे मैं इसके लिए काम कर रही हूं। उन्होंने कहा कि अभी तक मिर्जा़पुर के किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में मैं अपना सबसे लम्बा भाषण दे रही हूं।

शैलेंद्र अग्रहरी ने कहा कि मैं संस्मरणों के माध्यम से यही कह सकता हूं कि ऐसी तमाम यादें और बातें लेकर इस जिले में हमेशा याद किये जाने वाली अधिकारी के रूप में जिले की आम आवाम के दिलों में अपनी जगह बना गयीं दिव्या मित्तल।

दिव्या मित्तल ने अपने स्थानान्तरण के बाद बड़े ही मार्मिक शब्दों में जो कहा वह मिर्जा़पुर से उनके लगाव को स्वतः दर्शाता है। उन्होंने लोगों से सम्पर्क में रहने के लिए अपना सम्पर्क सूत्र सार्वजनिक किया। उनका यह अंदाज कुछ नेताओं के लिए चुभन जैसा होगा, पर मिर्जा़पुर के सामान्य जन ने इसका स्वागत किया है।

भाजपा नेता मनोज श्रीवास्तव कहते हैं कि “मिर्ज़ापुर की जिलाधिकारी दिव्या मित्तल के अचानक स्थानांतरण से मिर्ज़ापुर का जन और मन आहत, अचम्भित है। दिव्या मित्तल का स्थानांतरण बाहर से आए हुए जनप्रतिनिधियों को संदेह के घेरे में खड़ा कर रहा है। जिन्हें मिर्ज़ापुर के विकास से नही सिर्फ अपना और दल के विकास से मतलब है।”

अवैध खनन गुट के निशाने पर थीं दिव्या मित्तल

वरिष्ठ पत्रकार महेन्द्र कुमार पाण्डेय डीएम दिव्या मित्तल के स्थानांतरण को माइनिंग, अवैध खनन और बैरियर हटाने को स्थानांतरण से जोड़कर देखते हैं। वह कहते हैं “जिस तरीके से मिर्जापुर की राजनीति में “अपना और दल” का वर्चस्व बढ़ा है और भारतीय जनता पार्टी की खामोशी कम आश्चर्यजनक नहीं है। खनन और टोल प्लाजा, बैरियर लगाकर अवैध वसूली को जिलाधिकारी दिव्या मित्तल द्वारा रोकना भारी पड़ गया।

पिछले जुलाई से ही मिर्जापुर की धरती पर चारागाह के रूप में उपयोग करने वाले ‘बंटी’ और ‘बबली’ के लिए जिलाधिकारी खटक रही थीं और अंततः उनका स्थानांतरण करा दिया गया। जनता के दुःख-सुख, उनकी समस्याओं को प्राथमिकता के आधार पर दूर करने वाली दिव्या मित्तल का अचानक स्थानांतरण आगामी लोकसभा चुनाव के लिए गठबंधन के नाम पर मिर्जापुर की जनता को बेवकूफ बनाना महंगा पड़ेगा। जिस तरीके से मिर्जापुर जनपद का आम जनमानस दिव्या मित्तल के लिए और उनके कार्यशैली से प्रभावित है राजनीतिक में गहरा असर होगा।”

पत्रकार रामलाल साहनी कहते हैं “जिलाधिकारी दिव्या मित्तल के स्थानांतरण की चर्चा आम आदमी से लेकर खास तक के बीच आज जनपद में सबसे अधिक हो रही है तो वहीं मिर्जापुर की जनता भी इस स्थानांतरण से नाखुश लग रही है। जिससे साफ झलक रहा है कि सत्ताधारी और उसके सहयोगी दल की मनमानी ज्यादा दिनों तक नहीं चलने वाली है क्योंकि इस बार विकल्प अच्छा रहा तो बदलाव निश्चित ही होकर रहेगा।”

