Saturday, April 20, 2024

लखनऊ में डीजीपी से मुलाकात कर एनकाउंटर में मारे गए कामरान के परिजनों ने मामले की जांच की मांग की

लखनऊ। आज़मगढ़ के कामरान का लखनऊ में हुए एनकाउंटर मामले को लेकर रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव के साथ मृतक के परिजनों ने डीजीपी से मुलाकात कर इस मामले की जांच करवाकर हत्या के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। इसके साथ ही रिहाई मंच ने यूपी प्रेस क्लब, लखनऊ में प्रेस वार्ता का आयोजन किया जिसमें मृतक की भाभी फरहत और भाई इमरान और चश्मदीद आसिफ समेत रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब, मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित डॉ संदीप पाण्डेय ने एनकाउंटर पर गंभीर सवाल उठाते हुए उसे ठण्डे दिमाग से की हत्या करार दिया।

रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि कामरान के एनकाउंटर ने साफ कर दिया कि योगी आदित्यनाथ की ठोक दो नीति के तहत पुलिस ठेके पर हत्याएं करके एनकाउंटर का नाम दे रही है। इससे पहले भी झांसी में पुलिस पर पैसे लेकर फर्जी एनकाउंटर का आरोप लग चुका है। जब यूपी में पुलिस वालों के उपनाम चुलबुल पाण्डेय और सिंघम होंगे तो समझा जा सकता है कि मनीष गुप्ता, विवेक तिवारी या कोई भी दूसरा पुलिस की गोली का कभी भी शिकार हो सकता है।

मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित डॉ संदीप पाण्डेय ने कहा कि बीजेपी असली मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का प्रयास करती रहती है। देश में खेती-किसानी का संकट चरम पर है और किसान दस माह से आंदोलन पर हैं। महंगाई और बेरोजगारी थमने का नाम नहीं ले रही। अपनी नाकामी छुपाने के लिए वह फर्जी मुठभेड़ जैसे कांड करवा रही है।

मंगरावां रायपुर, थाना गंभीरपुर, आज़मगढ़ के कामरान की भाभी फरहत ने बताया कि वह सुबह चाय पीकर खेत को निकला था। फिर उसका पता नहीं चला। उसका कोई फोन नहीं आया। उसे खेत से ही गायब कर दिया गया। कामरान के भाई इमरान ने कहा कि उन्हें अपने 40 वर्षीय छोटे भाई के लखनऊ में पुलिस एनकाउंटर में मारे जाने की खबर 27 अक्टूबर 2021 की रात तकरीबन 9 बजे के करीब मिली। पोस्टमार्टम के बाद उसकी लाश देखी तो मालूम हुआ कि उसके ऊपर और नीचे के दो-दो दांत टूटे हुए थे, बाईं आंख फोड़ी हुई थी, दाहिने हाथ की कलाई और कंधा टूटा हुआ था, दोनों हथेलियां काली थीं, कान से रिसा खून था जिससे लगता है कि कान का पर्दा फट चुका था। गला रस्सी से घोंटा हुआ दिख रहा था, एक गोली नाभि के पास और दूसरी सीने के दाहिनी तरफ लगी है। लाश को इस स्थिति में देखकर साफ पता चलता है कि उसे पहले बेरहमी से मारा-पीटा गया और फिर गोली मारी गयी।

इससे साफ जाहिर होता है कि यह एनकाउंटर नहीं बल्कि हत्या है। मेरे भतीजे अमीन को 27 अक्टूबर की शाम 4 बजे के करीब कामरान ने फोन कर कहा कि वह पांच मिनट में आ रहा है, जिसके बाद उसके एनकाउंटर की खबर ही मिली। वहीं पास की विसहम बाजार में और वहां हो रहे बॉलीवाल खेल के मैदान में मौजूद लोगों ने भी कहा कि साढ़े तीन-चार बजे के बीच में कामरान को लोगों ने वहां देखा था। इससे लगता है कि उसे उसी के बाद उठा लिया गया था। इसके पहले भी उसे एक फर्जी मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तार किया गया था।

बीते प्रधानी के चुनाव में भी और उसके बाद भी गांव के कुछ लोगों ने उसे फंसाने की लगातार कोशिश की। इस मामले में हमें साफ लगता है कि मेरे विरोधियों मोहम्मद राशिद पुत्र कलाम, हासिम पुत्र सुफियान, सऊद पुत्र इस्तियाक, सादिक पुत्र कलाम, अब्दुर्रहमान पुत्र अब्दुल मन्नान, जलालुद्दीन पुत्र अबरार, रिज़वान पुत्र नबी शेख, इब्राहिम पुत्र इम्तियाज और अन्य ने पुलिस के साथ मिलकर कामरान को अगवा करवाया उसकी हत्या करवा दी। इसमें से मोहम्मद राशिद और अब्दुर्रहमान ने विदेश में रहकर इस साजिश को अंजाम दिलवाया। अब इस गुनाह को एनकाउंटर कहा जा रहा है।

आसिफ ने बताया कि 30 अक्टूबर की शाम को खालिसपुर के पास श्मशान घाट के सामने सड़क के किनारे खून फैला हुआ दिखा, वहीं सामने के खेत में चप्पल, टीशर्ट, कैफरी, पानी की बोतल पड़ी थी और पूरे खेत में जूतों के निशान थे। दूसरे दिन वहां जाने पर देखा कि गिरे खून की जगह को पानी से धुल दिया गया था। चप्पल, टीशर्ट, कैफरी आदि वहां से गायब थी और रात में ही खेत जोत दिया गया था।

कामरान के भाई कहते हैं कि स्थानीय पुलिस की भूमिका संदिग्ध है। सामानों और सबूतों का रातों-रात गायब हो जाना इस संदेह को पुख्ता करता है कि यह एनकाउंटर नहीं, हत्या का मामला है। अभी तक हमें पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं मिली है। 27 की रात जब पुलिस ने एनकाउंटर की सूचना बाजार में दी तो यह भी कहा कि गांव के तीन लोग और अभी टारगेट पर हैं।

मृतक के परिजनों ने इस मामले की जांच करवाकर हत्या के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। इस मामले के बाद परिवार और ग्रामवासी भयभीत हैं, अपने को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। ऐसे में सुरक्षा की गारंटी की मांग की।

रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि जिस तरह से इस मामले को मुख्तार अंसारी से जोड़ा जा रहा है वो साफ करता है कि योगी की ठोक दो नीति के तहत ये एनकाउंटर किए जा रहे हैं। आगामी चुनावों के चलते पुलिसिया मुठभेड़ों को अंजाम दिया जा रहा है। गांव के आपसी विवाद को परिजन मुठभेड़ का कारण मानते हैं। इसके पहले भी झांसी में पुलिस द्वारा मुठभेड़ के नाम पर धन उगाही का आरोप सामने आ चुका है। अगर किसी के इशारे पर पुलिस ने इस मुठभेड़ को अंजाम दिया है तो ये मानवाधिकार का गंभीर मामला है। हम मांग करते हैं कि इस मामले की उच्चस्तरीय जांच करायी जाए।

(प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित रिपोर्ट।)

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