हरियाणा मस्जिद और ट्रेन में मारे गए मो. शाद और असगर के परिजनों से मिली भाकपा-माले की टीम

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पटना। हरियाणा में मस्जिद पर हुए हमले में विगत दिनों सीतामढ़ी जिले के नानपुर प्रखंड के मनियाडीह गांव के मारे गए हाफिज मो. शाद और राजस्थान से मुंबई जा रही ट्रेन में आरपीएफ जवान की फायरिंग से मारे गए मधुबनी जिला के विस्फी प्रखंड के परबत्ता के मो. असगर की मौत हो गई थी। भाकपा (माले) और इंसाफ मंच की एक उच्चस्तरीय टीम ने दोनों के परिजनों से मुलाकात कर इन हत्याओं पर गहरा दुख जताया।

टीम को पीड़ित परिवार ने बताया कि हाफिज मोहम्मद शाद, पिता मो. मुश्ताक 8-9 महीने से हरियाणा के गुरुग्राम सेक्टर 57 के अंजुमन मस्जिद में मुआजिन और नायब इमाम के बतौर काम कर रहे थे। मृतक के बड़े भाई शहदाब अनवर भी गुरुग्राम में ही सेक्टर 52 में रहते हैं।

शहदाब अनवर ने बताया कि 31 जुलाई की घटना के आधे घंटे पहले ही भाई से फोन पर उनकी बात हुई थी। वहां सब कुछ नॉर्मल था। मस्जिद के बाहर अच्छी संख्या में पुलिस भी मौजूद थी। नूंह की घटना के बाद हरियाणा में सभी लोग डर गए थे, लेकिन पुलिस की मौजूदगी में ही रात करीब 12 से 1 बजे के बीच बिजली का कनेक्शन काटकर मस्जिद पर हमला किया गया। और हाफिज मो. शाद की हत्या कर दी गई। वहीं अररिया के खुर्शीद आलम भी घायल हुए।

नूंह में करीब 800 मुस्लिम घर जला देने के बाद गुरुग्राम में मस्जिद पर हमला हुआ। मो. शाद की उम्र 22 साल थी। उनकी पढ़ाई-लिखाई दिल्ली के छतरपुर मेहरौली में हुई थी। मृतक शाद और उनके बड़े भाई की कमाई से ही पूरा परिवार चलता था। घटना के बाद उनके बड़े भाई भी काम छोड़कर घर आ गए हैं और अब परिवार के सामने कई किस्म के संकट पैदा हो गए हैं।

पीड़ित परिवार को सरकार अथवा प्रशासन की ओर से अब तक कोई भी सहायता नहीं मिल सकी है। यहां तक कि मो. शाद के शव को भी परिजनों ने अपने खर्चे से लाया। हरियाणा सरकार से तो कोई उम्मीद ही नहीं है, लेकिन बिहार सरकार की भूमिका भी बिल्कुल संवेदनहीन रही है। राज्य सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री जमा खां वहां गए लेकिन उन्होंने महज खानापूर्ति की। बिहार सरकार की तरफ से कोई भी मुआवजा अब तक नहीं मिला है। जांच टीम ने पीड़ित परिवार के लिए उचित मुआवजा और परिवार के एक सदस्य की नौकरी की मांग की है।

उसी प्रकार, राजस्थान से मुंबई जा रही ट्रेन में आरपीएफ जवान की फायरिंग से मारे गए मधुबनी जिला के विष्फी प्रखंड के परबत्ता के मो. असगर के पीड़ित परिवार से भी टीम ने मुलाकात की। मो. असगर के परिवार का फूस का टूटा हुआ घर है, जिसमें उनकी मां, बहनें व अन्य भाई रहते हैं। वे 8-9 महीने से जयपुर के भत्ता बस्ती में रह रहे थे। वे चूड़ी का कारोबार करते थे। उनको एक लड़का और चार लड़की है। उनके सभी बच्चे नाबालिग हैं।

उन्हें मुंबई में एक मस्जिद में मुअजिन के काम से बुलाया गया था। उसी काम के लिए वे ट्रेन से मुंबई जा रहे थे, लेकिन उसी यात्रा में आरपीएफ के जवान ने उनके साथ तेलंगाना के दो अन्य मुस्लिम व रोकने वाले अफसर की गोलीमार कर हत्या कर दी। उनके परिवार को रेल की तरफ से 10 लाख रुपए का चेक वहीं राजस्थान में मिला है, लेकिन बिहार सरकार का कोई भी प्रतिनिधि अब तक मिलने नहीं आया है।

सीतामढ़ी वाली जांच टीम में राज्य कमिटी सदस्य अभिषेक कुमार, इंसाफ मंच के प्रदेश उपाध्यक्ष नेयाज अहमद, सीतामढ़ी के भाकपा (माले) जिला सचिव नेयाज अहमद सिद्दीकी, इंसाफ मंच के मो. जमशेद, रंजन प्रसाद सिंह, पूर्व मुखिया ललित कामत, श्याम मंडल, रामरतन मंडल शामिल थे।

वहीं दूसरी टीम में अभिषेक कुमार व नेयाज अहमद के अतिरिक्त भाकपा (माले) मधुबनी जिला सचिव ध्रुव नारायण कर्ण, इंसाफ मंच के मकसूद आलम, मो. जमशेद, विशंभर कामत व मनीष मिश्रा शामिल थे।

(भाकपा-माले की प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित।)

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