डीएम के स्थानान्तरण पर विपक्ष हुआ मुखर

जिलाधिकारी दिव्या मित्तल का स्थानान्तरण रदृद करने को लेकर समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष देवी प्रसाद चौधरी के नेतृत्व में महामहिम राज्यपाल को सम्बोधित ज्ञापन अपर जिलाधिकारी (नमामि गंगे) देवेन्द्र प्रताप सिंह, नगर मजिस्ट्रेट विनय सिंह को सौंपते हुए इसे अनुचित करार दिया गया। समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष देवी प्रसाद चौधरी ने कहा कि “जिलाधिकारी दिव्या मित्तल विकास की एक उम्मीद की एक किरण थी और जिले के विकास में उनका बड़ा योगदान रहा है। लहुरियादह में गांववासियों को नल का पानी पहुंचाकर पुनीत कार्य किया है। उनके स्थानान्तरण से आमजन मानस को ठेस लगा है। सत्ता पक्ष के शह पर इनका स्थानान्तरण हुआ है इसे रद्द किया जाय।

तेज तर्रार महिला आईएएस अधिकारी दिव्या मित्तल का बिना किसी लाग-लपेट, तामझाम से इतर हटकर काम करना ही “फीताकाट, छपास रोगी” नेताओं को रास नहीं आया है।

और यही उनके अचानक स्थानांतरण का कारण बन बैठा। जिलाधिकारी दिव्या मित्तल के स्थानांतरण से “फीताकाट” नेताओं की मंशा को भांप चुकी जिले की जनता सोशल मीडिया सहित अन्य माध्यमों से जहां सरकार से सवाल करती हुई नज़र आ रही है तो वहीं समाजवादी पार्टी सहित कई अन्य दलों से लगाए प्रबुद्ध वर्ग के लोगों ने भी दिव्या मित्तल के स्थानांतरण को अनुचित करार देते हुए “बंटी और बबली” का करामात का होना करार दिया है।

दूसरी ओर मिशन 2024 को लेकर संजीदा केन्द्र और प्रदेश की सरकारें लोक लुभावन घोषणाओं, वादों के जरिए जनता के बीच अपने प्रभाव को कायम रखने के लिए व्याकुल नजर आ रही हैं तो वहीं मिर्ज़ापुर की जनता सरकार से सवाल दाग रही है कि आखिरकार जिलाधिकारी दिव्या मित्तल के अचानक स्थानांतरण के क्या मायने हैं?

जनता के बीच सुलभ होकर उनकी सुनना और समाधान कराने से लेकर जिस “लहुरियादह” के लोग पहाड़ पर 76 सालों पानी पहुंचने की आस लगाए बैठे हुए थे उसे दिव्या मित्तल ने अपने कार्यकाल में प्राथमिकता के आधार पर न केवल पूर्ण कर दिखलाया है, बल्कि लहुरियादह के ग्रामीणों से किए गए वादों को भी पूरा किया है। क्या ग़लत रहा है?

डीएम नहीं बहन और बेटी के तर्ज पर होती थी मुखातिब

महज 346 दिन के कार्यकाल के दौरान मिर्ज़ापुर की जिलाधिकारी के तौर पर आईएएस अधिकारी दिव्या मित्तल ने जिले में जो छाप छोड़ी वह अविस्मरणीय है। शासन की योजनाओं, नीतियों या जिले में धार्मिक-सांस्कृतिक, ऐतिहासिक प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण संपदाओं विरासतों को सहेजने संवारने से लेकर उनके जीर्णोद्धार तक में जिलाधिकारी के तौर पर दिव्या मित्तल ने जो कर दिखलाया वह हर किसी के वश की बात नहीं रही है। आमजनों के लिए वह सदैव बतौर डीएम नहीं, बल्कि बेटी और बहन के रूप में मुखातिब होती थी, मातहतों से लेकर सरकारी मुलाजिम चाहे अधिकारी हो या कर्मचारी उसके साथ भी सहज अंदाज था मिलने और उनकी भी समस्याओं को सुनने की उनकी यही सादगी भरा निराला अंदाज हर किसी को प्रिय था।

