Saturday, April 27, 2024

ओडिशा में खनन विरोधी आंदोलन के कार्यकर्ताओं का दमन बंद हो: छत्तीसगढ़ किसान सभा

रायपुर। छत्तीसगढ़ किसान सभा ने ओडिशा के कोरापुट, रायगड़ा और कालाहांडी जिलों में पिछले एक माह में 25 से अधिक बॉक्साइट खनन विरोधी कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी की तीखी निंदा करते हुए उनकी निःशर्त रिहाई की मांग की है। इन कार्यकर्ताओं को आईपीसी की दमनात्मक धाराओं और यूएपीए जैसे काले कानूनों के अंतर्गत गिरफ्तार किया गया है, जिनमें लिंगराज आजाद, लेनिन कुमार, ड्रेंजु कृषिका, कृष्णा, बारी सिकाका, सदापेल्ली और दासा खोरा जैसे जनांदोलनों के जाने-माने कार्यकर्ता भी शामिल हैं।

इसी कड़ी में गोल्डमैन पर्यावरण पुरस्कार से सम्मानित कार्यकर्ता प्रफुल्ल सामंतरा का कुछ कॉर्पोरेटपरस्त गुंडों द्वारा उस समय अपहरण कर लिया गया, जब वे एक पत्रकार वार्ता को संबोधित करने जा रहे थे।

छत्तीसगढ़ किसान सभा के संयोजक संजय पराते तथा सह संयोजक ऋषि गुप्ता और वकील भारती ने कहा है कि ओडिशा की बीजू पटनायक सरकार आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों को ताक पर रखकर नियम विरुद्ध खनन में लगे उन कॉरपोरेट के साथ खड़ी है, जो नियमगिरि, माली, सीजीमाली और कुटरूमाली पर्वतों पर बॉक्साइट खनन करके अकूत मुनाफा बटोरना चाहती है, जबकि सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट आदेश है कि वनाधिकारों की स्थापना किये बिना और ग्राम सभाओं की सहमति के बिना अनुसूचित आदिवासी क्षेत्रों में किसी भी प्रकार का खनन नहीं हो सकता।

नेताओं ने कहा कि बॉक्साइट के इन भंडारों पर अडानी-बिड़ला की नजर लगी हुई है, जिनकी कंपनियां वैधानिक स्वीकृति के बिना सरकार और प्रशासन के संरक्षण में अवैध खनन में लगी हुई हैं। समता निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा है कि अनुसूचित क्षेत्रों में निजी कंपनियां खनन नहीं कर सकतीं। इससे स्पष्ट है कि ओडिशा सरकार पुलिस और प्रशासन का उपयोग कॉर्पोरेट घरानों के पक्ष में और आदिवासी अधिकारों के खिलाफ कर रही है।

ओडिशा में आदिवासी समुदायों की रक्षा के लिए चल रहे आंदोलनों के समर्थन करते हुए किसान सभा नेताओं ने मांग की है कि ओडिशा में खनन विरोधी कार्यकर्ताओं के खिलाफ दमनात्मक कार्रवाइयों पर रोक लगाई जाए तथा उन पर लादे गए फर्जी मुकदमे वापस लिए जाएं और पेसा तथा आदिवासी वनाधिकार कानून को प्रभावशाली ढंग से लागू किया जाये।

(विज्ञप्ति पर आधारित।)

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