नई दिल्ली। आजमगढ़ के बिलरियागंज में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से धरना दे रहे लोगों के साथ बरती गयी पुलिस की हैवानी पाशविकता को लेकर देश भर में रोष है। आज जामिया विश्वविद्यालय के छात्रों ने घटना का संज्ञान न लेने पर आजमगढ़ से सांसद अखिलेश यादव दिल्ली स्थित उनके आवास के बाहर प्रदर्शन किया। छात्र अपने हाथों में नारे लिखे कागज ले रखे थे जिसमें पूरे आंदोलन के प्रति सपा के रवैये की कड़ी आलोचना की गयी थी।
बताया जा रहा है कि बाद में अखिलेश यादव ने न केवल छात्रों से मुलाकात की बल्कि अपने ट्विटर और फेसबुक पर बिलरियागंज की घटना की आलोचना करते हुए बयान भी जारी किया। इसमें उन्होंने कहा है कि ‘हर मंच से गोली की बात करने वाले संवैधानिक मूल्यों की बात कब करेंगे? शांतिपूर्वक धरना लोगों का संवैधानिक अधिकार है। आजमगढ़ में पुलिस की बर्बरता ने सभी हदें पार कर दीं और मैं इसकी घोर निंदा करता हूं। पार्टी के विधायक और संगठन बिलरियागंज में लोगों की सेवा कर रहे हैं।’
आप को बता दें कि बीती रात बिलरियागंज में धरनारत लोगों पर जिसमें ज्यादातर महिलाएं थी, अचानक पुलिस ने लाठियों से हमला कर दिया। इसमें ढेर सारी महिलाएं और साथ में धरना दे रहे पुरुष घायल हो गए। पुलिस ने किस कदर क्रूरता दिखायी उसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस गलन भरी रात में प्रशासन ने प्रदर्शनकारियों पर वाटर कैनन से पानी छोड़े जिसमें तमाम लोग भीग गए। और जब उनका मन उससे भी नहीं भरा तो लाठीचार्ज कर दिया। और जब पूरा धरनास्थल खाली हो गया तो बाद में पूरे पार्क में पानी भर दिया गया। जिससे फिर लोग धरने पर नहीं बैठ सकें।
और ऊपर से उपद्रवी करार देते हुए पुलिस ने 19 लोगों को विभिन्न धाराओं के साथ गिरफ्तार कर लिया।
थाने में दर्ज एफआईआर भी अब सार्वजनिक हो चुकी है। उसको पढ़कर किसी को लगेगा जैसे वहां कोई शांतिपूर्ण धरना नहीं चल रहा था बल्कि आंदोलनकारियों की शक्ल में हथियारबंद लोग इकट्ठा थे जो किसी बड़ी साजिश को अंजाम देने वाले थे। प्रदर्शनकारियों के खिलाफ केस बनाने के लिए पुलिस ने हर तरह के झूठ को एफआईआर का हिस्सा बना दिया है।
इंडिया अगेंस्ट हेट के एक्टिविस्ट नदीम खान के फेसबुक पेज पर मौजूद यह एफआईआर प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से बाहर आया है। इसमें बताया गया है कि ड्यूटी पर तैनात एचएसओ मनोज कुमार सिंह को अचानक उनके सीयूजी फोन पर सूचना मिली कि मोहल्ला कासिमगंज में लोग इकट्ठा होकर उपद्रव कर रहे हैं। और समय रात का करीब 12 बजे बताया गया है। साथ ही इसमें महिलाओं और बच्चों की मौजूदगी के बारे में कहा गया है कि उन्हें षड्यंत्र के जरिये लाया गया था। उनके हाथों लाठी-डंडा, ईंट-पत्थर जैसे ‘खतरनाक’ हथियार थे। सभी आजादी मांगने जैसे ‘राष्ट्रविरोधी’ नारे लगा रहे थे।

बाद में उन्हें दंगाई करार देते हुए पूरे इलाके में अफरा-तफरी फैलाने का आरोप लगा दिया गया। फिर बताया गया है कि रात में अचानक इन कथित दंगाइयों ने जान से मारने की नियति से पुलिस वालों पर हमला बोल दिया। जिसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज किया। एफआईआर में पुलिस ने कई पुलिसकर्मियों के घायल होने की बात कही है और उनके नाम भी लिखे हैं। लेकिन अभी तक घायल लोगों की सामने आयी तस्वीरों में केवल जनता की ही तस्वीरें हैं किसी एक भी खाकीधारी की तस्वीर सामने नहीं आयी है।