मिर्ज़ापुर। ‘पढ़ें बेटियां-बढ़ें बेटियां’ सरकार का नारा है, बावजूद सरकार इनकी सुरक्षा और सम्मान के मामले में विफल हो रही है। पश्चिम बंगाल राज्य के कोलकाता में R.G. Kar. Medical College में 8-9 अगस्त 2024 के दरम्यान मेडिकल कॉलेज में चेस्ट मेडिसिन विभाग की स्नातकोत्तर द्वितीय वर्ष की छात्रा और प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ दरिंदगी कर उसकी हत्या की घटना ने लोगों खासकर महिलाओं को झकझोर कर रख दिया है। इस घटना के बाद पूरे देश में शुरू हुए विरोध-प्रदर्शन की चिंगारी सूबे के मिर्ज़ापुर जिले में पहुंच गई है। यहां सरकारी और निजी चिकित्सकों ने भी विरोध में स्वर तेज कर दिए हैं।
पिछले दो दिनों से सरकारी अस्पताल के चिकित्सक ओपीडी सेवाएं ठप्प कर काली पट्टी बांध विरोध में उतर पड़े हैं। इससे मरीजों और उनके तिमारदारों की समस्याएं बढ़ गई है। शनिवार को स्थिति तब और गंभीर हो उठी जब विरोध में उतरे छात्रों की एक-एक करके तबीयत बिगड़ती चली गई और देखते ही देखते सभी एक-एक करके अचेत होकर गिरने लगें थें। आनन-फानन में सभी को मंडलीय चिकित्सालय में भर्ती कराया गया जहां सभी उपचार चलता रहा है। दुर्भाग्य यह देखिए कि अस्पताल और पुलिस प्रशासन को छोड़कर कोई भी छात्र-छात्राओं का कुशलक्षेम जानने के लिए मौके पर नहीं पहुंचा था। जिले में खुद यहां के प्रभारी मंत्री नंद गोपाल नंदी मौजूद रहे हैं, लेकिन उन्हें भी कानों कान यह ख़बर नहीं हुई।
देश तो आजाद है लेकिन देश की बेटियां कब होंगी आजाद?
दरअसल, शनिवार को मिर्ज़ापुर नगर के विख्यात केबी पीजी कॉलेज की सैकड़ों की संख्या में छात्र-छात्राएं कोलकाता में हुए मेडिकल छात्रा के साथ दरिंदगी करने वाले दोषियों के लिए कड़ी कार्रवाई की मांग को लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे थे। जहां जमीन पर छात्र-छात्राएं धरना पर बैठे थे। छात्रों का कहना था कि “देश तो आजाद है, लेकिन देश की बेटी कब आजाद होंगी? कब उसे यह महसूस होगा कि वो खुद सुरक्षित हैं?”
छात्रों ने मृतका जूनियर डॉक्टर के साथ दरिदंगी करने के पश्चात उसके शरीर में दिए गए कई जख्मों पर आक्रोश जताते हुए बोले “जिस परिस्थिति में जूनियर डॉक्टर का शव मिला वह बहुत ही दुख:दाई घटना है। इससे पूरे देश में असुरक्षा का भाव महसूस किया जा रहा है, पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी की नेतृत्व वाली सरकार जिसका नेतृत्वकर्ता कोई और नहीं बल्कि एक महिला मुख्यमंत्री के ही हाथों में है, वहां एक महिला जूनियर डाक्टर के साथ जघन्य अपराध का होना राज्य की कानून व्यवस्था के मुंह पर करारा तमाचा है।
डीएम से मिलने पर अड़े छात्रों की बिगड़ती गई हालत
ज्ञापन सौंपने कलेक्ट्रेट पहुंचे छात्रों का दल शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रहा था। उधर जिले में प्रभारी मंत्री एवं राज्य के कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल नंदी का दो दिवसीय भ्रमण कार्यक्रम भी था। सो जिले का पूरा प्रशासनिक अमला उन्हीं के आगे पीछे लगा हुआ था। इधर मौसम का पारा भी चढ़ा हुआ था प्रचंड गर्मी संग उमस व्याकुल किए हुई थी। पसीने के मारे लोगों की जान पर बन आई थी। छात्र भी जिलाधिकारी से मिले बिना वापस लौटने को तैयार नहीं थे। तभी इसी बीच कुछ छात्रों की हालत बिगड़ने लगी थी और देखते ही देखते वह अचेत होकर गिरने लगें थें। इससे पूरे कलेक्ट्रेट परिसर में अफरातफरी मच गई।
बाइक -ई-रिक्शा इत्यादि माध्यमों से छात्रों को लेकर उनके साथी मंडलीय अस्पताल लेकर पहुंचे जहां पहुंचते-पहुंचते यह संख्या 8 हो गई थी। इनमें पांच छात्राएं और तीन छात्रों में विकास केसरवानी निवासी बसनही बाजार चुन्नी मुन्नी की गली, प्रियांशी सिंह आवास विकास कालोनी, शानियां आवास विकास कालोनी, सचिन मौर्या बथुआ, आकांछा शुक्ला, सौम्या पांडेय नेवढ़िया, वंदना मौर्या ओझला पुल, शिवम तिवारी गंगापार का देर शाम तक उपचार चला है।
