उर्दू अदब में फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ का मुकाम एक अजीमतर शायर के तौर पर है। वे न सिर्फ उर्दू भाषियों के पसंदीदा शायर हैं, बल्कि हिंदी और पंजाबी भाषी लोग भी उन्हें उतनी ही शिद्दत से मोहब्बत करते हैं।...
मैं अकेला ही चला था जानिबे मंज़िल मगरलोग साथ आते गए और कारवां बनता गया
उर्दू अदब में ऐसे बहुत कम शेर हैं, जो शायर की पहचान बन गए और आज भी सियासी, समाजी महफिलों और तमाम ऐसी बैठकों में...