IIT-BHU की छात्रा के साथ हुई यौन हिंसा के अपराधियों की तत्काल गिरफ्तारी हो: ऐपवा

वाराणसी। अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (ऐपवा) ने बयान जारी कर कहा है कि 1 नवंबर को आईआईटी (बीएचयू) की छात्रा के साथ विश्वविद्यालय में हुई यौन हिंसा की घटना ने परिसर की सुरक्षा व्यवस्था पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। अपराधियों ने छात्रा के कपड़े फाड़े, उसका वीडियो बनाया और वायरल करने की धमकी भी दी। इस घटना के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो जाने और एक अपराधी की शिनाख्त होने के बावजूद भी अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं होना उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर भी कई सवाल खड़े करती है।

ऐपवा ने कहा कि पीड़िता को न्याय और अपराधियों को सजा दिलाने के लिए बीएचयू गेट पर धरना दे रहे आइसा एवं अन्य छात्र संगठनों के सदस्यों पर प्रोक्टोरियल बोर्ड और लंका पुलिस की उपस्थिति में अराजक तत्वों द्वारा मारपीट की गई जिसमें कई छात्राओं के साथ बदसलूकी भी हुई।

इस मामले में पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए धरनारत छात्र-छात्राओं पर हमला करने वालों पर कार्रवाई करने की जगह पुलिस ने धरनारत छात्र-छात्राओं पर एससी/एसटी एक्ट समेत अन्य आपराधिक धाराएं लगा कर एकतरफा कार्रवाई की है। यह शर्मनाक महिला विरोधी कार्रवाई तो है ही साथ ही इससे साफ जाहिर है कि योगी राज में पुलिस और प्रशासन लोकतंत्र की आवाजों को दबा रही है और अपराधियों को बचा रही है।

ऐपवा ने कहा कि 2017 में बीएचयू में हुईं यौन हिंसा की घटना के बाद व्यापक विरोध प्रदर्शन के बाद भी विश्वविद्यालय प्रश्नासन द्वारा विश्वविद्यालय परिसर के सुरक्षा इंतजाम, सीसीटीवी कैमरों और सुप्रीम कोर्ट के नियमानुसार GSCASH तक को सक्रिय नहीं किया गया, इन्हीं कारणों से परिसर की महिलाओं के साथ भी दिन दहाड़े छेड़छाड़/ छिनैती की घटनाएं आम परिघटना बन गई हैं। फलत: बीएचयू परिसर महिलाओं के लिए सुरक्षित कैंपस नहीं रह गया है।

 ऐपवा ने कहा कि विश्विद्यालय परिसर महिलाओं के लिए सुरक्षित कैंपस बने, जिसके तहत महिला आज़ादी को बरकरार रखा जा सके, इसके लिए आवश्यक है कि एक सक्रिय प्रॉक्टोरियल बोर्ड का भी निर्माण किया जाए जिसमें छात्र-छात्राओं और परिसर में निवास करने वाले अध्यापकों और कर्मचारियों के प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित किया जाए।

(विज्ञप्ति पर आधारित।)

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