इस दौरान स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों सहित क्षेत्राधिकारी नगर मंजरी राव शहर व कटरा कोतवाली थाना क्षेत्र की पुलिस व पीएसी फोर्स के साथ डटी रही। उधर छात्रों के अचेत होकर गिरने की खबर पर काफी संख्या में छात्र-छात्राएं मंडलीय अस्पताल पहुंच गए थे। मंडलीय अस्पताल में चिकित्सकों के विरोध प्रदर्शन और ओपीडी सेवा बाधित होने से जहां आम मरीजों तिमारदारों का बुरा हाल रहा वह भटकते फिरते हुए दिखलाई दिए हैं तो दूसरी ओर छात्रों की हालत बिगड़ने पर मंडलीय अस्पताल के एमरजेंसी कक्ष में अफरा-तफरी का माहौल बना हुआ था।
पक्ष-विपक्ष ने बनाई दूरी, जुबां पर लगाया ताला
कोलकाता के मेडिकल कॉलेज में जूनियर महिला डॉक्टर के साथ दुराचार बाद हत्या की घटना के बीच नारी शक्ति जहां विरोध में उतर पड़ी है, वहीं पक्ष और विपक्ष के नेताओं ने इससे दूरी बनाकर रखा। प्रदर्शन के दौरान छात्रों की हालत बिगड़ने पर जहां जिला प्रशासन का कोई भी जिम्मेदार अधिकारी इनका हाल जानने नहीं पहुंचा था। खुद जिले के प्रभारी मंत्री नंद गोपाल नंदी को भी कानों कान इसकी खबर नहीं हो पाई। और तो और विपक्षी दलों के नेताओं के भी जुबान पर ताला जड़ दिया गया था जो दूर दूर तक नजर नहीं आएं।
विंध्य क्षेत्र की महिलाओं में आक्रोश, काले पोशाक में जताया विरोध
कोलकाता कांड के विरोध में विंध्य क्षेत्र की नारी शक्ति का आक्रोश चरम पर है। महिलाओं ने इस घटना को जघन्य कृत्य करार देते हुए दुष्कर्म के आरोपी को फांसी दिए जाने की मांग की है। विरोध क्रम में शहीद उद्यान नारघाट में समाज सेविका नंदिनी मिश्रा के नेतृत्व में नगर की विभिन्न महिला संगठनों की मातृशक्तियां अनोखे तरीके से काले वस्त्रों में एकत्रित होकर आक्रोश व्यक्त किया तथा शहीदों की प्रतिमाओं के नीचे मोमबत्ती जलाकर मृत महिला चिकित्सक की आत्मा की शांति हेतु मौन प्रार्थना की। आक्रोशित महिलाओं ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम लिखित ज्ञापन पर हस्ताक्षर करते हुए कोलकाता में महिला चिकित्सक के साथ की गई बर्बरतापूर्ण घटना के दोषी को मृत्यु दण्ड की सजा देने तथा देश में आए दिन घट रही इस तरह की घटनाओं के रोकथाम हेतु कठोर कानून लागू करने की मांग की।
नंदिनी मिश्रा ने सवाल खड़े किए कि “आख़िर इस देश की महिलाएं और लड़कियां कब सुरक्षित होंगी? लगता है वर्तमान कानून इस तरह की घटनाओं को रोकने में कारगर नहीं है।”
उन्होंने कहा “हम विंध्य क्षेत्र की मातृशक्तियां भारत सरकार से अनुरोध करती हैं कि कोलकाता कांड के दोषी को तीन महीने के अंदर त्वरित कानूनी कार्रवाई कर मृत्यु दण्ड दिया जाए। साथ ही इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए वर्तमान कानून की समीक्षा करते हुए कठोर से कठोर कानून बनाने की मांग करती हैं।”
निर्भया कांड के बाद बना फंड कहां गया
इस अवसर पर बिनानी पीजी कॉलेज की प्राचार्य बीना सिंह, ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की बीके बिंदु दीदी, पर्यावरणविद विभा वैद्य सहित महिला प्रबोधिनी फाउंडेशन, इनर व्हील क्लब ऑफ मीरजापुर, लायंस क्लब, लायनेस क्लब, इनर व्हील क्लब ऑफ विंध्या आदि महिला संगठनों से डा. कृष्णा सिंह, संगीता अग्रवाल, कामिनी पाण्डे, जय श्री जैन, रश्मि गुप्ता, स्नेहलता द्विवेदी, सरिता पांडेय, अंजू गोयनका, दीपा सर्राफ, रेखा मिश्रा, नसरीन आरा, सायरा सिद्दिकी आदि कई सदस्याओं ने सवाल किया कि “दिल्ली के निर्भया कांड के बाद एक फंड बनाया गया है, एक मजबूत कानून की बात उठी थी ताकि ऐसे दरिंदो को कठोर से कठोर सजा दिलाई जा सके। लेकिन निर्भया कांड के बाद बना फंड कहां गया उसका न तो कोई पता है और ना ही ऐसा कोई ठोस कानून बन पाया है।”
नसीहतें बेटियां को क्यों, बेटों को आखिरकार क्यों नहीं?
