सुयोग्य, कर्मठ, जुझारू हो गए ‘सींग’

उत्तराखंड में अभी जुम्मा-जुम्मा चंद रोज ही बीते हैं, जब गांव-गांव, धार-धार, खाळ-खाळ सुयोग्य, कर्मठ, जुझारू और विकास के लिए…