देशभर के नामवर शिक्षण संस्थानों में दक्षिणपंथी ताकतों के विरोध के बावजूद गुजरात दंगों पर बनी बीबीसी की फिल्म दिखाई जा रही है। इसी क्रम में पंजाब स्टूडेंट यूनियन (पीएसयू) ने पंजाबी यूनिवर्सिटी, पटियाला के परिसर में बीबीसी की दस्तावेजी फिल्म ‘इंडिया द मोदी क्वेश्चन’ की स्क्रीनिंग की गई।
बड़ी तादाद में छात्रों, शिक्षकों और आम लोगों ने इस डॉक्यूमेंट्री को देखा। फिल्म आधी से ज्यादा चल गई थी कि तभी वहां भाजपा से जुड़े अखिल भारतीय छात्र संगठन (एबीवीपी) के कुछ नेता पहुंच गए और इल डाक्यूमेंटरी ‘इंडिया द मोदी क्वेश्चन’ फिल्म की स्क्रीनिंग को रोकने के लिए कहा।
किसी भी तरह के विवाद को हिंसक न होने देने के लिए बड़ी तादाद में पुलिस और विश्वविद्यालय के सुरक्षाकर्मी तैनात थे। पुलिस अधिकारियों ने विरोध कर रहे एबीवीपी के छात्र नेताओं को समझाया कि यह तर्क सही नहीं है कि यह फिल्म भारत विरोधी है। यह भी स्पष्ट नहीं है कि फिल्म किसके खिलाफ है। इस दौरान दस्तावेजी फिल्म का प्रदर्शन जारी रहा और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्र नेता वहां से चले गए।
बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग के मौके पर पीएसयू के महासचिव अमनदीप सिंह खयोवाली ने कहा कि भारत के प्रत्येक नागरिक को इस डॉक्यूमेंट्री को देखने का संवैधानिक हक है और इस पर बोलने-लिखने का भी। उनके मंच पर आकर कोई भी अपनी बात रख सकता है।
उन्होंने कहा कि बीबीसी की फिल्म को लेकर वह किसी किस्म का कोई टकराव नहीं चाहते लेकिन अगर केंद्र सरकार के पक्षधर दल इसका प्रदर्शन रोकने की कोशिश करेंगे तो उन्हें करारा जवाब दिया जाएगा।
पंजाब स्टूडेंट यूनियन के नेताओं गुरदास सिंह और लखविंदर सिंह ने कहा कि मोदी सरकार हर विरोधी आवाज़ को दबाना चाहती है। विश्वविद्यालय शिक्षा के वे केंद्र हैं, जहां पक्ष-प्रतिपक्ष विचारों के बीच हमेशा संवाद रहता है।
पंजाबी यूनिवर्सिटी, पटियाला भी इस परंपरा का शुरू से ही पालन करती आई है। देश के जिन विश्वविद्यालयों में बीबीसी की इस फिल्म को दिखाने पर रोक लगाई गई, उनसे अभिव्यक्ति के उनके अधिकार छीनने की कवायद हुई। यह केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा मौलिक अधिकारों का खुला उल्लंघन है।
पीएसयू के अन्य नेताओं राजविंदर कौर, रमण कौर और प्रीति यादव व अक्षय घग्गा आदि ने कहा कि पंजाब स्टूडेंट यूनियन केंद्र सरकार के हर लोक विरोधी कदम का डटकर विरोध करेगी। फिल्म के बाद इस पर विस्तृत विचार-विमर्श भी हुआ।
गौरतलब है कि इससे पहले पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ में भारी हंगामे में इस डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग का विरोध हो चुका है लेकिन फिर भी फिल्म दिखाई गई। पंजाब में अब ‘इंडिया द मोदी क्वेश्चन’ अन्य सार्वजनिक केंद्रों और महाविद्यालयों में भी दिखाई जाएगी।
(अमरीक वरिष्ठ पत्रकार हैं और पंजाब में रहते हैं)
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