साहित्य
संस्कृति-समाज
‘दलित साहित्य’ ही कहना क्यों जरूरी?
बीसवीं सदी के उत्तरार्द्ध में दलित समाज की वेदना और उत्पीड़न को दलित साहित्य के माध्यम से दुनिया के समक्ष लाने का महत्वपूर्ण कार्य हुआ है। पिछली सदी के सातवें दशक में ‘दलित साहित्य’ का हिंदी पट्टी में शुरुआती...
संस्कृति-समाज
जयंतीः मधुशाला कविता से आगे समाज और इंसानियत के उच्च मुकाम का पैमाना बन गई
जीवित है तू आज मरा सा, पर मेरी यह अभिलाषाचिता निकट भी पहुंच सकूं अपने पैरों-पैरों चलकरयह पक्तियां दर्शाती हैं कि हरिवंश राय बच्चन किस जिजीविषा, जीवटता के कवि-गीतकार थे। छायावाद के बाद जब प्रगतिशील लेखक संघ की स्थापना...
संस्कृति-समाज
पुण्यतिथिः साहित्य में दलित और स्त्री को विमर्श तक ले आने वाले राजेंद्र यादव विवादों से कभी हारे नहीं
हिंदी साहित्य को अनेक साहित्यकारों ने अपने लेखन से समृद्ध किया है, लेकिन उनमें से कुछ नाम ऐसे हैं, जो अपने साहित्यिक लेखन से इतर दीगर लेखन और विमर्शों से पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हुए। कथाकार राजेंद्र यादव का...
बीच बहस
आलोचना पत्रिका के बहानेः बाजार और जंगल के नियम में कोई फर्क नहीं होता!
पांच दिन पहले ‘आलोचना’ पत्रिका का 62वां (अक्तूबर-दिसंबर 2019) अंक मिला। कोई विशेषांक नहीं, एक सामान्य अंक। आज के काल में जब पत्रिकाओं के विशेषांकों का अर्थ होता है कोरा पिष्टपेषण, एक अधकचरी संपादित किताब, तब किसी भी साहित्यिक...
लेखक
जन्म दिन विशेषः नेमिचंद्र जैन ने रंगकर्म में भरे जीवन के रंग
साल 2019, नेमिचंद्र जैन यानी नेमि बाबू का जन्मशती वर्ष था। पिछले साल उनकी याद में शुरू हुए तमाम साहित्यिक कार्यक्रम, इस साल उनके जन्म दिवस 16 अगस्त पर खतम होंगे। नेमिचंद्र जैन, हिंदी साहित्य में अकेली ऐसी शख्सियत...
बीच बहस
निर्णायक और नेतृत्वकारी भूमिका में रहे हैं प्रेमचंद के स्त्री पात्र
विवादों के कारण ही सही प्रेमचंद का साहित्य फिर से ज़ेरे बहस है। दलित साहित्य के लेखकों ने उनके साहित्य को सहानुभूति का साहित्य कहा है, लेकिन स्त्री लेखन की ओर से अभी कोई गंभीर सवाल नहीं उठाया गया...
Latest News
ईवीएम-वीवीपैट केसः सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछे 4 सवाल
सुप्रीम कोर्ट बुधवार 24 अप्रैल को यानि आज उन याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाने वाला है, जिसमें चुनाव के दौरान इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग...
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