Thursday, March 28, 2024

पंजाब: दिल्ली की तर्ज पर सरकार और राज्यपाल के बीच बढ़ता टकराव

पंजाब की भगवंत मान की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी सरकार और राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। सरकार के गठन के बाद से ही राज्यपाल और निर्वाचित सरकार आमने-सामने हैं। अब भगवंत मान मंत्रिमंडल में वरिष्ठ मंत्री अमन अरोड़ा ने खुला आरोप लगाया है कि राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित पंजाब में समानांतर सरकार चला रहे हैं और यह सब केंद्र के इशारे पर हो रहा है।

राज्यपाल के ‘दखल’ के मद्देनजर बखूबी कहा जा सकता है कि सरकार और राज्यपाल के बीच का टकराव दिल्ली वाले हालात की शक्ल अख्तियार कर रहा है।

ताजा विवाद की जड़ में राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित का सूबे के पाकिस्तान की सीमा से सटे जिलों का दौरा है। आम आदमी पार्टी सरकार के सत्तारूढ़ होने के बाद बनवारीलाल पुरोहित दूसरी बार अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगे जिलों के दौरे पर गए और बढ़ते नशों की बाबत इशारों-इशारों में बहुत कुछ कह गए। दूसरे अर्थों में कहें तो वह मौजूदा राज्य सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए इस बाबत गुनाहगार मानते हैं।

अपने विवादास्पद व बहुचर्चित दौरे के दौरान राज्यपाल तमाम सीमावर्ती जिलों के गांवों के सरपंचों, पंचों और पंचायती राज संस्थाओं के विभिन्न प्रतिनिधियों से भी मिले। पुलिस और प्रशासन के आला अधिकारियों के साथ बैठक भी की।

दो फरवरी से पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित सरहदी जिलों अमृतसर, पठानकोट, फिरोजपुर, गुरदासपुर और फाजिल्का के दौरे पर हैं। पिछले साल अप्रैल महीने के दौरान, यानी नई सरकार के गठन के लगभग एक महीने बाद ही राज्यपाल ने इन्हीं सीमावर्ती जिलों का विस्तृत दौरा किया था। जिसे लेकर खुद मुख्यमंत्री भगवंत मान ने एतराज जताया था।

कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल ने भी आम आदमी पार्टी का समर्थन करते हुए कहा था कि राज्यपाल केंद्र के इशारे पर पंजाब सरकार के कामकाज में खुली दखलअंदाजी कर रहे हैं। तब और अब, दोनों बार राज्यपाल ने सार्वजनिक रैलियों को भी संबोधित किया। पिछली बार की तरह इस बार भी कहा कि वह पंजाब की जमीनी हकीकत देखने के लिए सीमावर्ती जिलों के दौरे पर निकले हैं और यह उनका संवैधानिक अधिकार है।

बढ़ते विवाद के बीच इस बार राज्यपाल ने कहा कि राज्य सरकार चाहती है कि राज्यपाल चारदीवारी में ही बैठे रहें लेकिन वह ऐसा नहीं करेंगे। तमाम आदेश राजभवन से अंतिम रूप लेते हैं। ऐसे में राज्यपाल का कर्तव्य है कि वह जमीनी स्तर पर जाकर लोगों की समस्याएं सुनें।

राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने अपने हालिया दौरे से हासिल फीडबैक के बाबत फिलहाल कुछ नहीं कहा और ना ही बताया। अलबत्ता इतना जरूर कहा है कि वह यथाशीघ्र दौरों के दौरान मिली ‘जानकारियां’ साझा करेंगे। भरोसेमंद सूत्रों से संकेत मिले हैं कि सरहदी इलाकों के राज्यपाल के दौरे केंद्र के अपरोक्ष निर्देशों के बाद हो रहे हैं। मकसद है, भगवंत मान सरकार को मुश्किलों में डालना।

हालांकि सावधानी बरतते हुए मुख्यमंत्री मान के निर्देशानुसार राज्यपाल के दौरों में कई जगह मुख्य सचिव विजय कुमार जंजुआ और कार्यकारी पुलिस महानिदेशक (जिनके पास डीजीपी की शक्तियां हैं) गौरव यादव उनके साथ रहे। इससे पहले वर्चुअल मीटिंग में मुख्यमंत्री ने तमाम जिलों के उपायुक्तों और पुलिस प्रमुखों को बाकायदा आदेश दिए थे कि राज्यपाल को प्रोटोकॉल संबंधी किसी तरह की कोई शिकायत नहीं होनी चाहिए और हर अधिकारी हमेशा उनके साथ रहे।                             

