बिहार में जीउतिया के दौरान 50 से अधिक लोगों की डूबने से मौत, NDRF की कहीं कोई व्यवस्था नहीं थी

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पटना। बिहार के कई स्थानों पर जीउतिया के दौरान 50 से अधिक बच्चों-महिलाओं के पानी में डूबकर मर जाने की अत्यंत दुखद घटना पर माले राज्य सचिव कुणाल ने पार्टी की ओर से शोक प्रकट किया है।

उन्होंने कहा कि इतने व्यापक स्तर पर हुई मौतें सरकार व प्रशासन की लापरवाही को ही सामने लाती है। लगता है कि आपदा प्रबंधन की कहीं कोई व्यवस्था नहीं की गई थी न ही खतरनाक घाटों को चिन्हित किया गया था और न ही वहां सुरक्षा की कोई व्यवस्था की गई थी।

इसे आपराधिक लापरवाही माना जाना चाहिए। मृतक परिजनों को सरकर कम से कम 10 लाख रुपये मुआवजा दे।

औरंगाबाद में आज जिला सचिव मुनारिक राम के नेतृत्व में सात सदस्यीय भाकपा-माले की जांच टीम मदनपुर प्रखंड के ग्राम कुसहा व बारुण प्रखंड के ग्राम इटहट पहुंचकर शोक संतप्त परिवारों को ढांढस बंधाया।

दोनों स्थानों पर बेहद ही पीड़ादायक व हृदयविदारक घटनाएं घटी है। महिलाएं अपने बच्चों के दीर्घायु होने के लिए निर्जला का व्रत रखती हैं लेकिन प्रशासन की लापरवाही की वजह से उनकी गोद ही सूनी हो गई।

माले जिला सचिव ने कहा कि औरंगाबाद जिले में आए दिन आहर-पोखर-नदी में डूबने से मौत की कई घटनाएं हुई हैं लेकिन जिला प्रशासन ने सुरक्षा का कोई ठोस प्रयास नहीं किया।

उन्होंने कहा, भाकपा-माले सरकार व जिला प्रशासन से मांग करती है कि वैसे स्थान जहां पर्व-त्योहार के अवसर पर भीड़ होती है उस स्थान को चिन्हित कर प्रशासनिक व्यवस्था सुनिश्चित किया जाए। एनडीआरफ की यूनिट होनी चाहिए ताकि ऐसे मामलों में तत्काल राहत के कदम उठाए जा सके।

पिछले दिनों कुसहा में लघु सिंचाई योजना के तहत आहर उड़ाही की गई थी, उसमें घोर लापरवाही बरती गई है। इटहट के ग्रामीणों ने कहा कि पोखर के चारों तरफ पाइप के साथ सीकड़ की व्यवस्था होती तो शायद घटना नहीं घटती। जिला प्रशासन को तत्काल पाइप व सीकड़ की व्यवस्था सुनिश्चित करना चाहिए ताकि आने वाले छठ पर्व में कोई परेशानी ना हो।

जांच टीम में बारुण प्रखंड सचिव कृष्ण सिंह, अशोक यादव, शनि, गुड़ु चंद्रवंशी, अवधेश गिरी, नरेश मेहता शामिल थे।

(प्रेस विज्ञप्ति)

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