Sunday, October 1, 2023

वर्धा: भगत सिंह की 115वीं जयंती की पूर्व संध्या पर मशाल जुलूस का आयोजन

महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय,वर्धा में दिनांक 27 सितंबर 2022 को भगत सिंह की 115वीं जयंती की पूर्व संध्या पर मशाल मार्च और सभा का आयोजन किया गया।

विश्वविद्यालय के सावित्री बाई फुले छात्रावास से मशाल मार्च की शुरुआत की गई, जिसमें छात्र-छात्राओं ने इंक़लाब ज़िंदाबाद, साम्राज्यवाद मुर्दाबाद, पूँजीवाद हो बर्बाद, लड़ो पढ़ाई करने को, पढ़ो समाज बदलने को आदि नारे लगाते हुए मार्च मुख्य द्वार की तरफ जाने के क्रम में अचानक से तेज बारिश शुरू हो गयी। बारिश के कारण मशाल बुझ गयी, हाथ में लिए पोस्टर गल गए, सभी लोग भीग गए लेकिन भगत सिंह के वारिसों के हौसले नहीं डिगे।

मार्च लगातार मुख्य द्वार की तरफ बढ़ता रहा। मुख्य द्वार पर पहुँचकर मार्च सभा में तब्दील हो गया। सभा में बात रखते हुए आदित्य ने कहा कि, भगत सिंह का सपना था कि भारत एक शोषण रहित समाज हो। जहाँ एक इंसान के द्वारा दूसरे इंसान का शोषण समाप्त हो जाये। लेकिन वर्तमान समय में देश में प्रति दिन महिलाओं, दलितों, अल्पसंख्यकों के साथ उत्पीड़न की घटनायें पढ़ने और देखने को मिल रही हैं। आज भी देश में मुट्ठी भर लोगों का शासन चल रहा है।

रितेश ने भगत सिंह को याद करते हुए कहा कि सभी लोग चाहते है भगत सिंह पैदा हों, लेकिन पड़ोसी के घर। आज हर घर में भगत सिंह के विचारों को जानने और समझने की जरूरत है। साथ ही वर्तमान समय में छात्रों के शिक्षा के मौलिक अधिकार को छीनने की साजिश का भी विरोध किया।

अजय ने भगत सिंह के द्वारा अपने साथियों व पिता को लिखे पत्रों का उल्लेख करते हुए बातचीत रखी। सभा में उत्कर्ष और विश्वविद्यालय के अन्य विद्यार्थियों ने भी अपनी बात रखी। मशाल मार्च और सभा में 60-70 छात्र-छात्राएं मौजूद रहे। सभा का समापन दरिंदगी की शिकार उत्तराखंड की अंकिता भंडारी को श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ हुआ।

(वर्धा से स्वत्रंत पत्रकार राजेश सारथी की रिपोर्ट)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of

guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles

ग्राउंड रिपोर्ट: साहब अभी मैं जिंदा हूं!

मुजफ्फरनगर। चेहरे पर उगी झुर्रियां उपर से परेशानी के गहरे भाव, पसीने से सना...