इस बीच भगवंत सिंह मान मंत्रिमंडल के आवास एवं शहरी विकास मंत्री अमन अरोड़ा ने आरोप लगाया कि राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित दौरों के दौरान ‘राजनीतिक भाषणबाजी’ कर रहे हैं और समानांतर सरकार चलाने की कवायद में हैं। अमन अरोड़ा को मुख्यमंत्री की आवाज ही माना जाता है।

अरोड़ा कहते हैं, “यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्यपाल अपने पद की गरिमा नहीं रख रहे। पंजाब में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ कि राज्यपाल सियासी भाषण देते फिरें। वह प्रत्यक्ष रूप से हमारी सरकार के खिलाफ हमलावर हैं। उनके दौरे ठेठ राजनीतिक हैं और रैलियों में जनता को संबोधन करना भी। अगर उन्हें कहीं कोई समस्या नजर आती है तो वह ऐसे मुख्यमंत्री के ध्यान में ला सकते हैं लेकिन इसके बजाय राज्यपाल समानांतर सरकार चला रहे हैं।”

मंत्री अमन अरोड़ा के आरोप काफी गंभीर हैं। नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा ने भी अमन अरोड़ा का समर्थन करते हुए कहा कि राज्यपाल को सीमा नहीं लांघनी चाहिए।

उधर, राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने भी खुला पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि वह पंजाब में राजनीति नहीं कर रहे, महज अपना कर्तव्य निभा रहे हैं। फिरोजपुर में सरपंचों-पंचों की रैली को संबोधित करने की बाबत उन्होंने कहा कि जो नेता मुझ पर राजनीति करने का आरोप लगा रहे हैं, वे एक भी उदाहरण बता दें कि मैंने अपने दायरे से बाहर जाकर कुछ किया है।

राज्यपाल ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय सीमा पर छह महीनों में एंटी ड्रोन यंत्र तैयार हो जाएगा। उन्होंने कहा कि फिरोज़पुर में उनका यह तीसरा दौरा है और उन्होंने सीमांत गांवों के ग्रामीणों और सरपंचों को नशे के खिलाफ एकजुट किया है। इसीलिए सीमा पार से आ रही ड्रग्स और हथियार पकड़ने में केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों को कामयाबी मिल रही है।

आम आदमी पार्टी सरकार के एक अन्य मंत्री का कहना है कि पुरोहित राज्य सरकार के इकबाल को ठेस पहुंचा रहे हैं और उनकी भूमिका सरासर नरेंद्र मोदी सरकार के एजेंट की है। जबकि राज्य भाजपा अध्यक्ष अश्विनी शर्मा कहते हैं, “राज्यपाल अपने अधिकारों का सदुपयोग कर रहे हैं। वह राज्य के संवैधानिक मुखिया हैं और कहीं भी जाकर लोगों की समस्याएं सुन सकते हैं। इसमें ऐतराज क्यों?”

पंजाब में बढ़ते नशे के आरोप के बाद मुख्यमंत्री भगवंत मान ने तमाम जिलों के वरिष्ठ प्रशासनिक तथा पुलिस अधिकारियों की बैठक बुलाई है ताकि राज्यपाल के आरोपों का तार्किक और तथ्यात्मक जवाब दिया जा सके। हालांकि एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि यह एक रूटीन बैठक है।

यह पहला मौका नहीं है कि राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच खुले टकराव की नौबत आई है। इससे पहले पंजाब के कुछ विश्वविद्यालयों में राज्यपाल के ‘हस्तक्षेप’ को आम आदमी पार्टी मुद्दा बना चुकी है। राज्य सरकार की ओर से पारित हुए कई बिल राज्यपाल भवन में मंजूरी के लिए धूल चाट रहे हैं।

सार्वजनिक सरकारी मंचों पर मुख्यमंत्री भगवंत मान राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित से बहुत अनमने ढ़ंग से मिलते हैं और ठीक यही रवैया राज्यपाल का रहता है। चंडीगढ़ स्थित एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि दोनों यानी मुख्यमंत्री और राज्यपाल इस कोशिश में रहते हैं कि आपस में मिलना ही न पड़े। राज्यपाल केंद्र को अपनी रिपोर्ट भेजते हैं तो मुख्यमंत्री आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल को। जिनका दिल्ली के उपराज्यपाल से टकराव जगजाहिर है। तो क्या पंजाब में भी यह स्थिति आ चुकी है?                                    

 (अमरीक वरिष्ठ पत्रकार हैं और पंजाब में रहते हैं।)

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