वैसे तो झारखण्ड में बारह महीने ही पेयजल की भारी किल्लत रहती है, प्रायः ग्रामीण नदी, चुंआ (खेतों में या…
ख़ास रिपोर्ट: अपनी भाषा में अपनी बात यानि असुरों का अपना रेडियो!
‘नोआ हाके असुर अखड़ा रीडियो, एनेगाबु डेगाबु सिरिंगेयाबु दाहां-दाहां तुर्रर….धानतींग नातांग तुरू…।’ लातेहार व गुमला जिले के हर साप्ताहिक बाजार…