आरएसएस-बीजेपी की राजनीति के खिलाफ जन मुद्दों पर जन गोलबंदी वक्त की जरूरत : एआईपीएफ

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लखनऊ।ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट द्वारा लखनऊ में प्रदेश के विभिन्न राजनीतिक, सामाजिक संगठनों और सरोकारी नागरिकों की बैठक गांधी भवन में आयोजित की गई।

बैठक में यह पाया गया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व भारतीय जनता पार्टी की लोकतंत्र विरोधी आक्रामक राजनीति के विरुद्ध विपक्ष खासकर सपा, जो विपक्ष की सबसे मजबूत राजनीतिक ताकत है, जन मुद्दों के अभाव में कारगर भूमिका नहीं निभा पा रही है।

प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी की गिरावट जारी है और कांग्रेस का भी पुनर्जीवन नहीं दिख रहा है। ऐसी स्थिति में बातचीत में यह पाया गया कि रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य और समाज के गरीब तबकों, दलितों, आदिवासियों व अल्पसंख्यकों की सुरक्षा जैसे मुद्दों पर जन गोलबंदी के लिए एक बड़े अभियान की प्रदेश में जरूरत है।

बैठक में यह नोट किया गया कि रोजगार अधिकार अभियान के साथी विभिन्न स्तर पर अपनी पहलकदमी बरकरार रखे हुए हैं और बिहार में बीपीएससी के छात्रों के आंदोलन के समर्थन में अभियान की टीम पटना गई जिसे बैठक में अच्छा कदम माना गया।

यह भी महसूस किया गया कि समाज में विभिन्न प्रकार के भेदभाव और अलगाव झेलने वाली सामाजिक शक्तियों का भी एक संगठन बनाना जरूरी है। विचार विमर्श के बाद दलित एकता मंच/दलित सालिडेरिटी फोरम का गठन भी किया गया। जिसमें दलित जातियों के अलावा वह सामाजिक शक्तियों भी शामिल रहेंगी जो लैंगिक भेदभाव और अलगाव की शिकार है।

रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य और अनुसूचित जाति-जनजाति के सब प्लान पर बजट बढ़ाने के साथ यह बात भी उभरी कि चुनाव सुधार खास तौर पर अनुसूचित जाति व जनजाति के निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव पद्धति में भी बदलाव किया जाए। वैसे तो लोगों का यह मानना था कि बेहतर होता कि पृथक निर्वाचन की पद्धति अख्तियार की जाती।

लेकिन यदि आज की स्थिति में यह संभव नहीं है तो कम से कम संयुक्त निर्वाचन के लिए अनुसूचित जाति व जनजाति के एक वाजिब वोट प्रतिशत को निश्चित किया जाए जिसे प्राप्त करने के बाद ही किसी व्यक्ति को निर्वाचित घोषित किया जाए।

ज्ञातव्य है कि जब भी देश में अनुसूचित जाति-जनजाति पर दमन होता है या उन पर हमला होता है तब इन आरक्षित सीटों से जीते हुए प्रतिनिधि मौन रहते हैं और अपनी पार्टी की जन विरोधी दिशा के साथ रहते हैं।

बातचीत में यह महसूस किया गया कि बेरोज़गारी की स्थिति में जो छात्र व युवा समूह उद्यम के क्षेत्र में जाना चाहते हैं उनके लिए विशेष प्रावधान सरकार बनाए। यह भी तय किया गया कि अनुसूचित जाति-जनजाति, अति पिछड़ों और अल्पसंख्यक समूह के लोगों को उद्यम और व्यापार के लिए बिना ब्याज का ऋण उपलब्ध कराया जाए और उनके उत्पाद की खरीद की गारंटी सरकार करे।

लेदर उद्योग में लगे दलित उद्यमी समूहों को विशेष आर्थिक अनुदान दिया जाए। जो जन कल्याणकारी योजनाएं चल रही हैं उन्हें पूरे तौर पर लागू किया जाए। विभिन्न राजनीतिक सामाजिक समूहों से बात करने, जन मुद्दों पर संवाद चलाने के लिए एक बड़ी टीम का भी गठन बैठक में किया गया।

बैठक की अध्यक्षता ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के राष्ट्रीय अध्यक्ष एस.आर. दारापुरी ने की। एआईपीएफ के संस्थापक सदस्य अखिलेन्द्र प्रताप सिंह बैठक में मौजूद रहे और उन्होंने बैठक के विषयों पर अपनी बात रखी।

बैठक में बाल एवं शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर नंदकिशोर, एआईपीएफ के प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर बी आर गौतम, एससी-एसटी रेलवे फेडरेशन के अध्यक्ष नरेंद्र नाथ, रोजगार अधिकार अभियान के कोऑर्डिनेटर राजेश सचान, लखनऊ बचाओ संघर्ष समिति के नेता इमरान राजा, एआईपीएफ महासचिव डाक्टर बृज बिहारी, राष्ट्रीय कुली मोर्चा के कोऑर्डिनेटर राम सुरेश यादव, विद्युत विभाग के प्रशासनिक अधिकारी रहे अशोक धनकर, समता सैनिक दल के डा. मलखान सिंह यादव, वर्कर्स फ्रंट के महासचिव राम शंकर व अध्यक्ष इंजीनियर दुर्गा प्रसाद, राम भवन, आदिवासी नेता कृपा शंकर पनिका, इंद्रदेव खरवार, युवा आदिवासी नेता सविता गोंड, राघवेंद्र प्रसाद,अधिवक्ता दीपक कुमार, सुनील मौर्य, रामू बघेल, युवा मंच के अर्जुन प्रसाद, जैनुल आब्दीन, डॉ राम प्रकाश, दलित बुद्धिजीवी अरुण खोटे, दिनकर कपूर, श्रीराम आदि ने अपने विचारों को रखा।


(ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट द्वारा जारी।)

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