Saturday, April 27, 2024

राजू पाल हत्याकांड में सभी सात आरोपियों को उम्रकैद, सीबीआई कोर्ट का फैसला

बसपा विधायक राजू पाल की हत्या के सात आरोपियों को सीबीआई कोर्ट, लखनऊ ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। आरोपियों में माफिया अतीक अहमद के तीन शॉर्प शूटर फरहान, आबिद और अब्दुल कवि शामिल हैं। इसके अलावा जावेद, इसरार, रंजीत पाल और गुल हसन को भी कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। हत्याकांड के दो आरोपी माफिया अतीक अहमद और अशरफ की मौत हो चुकी है।

25 जनवरी 2005 दिन मंगलवार को दोपहर करीब तीन बजे का वक्त था। शहर पश्चिमी के बसपा विधायक राजू पाल एसआरएन अस्पताल स्थित पोस्टमार्टम हाउस से दो गाड़ियों के काफिले में साथियों संग धूमनगंज के नीवां में घर लौट रहे थे, तभी सुलेमसराय में जीटी रोड पर उनकी गाड़ी को घेरकर गोलियों की बौछार कर दी गई।

लखनऊ की सीबीआई कोर्ट ने बहुचर्चित राजू पाल हत्याकांड में सभी सात आरोपियों को दोषी करार दिया है। मामले में विशेष न्यायाधीश ने आरोपी फरहान को अवैध हथियार रखने के आरोप में चार साल की कैद और 20 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। जबकि आरोपी इसरार अहमद, रंजीत पाल, जावेद, आबिद, गुलशन और अब्दुल कवि को हत्या करने का दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास तथा पचास-पचास हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है।

25 जनवरी, 2005 को इलाहाबाद पश्चिमी से बसपा विधायक राजू पाल की दिनदहाड़े गोलीबारी में हत्या कर दी गई थी। इस गोलीबारी में देवी पाल व संदीप यादव की भी मौत हुई थी। जबकि दो लोग गंभीर रुप से घायल हुए थे। इस हत्याकांड से ठीक 16 दिन पहले विधायक राजू पाल की पूजा पाल से शादी हुई थी। पूजा पाल ने थाना धूमनगंज में इस हत्या की एफआईआर दर्ज कराते हुए अतीक व उसके भाई अशरफ उर्फ खालिद अजीम को नामजद किया था।

राजू पाल की पत्नी और वर्तमान सपा विधायक पूजा पाल की तहरीर पर धूमनगंज थाने में पूर्व सांसद अतीक अहमद, उनके भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ, गुलफुल, रंजीत पाल आबिद, इसरार, आशिक, जावेद, एजाज, अकबर और फरहान को आरोपित बनाया गया था। इनके खिलाफ 6 अप्रैल 2005 को आइपीसी की धारा 147, 148, 149, 302, 506, 120-बी और 7 सीएलए एक्ट के तहत 6 अप्रैल 2005 को आरोप पत्र दाखिल किया गया था।

राजू पाल और उनकी पत्नी पूजा पाल उन दिनों बीएसपी में थे। जबकि अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ समाजवादी पार्टी में थे। राजू पाल प्रयागराज में अपने कट्टर प्रतिद्वंद्वी अतीक अहमद और उनके परिवार के खिलाफ सियासी समर में उतरना चाहते थे।

साल 2004 में अतीक अहमद यूपी की फूलपुर लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट पर जीत कर सांसद बन चुके थे। इससे पहले वह इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा सीट से विधायक थे। लेकिन उनके सांसद बन जाने के बाद वो सीट खाली हो गई थी। कुछ दिनों बाद उपचुनाव का ऐलान हुआ। इस सीट पर सपा ने सांसद अतीक अहमद के छोटे भाई अशरफ को अपना उम्मीदवार बनाया। इसी चुनाव में बसपा से राजू पाल को टिकट मिल गया और वो अशरफ के खिलाफ चुनाव मैदान में उतर गए। चुनाव हुआ तो उन्होंने अतीक अहमद के भाई अशरफ को हरा दिया और विधायक बन गए।

अतीक और उसका परिवार उपचुनाव में मिली हार पचा नहीं पा रहा था। वो राजू पाल को अपना दुश्मन मान बैठा था और इसी दौरान अतीक ने राजू पाल को रास्ते से हटाने की साजिश रच डाली। 25 जनवरी 2005 को बसपा विधायक राजू पाल अपने घर लौट रहे थे। राजू खुद अपनी क्वालिस कार चला रहे थे। उनके साथ उनके दोस्त की पत्नी भी बैठी थीं, जो उन्हें रास्ते में मिली थीं। उनके साथ उनके समर्थकों की एक स्कॉर्पियो भी थी। तभी कुछ कार सवार हमलावर उनका पीछा करने लगे। इसी बीच राजू पाल ने किसी वजह से रास्ते में कार रोकी। जैसे ही उनकी कार थमी। कुछ हथियारबंद लोगों ने उन पर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी।

पूरा इलाका गोलियों की आवाज़ से गूंज रहा था। बताया जाता है कि राजू पाल पर हमले करने वालों की संख्या करीब दो दर्जन थी। राजू पाल का जिस्म गोलियों से छलनी हो चुका था। इस दौरान उनके साथ मौजूद लोगों ने राजू को एक टेंपों में डालकर अस्पताल ले जाने की कोशिश की। हमलावरों को लगा कि कहीं राजू बच न जाएं। इसलिए उन्होंने 5 किलोमीटर तक टेंपों का पीछा किया और उस पर फायरिंग कर दी। अस्पताल पहुंचते-पहुंचते राजू पाल की मौत हो गई। राजूपाल के साथ कार में मौजूद दो अन्य लोग भी मारे गए।राजू पाल को 19 गोलियां लगी थीं।

राजू की मौत के बाद इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा सीट पर फिर से उपचुनाव हुए, जिसमें राजू पाल की पत्नी पूजा पाल को बसपा ने टिकट दिया।लेकिन इस बार अतीक के भाई अशरफ ने पूजा पाल को हरा दिया। राजू पाल की मौत के मामले में पत्नी पूजा पाल की शिकायत पर अतीक अहमद, उनके भाई अशरफ अहमद समेत 9 लोगों पर मामला दर्ज किया गया था।

(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार और कानूनी मामलों के जानकार हैं)

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