मिर्ज़ापुर। जिस ‘अपना दल’ को डॉक्टर सोनेलाल पटेल ने चंद कार्यकर्ताओं को साथ लेकर गांव से लेकर उत्तर प्रदेश के शहरों में स्थापित किया था आज वही पार्टी पत्नी और पुत्री के आपसी मतभेदों के चलते दो धड़ों में बंट कर चौराहे पर आ खड़ी हुई है। दो धड़ों में बंट चुके सोनेलाल पटेल की पार्टी अपना दल में मां-बेटी की न तो रार समाप्त हो रही है और ना ही सोनेलाल पटेल की मौत को लेकर चली आई सीबीआई जांच की मांग पूरी होती दिखाई दे रही है। भले ही सोनेलाल पटेल की मौत के लिए सड़क दुर्घटना को कसूरवार ठहराया जाता है, लेकिन अपना दल (कमेराबादी) के लोग इसे मानने को कत्तई तैयार नहीं हैं। सोनेलाल पटेल की मौत की सीबीआई जांच कराए जाने की मांग को लेकर अपना दल (कमेरावादी) का प्रति वर्ष धरना देता है।
अपना दल कमेराबादी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य दिलीप पटेल एडवोकेट कहते हैं “अद के संस्थापक सोनेलाल पटेल के ऊपर 23 अगस्त 1999 को प्रयागराज के पीडी टंडन पार्क में कातिलाना हमला किया गया था। यह हमला शासन की सह पर प्रशासन ने किया था। जिसमें उन्हें (सोनेलाल) 8 जगहों पर चोट लगी थी। हड्डियों में फ्रैक्चर हो गई थी, पसलियां टूट गई थी। इतनी बर्बरता के बाद भी उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया था। इतने सब के बाद वह आज भी मरणोपरांत सीजीएम न्यायालय में मुल्जिम बने पड़े है।”
वह आगे भी कहते हैं कि “उस समय कार्यकर्ताओं पर जो एफआईआर दर्ज किए गए थे उसे वापस लिया जाए और उसकी न्यायिक जांच कराई जाए। बिजली का बिल जो मनमाने तरीके से भेजा जा रहा है। बिजली बिल सुधार के नाम पर सामान्य लोगों का आर्थिक उत्पीड़न किया जा रहा है वह बंद होना चाहिए क्योंकि कि बिजली के जितने भी संयंत्र लगें हुए हैं वह किसानों, कमेरावादियों की जमीन पर लगे हुए हैं। जिनका उत्पीड़न बंद कर उन्हें मुफ्त बिजली मिलना चाहिए। गांव से लेकर नगर तक जो घरेलू बिजली बिल है दो सौ यूनिट तक मुफ्त किया जाए इससे ऊपर जाए तो बिल लिया जाए।”
अपना दल के दूसरे धड़े और सोनेलाल पटेल की बेटी अनुप्रिया पटेल पर वह हुए कहते हैं “अनुप्रिया पटेल ने डॉ. सोनेलाल पटेल और उनके दल, विचारधारा दोनों को रौंद कर राजनीति में खड़ी हुई हैं। अनुप्रिया पटेल का सोनेलाल पटेल के दल और विचारधारा से कहीं कोई तालमेल, सामंजस्य नहीं है, लेना-देना नहीं है। अनुप्रिया पटेल ने 2016 में जिस दल को बनाया है अपना दल (एस) करके, उनको तो शर्म आनी चाहिए कि जिसका नाम लेकर दल बनाया, जिसके नाम पर दस साल से सत्ता की मलाई लगातार खा रही हैं, उनको आज भी इलाहाबाद के सीजीएम कोर्ट में मुल्जिम बनाकर रखा गया है। कभी उनके कान पर जूं तक नहीं रेंगा कि अब तो उन्हें मुक्त करा दें। अपने बाप को मुक्त करा दे जिनके नाम पर सत्ता सुख भोग रही है। दिलीप पटेल तंज कसते हुए कहते हैं “वह (अनुप्रिया) सरकार की रबर स्टाम्प हैं, उनकी कोई सुनने वाला नहीं है। वहअपना दल नहीं पति-पत्नी की पार्टी चला रही हैं। जहां कार्यकर्ताओं का भी सम्मान नहीं होता है, मैं क्या मिर्जापुर की जनता भी उनसे कोई अपेक्षा नहीं करती है।”
तब भी भाजपा की सरकार थी आज भी यही सरकार है
सोनेलाल पटेल की मौत कोई साधारण मौत नहीं थी, सरकार और पुलिसिया बर्बरता के साथ किसानों, कमेरों की आवाज को कुचलने की साज़िश, कुचक्र का यह सब हिस्सा रहा है। यह बताते हुए शारदा पटेल की आंखें नम हो जाती हैं। वह कहते हैं “बाबू जी (सोनेलाल) जीवन के अंतिम सांस तक समाज के दबे-कुचले पिछड़े समाज की लड़ाई लड़ते रहे जिन्हें इंसाफ मिलना चाहिए, उनकी मौत पर पड़े हुए पर्दे को उठाकर इसका सही ढंग से अनावरण होना चाहिए।”
