Saturday, April 27, 2024

कॉर्पोरेट परस्त नीतियों से हुई मजदूरों की तबाही, राष्ट्रव्यापी हड़ताल के समर्थन में उतरे मजदूर-किसान

सोनभद्र। लेबर कोड रद्द करने, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी, बेकारी जैसे सवालों पर आयोजित राष्ट्रीय हड़ताल के आह्वान पर अनपरा तापीय परियोजना गेट पर धरना देकर आवाज बुलंद की। इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि कॉर्पोरेट हितैषी नीतियों से आम जनता को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है ऐसे में लोगों की जिंदगी की हिफाजत के लिए इन नीतियों में बदलाव बेहद जरूरी है।

कल सुप्रीम कोर्ट द्वारा इलेक्टोरल बॉन्ड को असंवैधानिक बताने के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह अनायास नहीं है कि इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से कॉर्पोरेट चंदे का 84% हिस्सा अकेले भारतीय जनता पार्टी को मिला है। इससे साबित होता है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार कॉर्पोरेट की एजेंट बनी हुई है और जनविरोधी नीतियों को बढ़-चढ़कर लागू करने में लगी हुई है। लेबर कोड, किसान विरोधी तीन कृषि कानून को लागू करने की कोशिश, आश्वासन के बावजूद एमएसपी पर कानून बनाने से इंकार करना इसके ज्वलंत उदाहरण हैं।

डेढ़ साल पहले केंद्र सरकार में 10 लाख नौकरी देने की घोषणा भी महज प्रोपेगैंडा ही साबित हुई। देश भर में एक करोड़ सरकारी पद खाली है जिन्हें भरने का कोई इंतजाम नहीं किया जा रहा है। इन जनविरोधी नीतियों के विरुद्ध किसानों और मजदूरों की एकजुटता देश को तानाशाही के रास्ते पर बढ़ने से रोकने और लोकतंत्र की रक्षा के लिए के बेहद महत्वपूर्ण है।

वक्ताओं ने कहा कि देश को 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनामी बनाने की चाहे जितनी बड़ी-बड़ी बातें मोदी सरकार करे लेकिन सच्चाई यह है कि कॉरर्पोरेट मुनाफे का उसका आर्थिक विकास का रास्ता फेल हो गया है। देश की कुल जीडीपी के बराबर कर्ज हो गया है। देश में हर तबका गंभीर संकटों के दौर से गुजर रहा है। मोदी जी गरीब, किसान, महिला और युवा के विकास की बातें कर रहे हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि सरकार ने बजट में शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, कृषि विकास, महिला कल्याण, एससी- एसटी सब प्लान जैसे जनउपयोगी मदों में बजट में बड़े पैमाने पर कटौती कर दी है।

वक्ताओं ने कहा कि अनपरा क्षेत्र में आम आदमी की जिंदगी जीने लायक नहीं रह गई है। हवा और पानी में जबरदस्त प्रदूषण की वजह से लोग तमाम तरह की बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। अनपरा प्लांट में काम करने वाले ठेका मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी का भुगतान नहीं किया जा रहा है और महीनों मजदूरी बकाया रखी जा रही है। उत्तर प्रदेश में 2019 से वेज रिवीजन नहीं हुआ जिसके कारण प्रदेश में मजदूरी बेहद कम है और इस महंगाई में मजदूरों को अपने परिवार का भरण-पोषण करना कठिन होता जा रहा है।

सभा की अध्यक्षता सीटू के पूर्व जिलाध्यक्ष अवधराज सिंह और संचालन जिला संविदा श्रमिक यूनियन के अध्यक्ष सुरेंद्र पाल ने किया। सभा को यू. पी. वर्कर्स फ्रंट के प्रदेश अध्यक्ष दिनकर कपूर, उत्तर प्रदेश बिजली इंप्लाइज यूनियन के प्रदेश महामंत्री कामरेड विशंभर सिंह, युवा मंच के प्रदेश संयोजक राजेश सचान, ठेका मजदूर यूनियन के मंत्री तेजधारी गुप्ता, प्रचार मंत्री शेख इम्तियाज, सीटू कोषाध्यक्ष पन्नालाल, अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति की जिला मंत्री नीलम, भारतीय जनवादी नौजवान सभा के जिला मंत्री शिवकुमार उपाध्याय, सफाई मजदूर यूनियन के मंत्री कामरेड धर्मेंद्र, अध्यक्ष मुन्ना मलिक, किसान सभा के जगदीश कुशवाहा, मसीदुल्लाह अंसारी, शिवकुमार सोनी, गोविंद प्रजापति, कृष्णा, राधा, दुबराज देवी, शर्मिला श्रीवास्तव, राजदेव, रामबीसाले अगरिया आदि ने संबोधित किया।

मानव श्रृंखला बनाकर किसानों के समर्थन में किया प्रदर्शन

जौनपुर के केराकत में संयुक्त किसान मोर्चा एवं केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त आह्वान पर केराकत रेलवे स्टेशन पर खेत मजदूर किसान संग्राम समिति, भारतीय किसान यूनियन, भगत सिंह छात्र नौजवान महासभा, भूमि अधिकार आन्दोलन, आई कैन के कार्यकर्ताओं ने संयुक्त रुप से केराकत रेलवे स्टेशन पर इकट्ठा होकर जुलूस के रूप में चलकर केराकत के मुख्य चौराहे पर पहुंच कर मानव श्रृंखला बनाकर किसानों के समर्थन में एकजुटता का प्रदर्शन किया है। इसके साथ ही किसान नेताओं ने देश के राष्ट्रपति के नाम 22 सूत्री मांगों को प्रेषित किया।

