महोदय,
रुद्रपुर, उत्तराखंड। हम अद्योहस्ताक्षरी गण प्रेमवती और पुष्पा दोनों सगी बहनें डॉल्फिन कंपनी सिडकुल पंतनगर (उत्तराखंड ) में कार्यरत स्थाई मजदूर हैं। कंपनी मालिक प्रिंस धवन द्वारा हमें कारण बताओ नोटिस, आरोप पत्र जारी किये बिना विगत 7 माह से हमारी गैरकानूनी गेटबंदी की गई है।
हमारी ही तरह से करीब 48 स्थाई मजदूरों की भी विगत 8 से 10 महीने से अवैध गेटबंदी कर रखी है। हाई कोर्ट के आदेशों, श्रम कानूनों को कूड़ेदान में डालते हुए हजारों स्थाई मजदूरों की अवैध रूप से सेवा समाप्त करके उन्हें ठेकेदार के अधीन नियोजित करके उनका भविष्य बर्बाद कर दिया है।
हमें न्यूनतम वेतन और बोनस भी नहीं दिया गया है। हमने डॉल्फिन कंपनी में जारी बुनियादी श्रम कानूनों के उक्त घोर उल्लंघन के खिलाफ श्रम विभाग, जिला प्रशासन, और सरकार से अनगिनत बार लिखित शिकायत की, किन्तु किसी ने कोई कार्यवाही नहीं की।
इसके पश्चात् हम मजदूरों ने उच्च न्यायालय, नैनीताल में याचिका संख्या-2128 दाखिल की। जिस पर उच्च न्यायालय द्वारा आदेश दिनांक 07/08/2024 पारित करते हुए सहायक श्रमायुक्त महोदय, रुद्रपुर से अगली ही वार्ता में बुनियादी श्रम कानूनों के उक्त उल्लंघन पर विधिनुसार कार्यवाही अमल में लाने की आशा और अपेक्षा की गई थी।
किन्तु आपकी भाजपा पार्टी की उत्तराखंड में डबल इंजन की सरकार ने हमारी एक नहीं सुनी। बल्कि कंपनी मालिक प्रिंस धवन को ही खुला संरक्षण दिया।
इससे आहत होकर हम दोनों सगी बहनें 21अक्टूबर से गांधी पार्क रुद्रपुर (उत्तराखंड ) में अन्य पीड़ित मजदूरों के साथ आमरण अनशन पर बैठने को मजबूर हुई हैं। भैय्यादूज पर हमें आज आमरण अनशन पर बैठे हुए 13 दिन हो चुके हैं।
आपकी डबल इंजन की सरकार में डॉक्टरों ने विगत तीन दिनों से हमारा स्वास्थ्य परीक्षण भी नहीं किया है। ऐसा लगता है कि आपकी उत्तराखंड की सरकार ने हमारी नरबलि लेने की ठान ली है। इसीलिए किसी को हमारी कोई चिंता नहीं है।
महोदय, 29 अक्टूबर 2024 को आपकी डबल इंजन की सरकार के जिला प्रशासन के निर्देशन में बीच चौराहे पर स्थित हमारे अनशन स्थल पर पुलिस ने हम महिलाओं के कपड़े फाड़कर नंगा करके चीरहरण किया, घसीटा गया, लात घूंसों से बेरहमी से मारा पीटा गया। दुर्योधन, दु:शासन, शकुनि और कंस को भी पीछे छोड़ दिया। लाचार द्रौपदी की भी याद ताज़ा करवा दी गई।
महोदय, हमने पौराणिक गाथाओं में सुना था कि राम और कृष्ण बहुत सहृदय थे। रावण भी महिलाओं के प्रति बहुत उदार था, और महिलाओं का बहुत सम्मान करता था। हमने यह भी सुना था कि रावण ने सीता का ना तो कभी चीरहरण किया था और ना उसे कभी बुरी नजर से देखा। हमने यह भी सुना था कि रावण अपनी बहन सूर्पनखा का बदला लेने के लिए राम से अंतिम सांस तक लड़ा था।
महोदय, हमने पौराणिक गाथाओं में यह भी सुना था कि कंस बहुत ही निर्दयी और क्रूर था। जिसने अपने स्वार्थ और सत्ता के लिए अपनी सगी बहन देवकी को हथकड़ियों और बेड़ियों में जकड़कर कारावास में बंदी बनाकर उसे बहुत भयानक यातना दी थी।
उसने अपने सगे आठ नवजात भांजों की पैर पकड़ पत्थर में सिर पटक कर उनकी हत्या कर दी थी। हमने पौराणिक कथाओं में यह भी सुना था कि दुर्योधन, दु:शासन और शकुनि को शासन सत्ता हासिल करने के लिए महिलाओं (जैसे द्रोपदी ) को नंगा करके उनका चीरहरण करने, अपमानित करने से भी कोई गुरेज नहीं था।
महोदय, उत्तराखंड में आपकी डबल इंजन की सरकार (जिसमें खुद मुख्यमंत्री धामी ही श्रम मंत्री भी हैं) ने हम पीड़ित महिलाओं के साथ में इतना अधिक जुल्म अत्याचार कर दिया है कि हमें उसमें कंस, दुर्योधन, दु:शासन और शकुनि ही नजर आते हैं।
इसलिए, भैय्या दूज पर आपसे विनम्र निवेदन है कि आप अपनी उत्तराखंड सरकार को, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को, जिला प्रशासन और श्रम विभाग को तत्काल यह आदेश जारी कर दें कि वो महिलाओं के साथ सम्मान से पेश आएं और भविष्य में किसी भी महिला का चीरहरण ना करें।
उन्हें यह समझायें कि महिलाओं के कपड़े फाड़ना, उन्हें मारना, घसीटना गर्व और पौरुष की बात नहीं है। बल्कि बहुत ही शर्म और कायरता की बात है।
महोदय, आप भैय्या दूज पर उत्तराखंड सरकार को यह समझायें कि राम नहीं बन सकते, कृष्ण नहीं बन सकते तो कम से कम रावण तो बन जाओ, और नारी का सम्मान करना तो सीखो। उन्हें समझाइये कि कंस, दुर्योधन, दुस्साशन और शकुनि तो मत बनो।
हम आशा करते हैं कि आप 13 दिनों से अनशन पर बैठी हम आमरण अनशनकारी महिलाओं की इस मासूम अपील और भावना को महसूस करते हुए उत्तराखंड सरकार को उक्त दिशा में तत्काल उचित नसीहत देंगे।
आपकी बहनें, पुष्पा और प्रेमवती।
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