Saturday, April 27, 2024

पंजाब भी बना हिमाचल में बरप रहे कहर का हिस्सा

पंजाब से ही अलहदा हुए हिमाचल प्रदेश से इस राज्य के लोगों को बेहद मोहब्बत है। कई लोग गर्मियों का पूरा सीजन वहीं पहाड़ों में बिताते हैं। कई मानसून में तो कई दिसंबर की घोर सर्दियों में। बर्फ के बीच। अब आलम दूसरा है। हिमाचल प्रदेश में खूब बर्फबारी और बारिश हो रही है। इसके सीधे असर में पंजाब भी है। अनगिनत लोग बेघर होकर शरणार्थी शिविरों में पनाह लिए हुए हैं। फौज और एनडीआरएफ की टीमें लोगों को रेस्क्यू कर रही हैं।

चार लोगों की मौत बाढ़ के इस दूसरे चरण में एक ही दिन में हुईं। बटाला के कस्बा श्री हरगोविंदपुर के पास गांव धीरोवल के रहने वाले दो चचेरे भाई ड्रेन में गिर गए, जिससे दोनों की मौत हो गई। एक की उम्र 14 साल तो दूसरे की 13 साल थी। वहीं, फाजिल्का जिले के मंडी अरनीवाला शेख सुभान में अचानक क्षतिग्रस्त मकान की छत गिरने से 60 वर्षीया महिला और उसके 7 साल के पोते की मौत हो गई। सच है की मौत न उम्र देखती है और न वक्त और न ही जगह।

गौरतलब है कि पिछले हफ्ते के अंत में लगा था कि बाढ़ जा चुकी है। बर्बादी के बेइंतहा निशान छोड़ कर। कई इंसानी और पशुओं की जिंदगियां लेकर। लेकिन इस हफ्ते अचानक लौट आई। तबाही की नई इबारत लिखने, और लिख रही है। आधा पंजाब सहमा हुआ है और मान रहा है कि वह मौत के किनारे खड़ा है। बेबस लोग रोने और चिल्लाने के अलावा कुछ नहीं कर सकते। जब तक बचाव टीमें उन्हें महफूज जगहों पर न पहुंचा दें।

वरिष्ठ वामपंथी नेता मंगतराम पासला कहते हैं कि, “सरकार ने पूर्व चेतावनी के बावजूद पहले भी नालायकी दिखाई और अब भी वही हुआ। प्रकृति को कोई दोष नहीं दिया जा सकता लेकिन सरकार तो अपना फर्ज सही ढंग से पूरा कर सकती थी। मुख्यमंत्री सिर्फ टीवी बाइट और अखबारों में फोटो छपवाने के लिए कश्ती में बैठे।”

पंजाब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह ‘राजा वडिंग’ कहते हैं कि, “प्रति घंटा लाखों रुपया खर्च करके दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल को हेलीकॉप्टर से यहां से वहां पहुंचाया जाता है। मुख्यमंत्री को चाहिए कि उसी हेलीकॉप्टर से वह बाढ़ ग्रस्त इलाके के रेशे-रेशे का दौरा करें। बाढ़ की समग्रता को इस मनिंद देखना आसान नहीं है। उनके मंत्री जहाजों जैसी बड़ी-बड़ी गाड़ियां बाढ़ ग्रस्त इलाकों में लिए फिरते हैं। कर कुछ नहीं रहे। यह लोगों को चिढ़ाने जैसा है। हेलीकॉप्टर के जरिए मुख्यमंत्री ज्यादा इलाकों में जा पाएंगे और देख पाएंगे कि तबाही कितनी ज्यादा हुई है। पंजाब में वह हुआ है जो पहले कभी नहीं हुआ।”

भाखड़ा और पोंग डैम से छोड़े गए पानी ने पंजाब के अब नौ जिलों को चपेट में ले लिया है। वहां से जमीनी सच्चाई पता चलती है कि बेइंतहा तबाही मची हुई है। वीरवार की शाम भाखड़ा से 78 हजार और पौंग से 99895 क्यूसिक पानी छोड़ा गया। इससे सतलुज और ब्यास दरिया खासे उफान पर हैं। 8 घंटे में हुसैनीवाला हेड का जलस्तर 29 हजार क्यूसेक बढ़ा है। यहां से पाकिस्तान की ओर पानी छोड़ा जा रहा है।

हालात कब सुधार की तरफ जाएंगे, कोई नहीं जानता। मुख्यमंत्री भगवंत मान का कहना है कि उन्होंने अधिकारियों को विशेष हिदायत दी है कि विशेष गिरदावरी निष्पक्ष ढंग से जल्द से जल्द करवाई जाए। आधा पंजाब डूब गया और अभी भी गिरदावरी नहीं हुई। फिलवक्त कोई भी पीड़ित किसान नहीं जानता कि उसे मिलेगा क्या? रोटी-पानी और पनाहगाहों
की बाबत सरकार स्वयंसेवी संस्थाओं से काफी पीछे है।