आंदोलनकारियों ने किसान विरोधी, कृषि विरोधी कानून को वापस लेने, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, चार श्रम संहिताओं (लेबर कोड बिल) निश्चित अवधि के लिए रोजगार कानून को वापस लेने, बिजली बिल वापस लेने, शिक्षा विधेयक बिल 2020, बेरोजगारों को रोजगार, ठेका प्रथा का खात्मा एवं न्यूनतम वेतन 26000 मासिक एवं  दैनिक मजदूरी 600 रुपए करने, काम  के अधिकार को मौलिक अधिकार बनाने साबित किसानों एवं खेत मजदूरों के लिए 5000 मासिक पेंशन योजना लागू करने, मनरेगा का विस्तार करने एवं प्रति वर्ष, 200 दिन का काम सुनिश्चित करने तथा 600 रुपए प्रतिदिन दिहाड़ी देने, शिक्षा को सभी के लिए एक समान शिक्षा व्यवस्था स्थापित करने, वन अधिकार कानून 2006 को शक्ति से लागू करने, वनों पर आदिवासी समुदाय को नैसर्गिक अधिकार देने, देश और प्रदेश में बढ़ रही महिलाओं के खिलाफ अत्याचार, हिंसा, और सांप्रदायिक नफरत के खिलाफ नारे बुलंद करते हुए अपनी मांग शासन-प्रशासन एवं सरकार के सामने प्रदर्शनकारियों ने रखा। 

 सरकार पर लगाया वादाखिलाफी का आरोप

आंदोलनकारियों ने कहा कि अगर सरकार अपने वादा खिलाफी पर कायम रही और किसानों के विरुद्ध लाये गए कानूनों को वापस नहीं करती है, शिक्षा के निजीकरण को समाप्त नहीं करती है श्रमिक कोड बिल, ठेका कानून को वापस नहीं लेती है तो किसान, मजदूर, छात्र, नौजवान प्रदेश और देश में व्यापक आंदोलन करने के लिए मजबूर होगा। संयुक्त किसान मोर्चे के साथ जुड़कर पूरे जिले और प्रदेश में आंदोलन करने को बाध्य होगा।

आंदोलनकारी आधा किलोमीटर रैली में एक कतार में चल रहे थे अलग-अलग नारों से सुसज्जित पोस्टर, बैनर, और हाथों में झंडे पकड़े नारे लगाते आगे बढ़ते जा रहे थे आंदोलन को संयुक्त किसान मोर्चे की तरफ से कामरेड बचाऊ राम, खेत मजदूर किसान संग्राम समिति की तरफ से कैलाश राम भारतीय किसान यूनियन की तरफ से रमेश यादव, भगत सिंह छात्र नौजवान सभा से विवेक शर्मा, भूमि अधिकार आन्दोलन से साधना यादव और आई कैन से मनोज कुमार आंदोलन को नेतृत्व प्रदान कर रहे थे। आंदोलन में अंबिका, करिश्मा, पूनम, चंद्रकला, राजदेव राम, दयाराम बंसराज यादव, मुन्ना गौड़, राज देव यादव, जनार्दन चौहान, अजय, संग्राम, रामजीत, शुभावती, सुंदरी, इंद्रा, बिंदू, कुमारी, मेवाती समेत दो सौ से भी अधिक लोग शामिल हुए। 

 युवाओं महिलाओं की दिखी अच्छी खासी भागीदारी

औद्योगिक/ क्षेत्रीय हड़ताल व ग्रामीण भारत बंद के राष्ट्रव्यापी आह्वान पर पूर्वांचल के कई जिलों में प्रदर्शन के साथ ही साथ मजदूरों के हक अधिकार की बात उठी है। सोनभद्र और जौनपुर में विभिन्न संगठनों ने एक होकर मानव श्रृंखला बनाकर जुलूस निकालने के साथ ही सभा कर मजदूरों के हक अधिकार व सरकार की मजदूर विरोधी गरीब विरोधी नीतियों का जमकर विरोध किया है। खास बात यह रही कि शांतिपूर्ण ढंग से धरना प्रदर्शन करने के साथ-साथ विभिन्न संगठनों के श्रमिक नेताओं एवं किसानों, मजदूरों, नौजवानों, बेरोजगारों ने एक मत होकर ग्रामीण भारत बंद के आह्वान का पूर्णतया समर्थन करते हुए अपनी आवाज बुलंद की। इसमें महिलाओं एवं युवाओं की अच्छी खासी भागीदारी देखने को मिली है।

“जनचौक” से मुखातिब होते हुए कामरेड बचाऊ राम कहते हैं कि “सरकार की कॉर्पोरेट परस्त नीतियों से मजदूरों की दशा दिन-प्रतिदिन बदहाल होती जा रही है। राष्ट्रव्यापी हड़ताल के समर्थन में ग्रामीण भारत बंद को सफल करार देते हुए कहते हैं कि यह एक सांकेतिक प्रदर्शन था। किसानों नौजवानों के हक अधिकार से खेलती आ रही सरकार ने यदि अपने कॉर्पोरेट परस्त नीतियों को नहीं बदला तो किसान नौजवान बेरोजगार तथा गरीब आदिवासी दलित एकजुट होकर उग्र आंदोलन करने के लिए बाध्य हो जाएंगे।”

(सेंटर आफ इंडियन ट्रेड यूनियन्स की प्रेस विज्ञप्ति।)

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