फासीवादी भाजपा को पीछे धकेलने की जवाबदेही बिहार पर : दीपंकर भट्टाचार्य

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पटना। भाकपा-माले 9 मार्च 2025 को पटना में ‘बदलो बिहार महाजुटान’ करेगी। आज उसकी तैयारी को लेकर पटना के रवीन्द्र भवन में आयोजित राज्यस्तरीय कार्यकर्ता कन्वेंशन को संबोधित करते हुए माले महासचिव ने कहा कि फासीवादी भाजपा को पीछे धकेलने की जवाबदेही बिहार पर है।

कुछ ही महीनों में यहां विधानसभा चुनाव होने वाला है। उन्होंने आह्वान किया कि झारखंड की तरह बिहार भी भाजपा को सबक सिखाए ताकि देश में संविधान व लोकतंत्र को बचाया जा सके।

आगे कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव में बैकफुट पर पहुंची भाजपा एक बार फिर से हरियाणा व झारखंड के चुनावों के बाद हमलावर है। महाराष्ट्र में उसने तिकड़मों के जरिए पहले सत्ता हथियाया फिर चुनाव हथिया लिया।

आज महाराष्ट्र सहित पूरा देश चुनाव आयोग की निष्पक्षता और ईवीएम पर सवाल खड़ा कर रहा है। ऐसे में उसपर पर्दा डालने के लिए वन नेशन वन इलेक्शन का शिगुफा छेड़ा जा रहा है।

अमेरिकी जांच एजेंसियों ने अडानी घोटाले का पर्दाफाश किया कि किस तरह अमेरिका से पैसे उठाकर केवल पांच राज्यों में 2200 करोड़ रुपया घूस देकर सौर ऊर्जा खरीदी गई। और फिर बहुत महंगी दर पर भारत में बिजली बेची जा रही है। केंद्र सरकार संसद में इसपर चर्चा तक नहीं चाहती।

सरकार ही संसद नहीं चलने दे रही है। राज्यसभा के सभापति तमाम नियम कानूनों का उल्लंघन कर रहे हैं और विपक्षी सांसदों का अपमान करते हैं। ऐसे में देश की निगाह बिहार पर है कि क्या बिहार इस फासीवादी सरकार को घुटने टेकने के लिए मजबूर कर पाएगा? हमें इस महत्ती जिम्मेवारी को कबूल करना है।

उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ और ‘पंथनिरपेक्ष’ शब्दों को चुनौती देने वाली याचिकाओं को रद्द करना और ‘प्लेसेज ऑफ वरशिप एक्ट, 1991’ पर हाल में दिया आदेश जरूर स्वागतयोग्य कदम है लेकिन भाजपा-आरएसएस द्वारा संविधान की मूल भावना को कमजोर करने के प्रयासों के खिलाफ हमें निरंतर संघर्ष जारी रखना होगा।

इलाहाबाद हाइकोर्ट के एक जज कहते हैं कि बहुसंख्यक की इच्छा ही कानून है। ऐसे में देश का संविधान व लोकतंत्र कैसे बचेगा? मोदी सरकार ने न्यायपालिका से लेकर मीडिया संस्थानों पर कब्जा कर लिया है और मनुस्मृति का गुलाम बना देने के सारे प्रयास हो रहे हैं। हमें इन तमाम चुनौतियों से एक साथ लड़ना है।

उन्होंने कहा कि बिहार की तथाकथित डबल इंजन सरकार के अन्याय, बदलाव की ताकतों को कुचल देने और बिहार को पीछे धकेलने की साजिशों के खिलाफ चैतरफा आंदोलनों को तेज करना है।

यह कन्वेंशन लोगों के जीवन-जिंदगानी, सामाजिक न्याय, आर्थिक सुरक्षा, सुरक्षित रोजगार, भूमि पर अधिकार, लाभकारी खेती जैसे बदलाव के एजेंडे को नई ऊर्जा देने के लिए आयोजित है। 9 मार्च को पटना में होने वाले महाजुटान को विभिन्न आंदोलनरत सामाजिक समूहों का एक साझा मंच बना देना है। उनकी गोलबंदी में अभी से एक-एक कार्यकर्ताओं को लग जाना है।

बिहार में 20 सालों में विकास नहीं बकवास हुआ है। पुल-पुलिया ध्वस्त हो रहे हैं, विकास हुआ है तो भ्रष्टाचार का विकास हुआ है। जिन अधिकारियों के भरोसे सरकार चल रही है आज वे जेल के पीछे हैं। दूसरी ओर, आंदोलनरत नेताओं को उठाकर जेल में डाल दिया जा रहा है।

बिहार की जनता में बदलाव की तीव्र आकांक्षा है। पार्टी द्वारा चलाए गए ‘हक दो-वादा निभाओ’ और ‘बदलो बिहार न्याय यात्रा’ के दौरान यह खुलकर सामने आया। अभी हाल में तिरहुत स्नातक क्षेत्र से एक सामान्य प्रत्याशी को जीत मिली। हम इसका स्वागत करते हैं। यह बदलाव की चाहत को ही दिखलाता है।

स्कीम वर्करों से लेकर भूमिहीन मजदूरों-किसानों-छात्र-युवाओं-अल्पसंख्यकों सबको मिलकर नया बिहार बनाना है। माले की बढ़ी ताकत संसद से लेकर विधानसभा तक दिख रही है जिसने इन आवाजों को एक नई ऊंचाई प्रदान की है।

कन्वेंशन का यह आह्वान है कि भाकपा-माले देश के कोने-कोने में फैल जाए और बदलाव की इस मुहिम को तेज करे।

(प्रेस विज्ञप्ति)

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