लखनऊ। मोदी-योगराज में देश और प्रदेश के अस्पतालों, स्टेशनों, विश्वविद्यालयों और शहरों का नाम बदल कर संघ-भाजपा के नेताओं के नाम करने का तो सिलसिला ही चल रहा है। लेकिन इस प्रक्रिया में अस्पतालों, विश्वविद्यालयों और अन्य संस्थानों की हालत खस्ता होती जा रही है। मोदी-योगी सरकार की चिंता नाम बदलने तक सीमित है, देश-प्रदेश के सरकारी संस्थानों में जरूरी सुविधाओं की उपलब्धता उनकी चिंता का विषय नहीं है। तभी तो लखनऊ में स्थित प्रदेश का जाना-माना कैंसर संस्थान बदहाली का शिकार है।
कल्याण सिंह सुपर स्पेशियलिटी कैंसर संस्थान बदहाली का शिकार है। संस्थान में उपचार के जरूरी सुविधाओं के अभाव के साथ ही पैरामेडिकल स्टाफ और कर्मचारियों की कमी है। सुपर स्पेशियलिटी कैंसर संस्थान में पिछले लगभग दो साल से स्थाई निदेशक की नियुक्ति तक नहीं हुई है। जबकि संस्थान की नियमावली के अनुसार कोई भी कार्यवाहक निदेशक एक साल से अधिक अपने पद पर नहीं रह सकता है। जबकि पिछले एक साल 10 माह से पीजीआई के निदेशक आरके धीमान संस्थान के कार्यवाहक निदेशक हैं।
नियमावली यह भी कहती है कि संस्थान के डाक्टरों और कर्मचारियों को 7 वां वेतनमान दिया जाए लेकिन संस्थान कर्मियों को यह भी मयस्सर नहीं है। पिछले 3 सालों में 19 क़ाबिल डॉक्टर संस्थान से इस्तीफ़ा दे चुके हैं। जबकि संस्थान के सूत्रों का कहना है वे डॉक्टर संस्थान छोड़कर जाना नहीं चाहते थे लेकिन उन्हें मजबूरी में जाना पड़ा।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के संगठन सचिव अनिल यादव ने कहा कि योगी सरकार को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा बनाने में कोई दिलचस्पी नहीं है। जिसका जीता- जागता उदाहरण यह संस्थान है। इस संस्थान में पैरामेडिकल स्टाफ़ और सहायक कर्मचारियों की नियुक्ति भी नहीं हो रही है। सिर्फ़ इतना ही नहीं संस्थान में कई क़िस्म घोटाले की भी सम्भावना है। संस्थान के बदहाली के चलते मरीज़ बुरी तरीके से प्रभावित हो रहे हैं।
अनिल यादव ने कहा कि कल्याण सिंह कैंसर संस्थान को योगी आदित्यनाथ की सरकार खंडहर में बदलने के लिए आमादा है। कैंसर जैसी गंभीर बीमारी को लेकर प्रदेश सरकार को रत्ती भर चिंता नहीं है। प्रदेश में बढ़ रहे कैंसर मरीजों के इलाज को लेकर सरकार घोर लापरवाही और संवेदनहीनता प्रदर्शित कर रही है।
उन्होंने एक शोध का हवाला देते हुए कहा कि कैंसर के 80 फीसदी मरीजों को ठीक समय पर इलाज नहीं मिल पाता है। जिसका कारण है कि करोड़ों- अरबों रुपये से अपना चेहरा चमकाने वाली प्रदेश सरकार को इस जनसरोकार के मुद्दे से कोई चिंता नहीं है।
कांग्रेस नेता अनिल यादव ने कहा कि इतने संवेदनशील विषय पर लापरवाही भरा रवैया अपनाने के लिए चिकित्सा शिक्षा मंत्री बृजेश पाठक को तत्काल मंत्रीमंडल से बर्खास्त किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस संस्थान के कर्मचारियों को सातवां वेतन दिलाने और प्रदेश भर के कर्मचारियों को ओल्ड पेंशन स्कीम दिलाने की लड़ाई लड़ने को प्रतिबद्ध है। जल्द ही पार्टी का एक प्रतिनिधि मंडल राज्यपाल से मिलकर उक्त मामले पर ज्ञापन भी देगा।
(जनचौक की रिपोर्ट।)