छत्तीसगढ़ सरकार की बेरुखी से परेशान शख्स ने स्कूल में लगाया ताला, छात्र बाहर करते रहे इंतजार

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बस्तर। जून की भीषण गर्मी के बाद छत्तीसगढ़ में मॉनसून की शुरुआत हो गई है। इसी बीच जून माह के दूसरे सप्ताह में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गर्मी की छुट्टियों को बढ़ाने का आदेश दिया। जिसके बाद 26 जून को प्रदेश के सभी स्कूल गर्मी की छुट्टियों के बाद दोबारा से खुल गए।

पहले दिन मॉनसून की फुहारों के बीच बच्चों का स्कूल जाना हुआ। स्कूल में बच्चों को स्वागत किया गया। लेकिन कांकेर जिले के भानुप्रतापपुर में एक शाला अध्यक्ष ने स्कूल में ताला लगा दिया। जिसके बाद बच्चों को स्कूल से वापस लौटना पड़ा। साथ ही स्कूल के शिक्षक और स्टॉफ को स्कूल के बाहर बैठना पड़ा। लाख मशक्कत के बाद शाम को तीन बजे स्कूल का ताला खोला गया।

क्या है पूरा मामला?

मामला बस्तर संभाग के कांकेर जिले के भानुप्रतापपुर के दमकसा गांव का है। जहां संतोष दुग्गा नाम के शाला समिति के अध्यक्ष ने शासकीय उच्च माध्यमिक स्कूल में ताला जड़ दिया। उनकी मांग है कि स्कूल का नाम उनके पिता के नाम पर रखा जाए। जिसके लिए वह लंबे समय से प्रयासरत हैं। लेकिन प्रशासन द्वारा उनकी बात सुनी नहीं जाने पर उन्होंने सत्र के पहले दिन स्कूल में ताला जड़ दिया।

स्कूल के लिए दान में दी थी जमीन

संतोष दुग्गा के दिवंगत पिता ठाकुर रघुनाथ सिंह दुग्गा एक शिक्षक थे। उन्हें शिक्षा से काफी लगाव था। वे इलाके में अच्छी शिक्षा व्यवस्था के लिए एक स्कूल चाहते थे। ताकि भविष्य में बच्चों को पढ़ने के लिए दूर न जाना पड़े। अपनी इस इच्छा को पूरा करने के लिए उन्होंने 1984 में अपनी पांच एकड़ जमीन शिक्षा विभाग को दान में दे दी। इसी जमीन पर हायर सेकेंडरी स्कूल और मैदान है। 1994 में ठाकुर रघुनाथ सिंह दुग्गा सेनानिवृत्त हुए और 8 अप्रैल 2002 में उनका निधन हो गया। उनके निधन के बाद से ही पुत्र संतोष स्कूल का नाम अपने पिता के नाम पर रखने के मांग कर रहे हैं।

सीएम ने दिया आश्वासन, लेकिन नहीं हुआ काम

जनचौक ने इस बारे में संतोष दुग्गा से बात की। उन्होंने बताया कि पिताजी के देहांत के बाद से ही उन्होंने स्कूल के नामकरण की मांग शुरू कर दी थी। इसके लिए उन्होंने प्रशासन के सभी दरवाजे खटखटाए, लेकिन उसकी किसी ने नहीं सुनी।

वह कहते हैं कि भाजपा कार्यकाल के दौरान उन्होंने काफी प्रयास किया। इसके बाद पिछले साल तीन जून को ‘भेंट मुलाकात’ के दौरान सीएम भूपेंद्र बघेल उनके क्षेत्र में आए थे। इस दौरान उन्होंने सीएम से मिलकर इस बारे में आवेदन दिया। जहां उन्हें आश्वासन दिया गया कि इस मामले में उनकी सहायता की जाएगी। इसके बाद आवेदन की प्रतिलिपि तहसीलदार, एसडीएम, कलेक्टर को भेजी गई।

वह कहते हैं कि पिछले साल इस भेंट मुलाकात कार्यक्रम के बाद हायर सेंकेडरी स्कूल के शिक्षा समिति के अध्यक्ष ने उनसे शिक्षा समिति, दान पत्र का शपथ पत्र और ग्राम पंचायत का प्रस्ताव मांगा, जिसके सारे प्रस्ताव बनावा कर दिए गए। जिसमें यह लिखा गया है कि दिवंगत रघुनाथ सिंह दुग्गा ने पांच एकड़ जमीन दान में दी थी।

आने वाली पीढ़ी पिताजी के बारे में जाने

हमने पूछा कि आपने स्कूल में ताला क्यों लगा दिया- इसका जवाब देते हुए संतोष कहते हैं “मेरे पिताजी ने पांच एकड़ जमीन दान में दी थी। मैं अब उस जमीन का न तो कोई मुआवजा मांग रहा हूं और न ही उसके बदले में कोई जमीन। मेरी एक ही मांग है कि स्कूल का नाम मेरे पिताजी के नाम पर रखा जाए, ताकि आने वाली पीढ़ी मेरे पिताजी के इस दान के बारे में जान सके”। 

उन्होंने कहा कि “बार-बार मेरी मांग करने के बाद भी बात को नहीं माना जा रहा था इसलिए मैंने ताला लगा दिया। फिलहाल मुझे तहसीलदार द्वारा आश्वासन दिया गया है कि तीन महीने में काम हो जाएगा। अगर नहीं हुआ तो फिर से ताला लगा दिया जाएगा जो मांग पूरी होने के बाद ही खोला जाएगा।”

1992 में बना स्कूल

वहीं दूसरी ओर स्कूल के प्रिसिंपल गणेश राम मंडावी ने बताया कि स्कूल की स्थापना 1992 में हुई थी। जहां आसपास के बच्चे हायर सेकेंडरी (आठवीं से बाहरवीं) की पढ़ाई करते हैं। स्कूल में फिलहाल 327 छात्र हैं।

प्रिसिंपल ने बताया कि पिछले साल से संतोष दुग्गा की मांग में तेजी देखी गई है। जनचौक ने उनसे पूछा कि क्या रघुनाथ सिंह दुग्गा ने इस तरह की कभी कोई मांग की थी? इसके जवाब ‘न’ में आया।

स्कूल में ताला लगाए जाने के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि पहले दिन स्कूल में ताला लगा हुआ था। इसलिए छात्र, अध्यापक के अलावा मैनेजमेंट के लोग तीन बजे तक बाहर बैठे रहे। इस दौरान बच्चे अपने घरों को वापस चले गए। प्रशासन द्वारा इस मामले को सुलझाया गया। जिसके बाद दूसरे दिन से स्कूल सुचारु रूप से चल रहा है।

मामला राज्य स्तर पर लंबित

इस मामले में तहसीलदार कृष्णकांत पाटले ने कहा कि जमीन दान में गई थी। संतोष दुग्गा ने स्कूल का नाम उनके पिता के नाम पर कराने की मांग की है। जल्द ही इस काम को पूरा किया जाएगा। मामला जिला शिक्षा विभाग से कलेक्टर कार्यालय से राज्य कार्यालय भेजा गया। फिलहाल मामला राज्य स्तर पर लंबित है।

(बस्तर से पूनम मसीह की रिपोर्ट।)

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