डा. कृष्णा सिंह ने कहा “महिला सशक्तिकरण के दौर में महिलाएं, बालिकाएं अपने को असुरक्षित महसूस कर रही हैं।” तो वहीं कुछ महिलाओं ने एक स्वर में समाज में महिलाओं के साथ होते आ रही ऐसी घटनाओं के लिए सीधे तौर पर कमजोर कानूनी व्यवस्था और इंटरनेट (मोबाइल) युग को काफी हद तक जिम्मेदार ठहराया है।”
बोली “इंटरनेट पर पोर्न वीडियो की भरमार है इसपर कोई रोक-टोक न होने से छोटे छोटे बच्चों तक यह आसानी से पहुंच रहा है। इससे विकृत मानसिकता को बढ़ावा मिल रहा है।”
महिलाओं ने कहा “अक्सर देखा गया है कि मान सम्मान इज्जत की बात आती है तो बेटियों को ही नसीहतें दी जाती हैं, समाज के ऊंच-नीच की तालीम इन्हें ही बताईं जाती हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिरकार मर्यादा, संस्कार की बात बेटियों के साथ ही क्यों, बेटों को क्यों नहीं? इन दो धारी व्यवस्थाओं को लेकर खफा दिखी महिलाओं ने कहा ऐसे अभिभावकों को अपनी धारणा त्यागने की जरूरत है।
काले वस्त्रों में एकत्रित महिलाओं ने बेढंगे ‘रील्स’ बनाने वालों को भी कटघरे में खड़े करते हुए कसूरवार ठहराया, जिनपर लाखों-लाख ब्यूज तो आ रहे होते हैं, लेकिन समाज में उसका असर क्या होता है शाय़द ही इस पर किसी ने आवाज उठाई हो।
महिला डॉक्टर से दरिंदगी के अपराधियों को मिले कठोर सजा
राकेश शरण मिश्र एडवोकेट ने प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर पश्चिम बंगाल के कोलकाता में मेडिकल कालेज की जूनियर डाक्टर के साथ दरिंदगी करने वाले अपराधियों को कठोर से कठोर सजा देने की मांग की है। भारत के प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में लिखा है कि “देश में महिलाओं के साथ होने वाले अपराध कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं। आए दिन महिलाओं के साथ बलात्कार और नृशंस हत्या की घटनाएं हौंसला बुलंद अपराधियों द्वारा कारित की जा रही है। महिलाओं के साथ ना केवल पश्चिम बंगाल में अपितु देश के हर राज्य में इस प्रकार की शर्मनाक घटना कारीत की जा रही है जो बहुत ही दु:खद है और पूरे देश में इस प्रकार की घटनाओं को लेकर अत्यधिक आक्रोश एवं गम और ग़ुस्सा है।”
कुछ माह पूर्व इसी प्रकार की दरिंदगी अयोध्या में महिला सिपाही के साथ हुईं थी जब ट्रेन में उसे बेहोशी की हालत में पाया गया था। इस प्रकार की घटनाओं में लिप्त अपराधियों को कठोर से कठोर सजा दिये जाने की वकालत करते हैं उन्होंने कहा “ताकि इस प्रकार के अपराध पर रोक लगाया जा सके और भारत की बेटियां की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।”
विरोध में उतरे कई संगठनों के लोग
कोलकाता मेडिकल कॉलेज की महिला रेजिडेंट डॉक्टर के साथ रेप व निर्मम हत्या के देशव्यापी विरोध प्रदर्शन में मिर्ज़ापुर के समस्त चिकित्सक संगठनों IMA, NIMA, IDA व IHA के संयुक्त मोर्चा ने निर्णय लेते हुए 16 अगस्त से सभी चिकित्सक गण दायी बांह में काली पट्टी बांध कर अपना चिकित्सा कार्य कर रहे हैं। श्रद्धांजलि सभा कर कैंडिल मार्च निकालकर मण्डलीय चिकित्सालय के अधीक्षक को ज्ञापन सौंपकर मृतक चिकित्सक के परिवार को न्याय दिलाने की बात कही है। एसएन पाठक व डॉ अरविंद श्रीवास्तव नें बताया कि कोलकाता में मेडिकल कॉलेज की जूनियर डॉक्टर के साथ घटित घटना कोई मामूली घटना नहीं है, यह कानून व्यवस्था के मुंह पर तमाचा है। इस घटनाक्रम से चिकित्सकीय पेशे से जुड़े हुए लोगों में भय और खौफ का माहौल उपजा है। केन्द्र और राज्य सरकार दोनों को इस मसले पर कठोर क़दम उठाए जाने चाहिए।”
उधर अखिल भारतीय जनवादी समिति, मिर्ज़ापुर की महिलाओं ने कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन करते हुए देश में महिला उत्पीड़न की बढ़ती हुई घटनाओं पर घेरते हुए विरोध-प्रदर्शन करते हुए जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपकर दोषियों को फांसी देने की मांग की।
(मिर्ज़ापुर से संतोष देव गिरी की रिपोर्ट)