जब “जनचौक” की रिपोर्ट पर गंभीर हो उठी थी दिव्या मित्तल

“22 जनवरी 2023 में अपने ‘पहला पन्ना’ कालम में “जनचौक” ने मिर्जापुर के हलिया विकास खंड के पहाड़ी और जंगली भू भाग वाली एरिया में देश की आजादी के 76 वर्ष बाद भी मूलभूत सुविधाओं की जमीनी हकीकत को देखने की गरज से जब पड़ताल किया था तो हलिया विकासखंड के ही चंद्रगढ़ मुंडेल से बबुरा रघुनाथ सिंह गांव की ओर जाने वाले मार्ग पर सूख चुकी पहाड़ी नदी के दूषित पानी का सेवन करते हुए एक महिला को अपने कैमरे में उस मार्मिक और व्यवस्था को झकझोर कर रख देने वाले दृश्य को कैद किया था।

इस रिपोर्ट के माध्यम से “जनचौक” ने लहुरियादह पहाड़ पर बसे ग्रामीणों की पानी को लेकर चली आ रही दशकों पूर्व समस्या को भी न केवल प्रमुखता से उठाया था, बल्कि जिलाधिकारी के प्रयासों को भी ग्रामीणों के शब्दों में ही स्थान दिया था कि किस प्रकार से ग्रामीण अब जिलाधिकारी के प्रयासों को लेकर उत्साहित हैं और उन्होंने क्या बोला था।

पानी को लेकर “जनचौक” की इस रिपोर्ट पर जिलाधिकारी डीएम दिव्या मित्तल ने पहले तो अफसोस व्यक्त करते हुए “ओफ” कहा था, फिर तपाक से बोली थीं “नहीं होगी पानी को लेकर परेशानी, हर घर, व्यक्ति को सुलभ होगा स्वच्छ जल” इसी के साथ ही जिलाधिकारी ने “जनचौक” की रिपोर्ट की सराहना करते हुए के विकास और लंबित पड़े समस्याओं के समाधान के लिए खुलकर बात की थी बल्कि अपील की थी।

जनप्रतिनिधियों से कहीं ज्यादा डीएम की दिखी लोकप्रियता

जिलाधिकारी दिव्या मित्तल जनता में जन प्रतिनिधियों से ज्यादा लोकप्रिय थीं। उनकी लोकप्रियता के कई वजह रहे हैं, वह अधिकारी रहते हुए जिले के विकास कार्यों के साथ ही साथ इसे सजाने और संवारने में भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ा था।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट विंध्य कॉरिडोर परिपथ का लगातार निरीक्षण करने के साथ ही साथ ऐतिहासिक चुनार किले के वैभव को पुनः स्थापित करने, पर्यटन की असीम संभावनाओं को खोलकर स्वरोजगार के अवसर बढ़ाने, लोगों के लिए सर्व सुलभ होने, पक्ष विपक्ष की राजनीति से दूर हटकर एक जिलाधिकारी के तौर पर काम करती थीं।

भाजपा की चुप्पी में दिख रही है उनकी लाचारी

मिर्जापुर भाजपा संगठन एक दल विशेष के हाथों की कठपुतली बनकर रह गया है। यह बातें जन-जन की जुबान पर अब तेजी से सुनने में आने लगी है। जिलाधिकारी के स्थानांतरण के बाद जिस प्रकार से जिले की राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई है। आम जनों से लेकर प्रबुद्ध वर्ग और विपक्षी दलों ने सरकार और उसके सहयोगी दलों के कामकाज पर उंगलियां उठाना प्रारंभ किया है।

(मिर्जापुर से संतोष देव गिरि की रिपोर्ट।)

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