अपना दल (कमेराबादी) के जिलाध्यक्ष श्याम बहादुर पटेल मौजूदा भाजपा सरकार को निशाने पर रखते हुए बोलते हैं “तत्कालीन इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में जब सोनेलाल पटेल पर हमला हुआ था उस वक्त प्रदेश में भाजपा की ही सरकार थी और आज भी राज्य में भाजपा की सरकार है। इसी भाजपा की सरकार में गठबंधन दल के सारथी बनी अपना दल एस और इसके मुखिया बने पति-पत्नी की चुप्पी से यह साफ हो रहा है कि बेटी (अनुप्रिया) को न तो मां प्यारी है ना ही पिता के शहादत से सहानुभूति है।”
वह सवाल करते हैं कि “सोनेलाल पटेल की बेटी अनुप्रिया जिस गठबंधन दल की सारथी बनी हुई है उस दल की देश और प्रदेश दोनों में सरकार है। खुद अनुप्रिया केन्द्र सरकार में राज्यमंत्री है, तो उनके पति एमएलसी आशीष पटेल योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं। बावजूद इसके न तो सोनेलाल पटेल की मौत की जांच हो पा रही है ना ही उन पर और उनके कार्यकर्ताओं पर दर्ज कराएं गए मुकदमें समाप्त किए जाने की पहल हुई है।
बिजली बिल में गलत रीडिंग का आरोप
अपना दल के संस्थापक कमेरावादी नेता सोनेलाल पटेल की मौत की जांच की मांग तथा बिजली वसूली एवं ग्रामीण गरीबों के रोजगार के लिए अपना दल कमेराबादी ने पिछले दिनों मिर्ज़ापुर जिला मुख्यालय पर धरना-प्रदर्शन करते हुए ग्रामीण गरीबों को गांव में ही काम और मनरेगा की मजदूरी 600 रुपये प्रतिदिन करने की मांग की।
दरअसल, 23 अगस्त 2024 को मिर्ज़ापुर के कलेक्ट्रेट परिसर में भले ही अपना दल कमेरावादी के तत्वावधान में एक दिवसीय धरना-प्रदर्शन किया था। लेकिन देखा जाए तो यह कार्यक्रम सोनेलाल पटेल की मौत की जांच के बहाने अनुप्रिया पटेल को उन्हीं के गढ़ में ललकारते हुए सरकार को भी मंहगाई, बेरोजगारी और बिजली जैसे कई मुद्दों पर घेरने का था।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अपना दल कमेराबादी के जिलाध्यक्ष श्याम बहादुर पटेल ने महंगी हो चली बिजली एवं बिजली बिल के नाम पर हो रही वसूली पर रोक लगाने, उत्तर प्रदेश में भी दिल्ली की तर्ज घरेलू बिजली फ्री करने तथा ग्रामीण गरीबों को रोजगार गारंटी के साथ ही मनरेगा मजदूरी 600 प्रतिदिन करने की मांग करते हुए कहा कि “किसानों की आय दुगुना करने वाली सरकार किसानों को ठीक से बिजली तक नहीं दे पा रही। तो वह किसानों की आय कहा से दोगुनी करेगी?” कहा कि उत्तर प्रदेश में महंगी बिजली, ग्रामीण गरीबों एवं नगर के मध्यम वर्ग के लिए विकराल समस्या का रूप धारण करती जा रही है। निजीकरण के जद में आ चुका बिजली विभाग द्वारा बिल के नाम पर उपभोक्तों से भारी वसूली की जा रही है। स्मार्ट मीटर की गलत रीडिंग और जबरन वसूली आम बात हो गई है। जनता का आक्रोश प्रदेश सरकार के खिलाफ बढ़ता जा रहा है।”
पिता के मौत की CBI जांच, मां को सुरक्षा के लिए मुखर है बेटी