कपूरथला के जोगिंदर सिंह ने बताया कि लोग शरण के लिए सरकारी शिविरों की बजाए गुरुद्वारों या प्राइवेट शिविरों में जाने को तरजीह दे रहे हैं। सरकारी शिविरों में उनके जानवरों को चारा-पानी नहीं मिल रहा और ठीक ढंग से ख्याल भी नहीं रखा जा रहा।

होशियारपुर के बेट क्षेत्र के एक बाशिंदे विचित्र सिंह का कहना है कि सरकारी सहायता के नाम पर दिखावा ज्यादा हो रहा है और काम कम। मंत्री और विधायक आते हैं तो अधिकारी और कर्मचारी सक्रिय हो जाते हैं लेकिन उनके जाते ही बाबूशाही हावी हो जाती है। विचित्र सिंह शायद राज्य-व्यवस्था के असली ढांचे से अपरिचित हैं।

इस पत्रकार ने हिमाचल प्रदेश से वहां के हालात की जानकारी लेनी चाही। हमीरपुर से ‘द ट्रिब्यून’ के संवाददाता दिनेश कंवर ने बताया, “पहाड़ों में अवैज्ञानिक तरीके से हो रहे निर्माण से वन क्षेत्र कम होता जा रहा है और हिमालय की सेहत पर भी इसका सीधा असर पड़ रहा है। इस बार की आपदा इसका पुख्ता उदाहरण है। यहां दो साल में भूस्खलन की घटनाएं 10 गुना बढ़ गई हैं। इसी मॉनसून में 55 दिन में 113 बार भूस्खलन हुआ।

‘दैनिक भास्कर’ के एक पत्रकार के अनुसार पूरे हिमाचल प्रदेश में ऐसे क्षेत्र 17120 हो गए हैं। इनमें भी 675 के किनारे इंसानी बस्तियां हैं। जाहिरा तौर पर इन पर खतरे मंडरा रहे हैं। भूवैज्ञानिक विशेषज्ञ प्रोफेसर वीरेंद्र सिंह धर के मुताबिक हिमालय पारिस्थितिकी रूप से बहुत नाजुक स्थिति में है। सड़क निर्माण के लिए पहाड़ों की ढलान में है वैज्ञानिक तरीके से कटाई, टनल में धमाके और हाइड्रो प्रोजेक्ट से भूस्खलन बढ़ रहा है। चौड़ी सड़कों के लिए हिमाचल प्रदेश के पहाड़ों को सीधा काटा जा रहा है। इससे पहाड़ों की तलहटी की चट्टानें भी काटी जा रही हैं, जिससे जल निकासी की व्यवस्था खत्म हो रही है। नतीजतन हिमाचल प्रदेश में ढलान वाले इलाके भूस्खलन के लिए अति संवेदनशील हो गए हैं।

हिमाचल की आपदा में मरने वालों का आंकड़ा वीरवार को 330 हो गया और आज शुक्रवार को इन पंक्तियों को लिखने तक दो और मौतों की खबर है। हिमाचल के हजारों घर सरकारी इमारतें भूस्खलन के खतरे की जद में हैं। घरों में रहने वाले लोगों को राहत शिविरों में भेजा जा रहा है। यह काम इतना आसान नहीं। क्योंकि ज्यादातर घर कई- कई फीट नीचे की घाटियों में हैं। केंद्र में भाजपा की सरकार है तो हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की।

पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार कहते हैं कि केंद्र इतनी विराट आपदा के बावजूद हिमाचल के प्रति संवेदनशील नहीं है बल्कि इस प्रदेश की उपेक्षा कर रही है। कतिपय भाजपा नेताओं ने भी आरोप लगाए हैं कि केंद्र जानबूझकर हिमाचल की उपेक्षा कर रहा है। कांग्रेस का कहना है कि मौजूदा प्राकृतिक आपदा ने इस प्रदेश को सौ साल पीछे कर दिया है। ऐसे में इसे केंद्र से ज्यादा से ज्यादा सहयोग चाहिए। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा इसी प्रदेश के रहने वाले हैं।

इस बीच पंजाब में बाढ़ के हालात को देखते हुए शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने हर जिले में सहायता केंद्र स्थापित किए हैं। एसजीपीसी के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी के अनुसार बाढ़ की पुनरावृति को देखते हुए ऐसा किया गया है। जो लोग फंसे हुए हैं, उन्हें वहीं लंगर पहुंचाया जा रहा है। शरणार्थी शिविरों की स्थापना भी की गई है।

उधर, पंजाब भाजपा ने वीरवार को राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित को ज्ञापन सौंपा कि भारी बारिश वाले बाढ़ ग्रस्त इलाकों में किसानों की खेती वाली जमीनों में रेत भर गई है। जिस कारण उनकी फसलों का भारी नुकसान हुआ है। वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व सांसद अविनाश राय खन्ना ने राज्यपाल से अपील की है कि वह फौरन किसानों को राहत देते हुए उनकी खेती की जमीन से रेत उठाने की अनुमति दें या सरकार इसे खुद संभाले।

(अमरीक वरिष्ठ पत्रकार हैं और पंजाब में रहते हैं।)

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