फ़िराक़ जैसा कोई दूसरा नहीं-मलिकज़ादा मंजूर अहमद

(मलिकज़ादा मंजूर अहमद, उर्दू हलक़े में किसी तआरुफ़ के मोहताज नहीं। 17 अक्टूबर, 1929 को अम्बेडकर नगर (उत्तर प्रदेश) में…

जयंतीः जोश मलीहाबादी की रगों में दौड़ता था इंकलाब!

उर्दू अदब में जोश मलीहाबादी वह आला नाम है, जो अपने इंकलाबी कलाम से शायर-ए-इंकलाब कहलाए। जोश का सिर्फ यह…

हंसाते हुए संजीदा कर देने वाले शायर अकबर इलाहाबादी

दबंग फिल्म में सलमान खान का dialogue आपने सुना होगा ‘मैं दिल में आता हूं समझ में नहीं’। गुलाम अली…

जन्मदिन पर विशेषः मजाज़ की शायरी में रबाब भी है और इंक़लाब भी

एक कैफ़ियत होती है प्यार। आगे बढ़कर मुहब्बत बनती है। ला-हद होकर इश्क़ हो जाती है। फिर जुनून और बेहद…

राहत की स्मृति: ‘वो गर्दन नापता है नाप ले, मगर जालिम से डर जाने का नहीं’

अब ना मैं हूं ना बाक़ी हैं ज़माने मेरेफिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरेकुछ ऐसे ही हालात हैं,…