सोनेलाल पटेल की बेटी सिराथू विधायक पल्लवी पटेल ने पिता सोनेलाल पटेल की मौत की CBI जांच की मांग उठाते हुए सरकार से सवाल किया है। अपना दल के संस्थापक की मौत की CBI जांच और पार्टी अध्यक्ष कृष्णा पटेल की सुरक्षा को लेकर विधायक पल्लवी पटेल के नेतृत्व में बीते महीने जुलाई में सूबे की राजधानी लखनऊ के लालबाग केंद्रीय कार्यालय से हजरतगंज चौराहे तक पार्टी ने मार्च निकाला था। जिसमें अपना दल की राष्ट्रीय अध्यक्ष कृष्णा पटेल की सुरक्षा का मुद्दा भी जोर-शोर से उठाया गया था। पल्लवी पटेल ने कहा कि “उनकी लगातार मांग के बावजूद उनकी माता और अपना दल कमेराबादी की राष्ट्रीय अध्यक्ष कृष्णा पटेल को सुरक्षा मुहैया नहीं कराई जा रही है।”
इस कार्यक्रम के दौरान पार्टी कार्यकर्ताओं ने डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा के समक्ष धरना देकर राज्यपाल के नाम संबोधित भी ज्ञापन सौंपा था। कार्यकर्ताओं ने हाथों में डॉ. सोनेलाल पटेल की मौत की CBI जांच के समर्थन में पोस्टर लेकर अपना विरोध भी दर्ज कराया था। बाद में मीडिया से मुखातिब होते हुए विधायक पल्लवी पटेल ने कहा था कि डॉ. सोनेलाल पटेल 17 अक्टूबर 2009 को हम सबके बीच से विदा हुए थे और तब से लगातार वह सरकार से CBI जांच की मांग करती आ रही हैं।पल्लवी पटेल कहती हैं “सरकार से मेरा सवाल हैं कि अगर आप सोनेलाल पटेल के नाम की जयंती मनाते हैं और अगर आप उनके नाम की राजनीति कर रहे हैं तो डॉ. सोनेलाल पटेल की हत्या की CBI जांच कराने से पीछे क्यों हट रहे हैं?
सोनेलाल की मौत हादसा या हत्या को लेकर चली आ रही रार
अपना दल के संस्थापक स्वर्गीय सोनेलाल पटेल की मौत पर अपना दल (क) के कार्यकर्ताओं का कहना है कि आखिरकार सरकार सोनेलाल पटेल की मौत की जांच CBI से कराने के लिए क्यों पीछे हट रही है? हम लगातार धरना प्रदर्शन और मांग कर रहे हैं लेकिन हमारी मांगों को अनसुना किया जाता रहा है, तो क्यों?, क्या सरकार किसी के इशारे पर ऐसा कर रही है या सरकार नहीं चाहती है कि सोनेलाल पटेल की मौत पर पड़ा पर्दा उठे।”
बता दें कि वर्ष 2009 में अपना दल के संस्थापक अध्यक्ष सोनेलाल पटेल की मौत हो गई थी। उनकी मौत एक सड़क हादसे में हुई थी, जिसे लेकर दावा किया जाता रहा है कि वह हादसा नहीं बल्कि हत्या थी। सोनेलाल पटेल की बेटी और विधायक पल्लवी पटेल मां कृष्णा पटेल के साथ लगातार पिता सोनेलाल पटेल की मौत के मामले में CBI जांच की मांग करती रही हैं।
सिराथू विधायक पल्लवी पटेल ने कहा कि “सोनेलाल के नाम पर कुछ लोग खुद को उत्तराधिकारी बताकर सत्ता की मलाई काट रहे हैं, लेकिन उनकी संदिग्ध परिस्थितियों में हुई हत्या की जांच कराने के लिए एक बार भी केंद्र को पत्र तक नहीं लिखा है।”
हालांकि विधायक पल्लवी पटेल के दावे उनके बयानों को पलट उनपर पलटवार करते हुए उनकी छोटी बहन अमन पटेल भी कह चुकी है कि “बड़ी बहन सुर्खियों में रहने के लिए पिता की मौत पर राजनीति कर आ रही हैं। यदि पिता के प्रति उन्हें (पल्लवी) सच्ची श्रद्धांजलि देनी थी तो वह भी परिनिर्वाण दिवस मनातीं, लेकिन उनके पास लोग ही नहीं जुटे। पिता की हादसे में मौत के समय पूरा परिवार साथ था। आईसीयू के बाहर वह स्वयं थीं। अब CBI जांच की मांग करना दु:खद है। फिर उन्हें इतने वर्षों बाद जांच की चिंता क्यों हुई? पिता की संपत्ति पर चारों बेटियों का अधिकार है, लेकिन पल्लवी ने दो बेटियों को पूर्ण रूप से बेदखल कर अन्याय किया है। इसके लिए (अमन) वह न्यायालय का दरवाजा खटखटायेगीं, गुहार लगाएंगी।”
बहरहाल, मां-बेटी और बहनों के बीच छिड़ी रार और तकरार के बीच सवाल यह है कि कब होगी सोनेलाल पटेल के मौत की जांच, कब बंद होगी उनपर और कार्यकर्ताओं पर दर्ज मुकदमे की फाइल?
(मिर्ज़ापुर से संतोष देव गिरी की रिपोर्ट)