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  • अंग्रेजों के दमन और उसके प्रतिकार का प्रतीक है जलियांवाला बाग

    अंग्रेजों के दमन और उसके प्रतिकार का प्रतीक है जलियांवाला बाग

    13 अप्रैल 1919, बैसाखी के दिन लगभग 4:00 बजे जनरल डायर लगभग डेढ़ सौ सिपाहियों को लेकर जलियांवाला बाग में पहुंचा। वहां रौलेट एक्ट के खिलाफ एक जनसभा हो रही थी। बैसाखी पर दूर-दूर से आये लोग, दरबार साहिब में मत्था टेक कर वहां एकत्र थे। दरबार साहिब बगल में ही है। पंजाब की स्थिति…

  • खरसावाँ:आजाद भारत का जलियांवाला

    खरसावाँ:आजाद भारत का जलियांवाला

    ” हमारे लोगों का पूरा इतिहास गैर-आदिवासियों के अंतहीन उत्पीड़न और बेदखली को रोकने के लिए किए गये विद्रोहों का इतिहास है। मैं आप सब के कहे हुए पर विश्वास कर रहा हूँ की हम लोग एक नए अध्याय की शुरुआत करने जा रहे हैं। जहाँ सभी सामान होंगे, सबको बराबर का अवसर मिलेगा और…

  • सीएए विरोधी आंदोलन का जिंदा दस्तावेज है भाषा सिंह की नई किताब ‘शाहीन बाग: लोकतंत्र की नई करवट’

    सीएए विरोधी आंदोलन का जिंदा दस्तावेज है भाषा सिंह की नई किताब ‘शाहीन बाग: लोकतंत्र की नई करवट’

    नई दिल्ली। दिल्ली स्थित प्रेस क्लब में बृहस्पतिवार को वरिष्ठ पत्रकार और लेखिका भाषा सिंह की नई किताब ‘शाहीन बाग: लोकतंत्र की नई करवट’ का विमोचन हुआ। इस मौके पर मशहूर शायर और वैज्ञानिक गौहर रजा ने शेर के साथ अपनी बात शुरुआत करते हुए कहा कि ‘जब सब ये कहें खामोश रहो, जब सब…

  • शाहीन बाग की दूसरी बरसी पर अहमदाबाद में भी हुआ आयोजन

    शाहीन बाग की दूसरी बरसी पर अहमदाबाद में भी हुआ आयोजन

    अहमदाबाद। 15-16 दिसंबर 2019 को दिल्ली की जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में CAA/NRC का विरोध कर रहे छात्रों को दिल्ली पुलिस ने कैंपस में घुस कर पिटाई की थी। दिल्ली और उत्तर प्रदेश में प्रदर्शन कर रहे दर्जनों प्रदर्शनकारियों की पुलिस फायरिंग में मौतें हुईं। 15-16 दिसंबर को जामिया नगर के शाहीन बाग़ में सरकारी…

  • जनता को तो पता चल गया, सरकार को भी उसकी जवाबदेही बता दीजिए मी लॉर्ड?

    जनता को तो पता चल गया, सरकार को भी उसकी जवाबदेही बता दीजिए मी लॉर्ड?

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सार्वजनिक स्थानों पर लंबे समय तक कब्ज़ा कर के धरना प्रदर्शन नहीं किया जा सकता है। पर कितने समय तक धरना-प्रदर्शन करने के लिये सार्वजनिक स्थलों पर टिका रहा जा सकता है ? यह अवधि अदालत तय करेगी या सरकार ?  सुप्रीम कोर्ट का यह निर्देश लागू कैसे कराया जाएगा यह…

  • टाइम की शख्सियतों में शाहीन बाग का चेहरा

    टाइम की शख्सियतों में शाहीन बाग का चेहरा

    कहते हैं आसमान में थूका हुआ अपने ही ऊपर पड़ता है। सीएएए-एनआरसी के खिलाफ देश में चलने वाले शाहीन बाग समेत सैकड़ों आंदोलनों को बदनाम करने का सरकार ने जो रवैया अपनाया था उसका नतीजा उसे कुछ इसी रूप में मिला जब शाहीन बाग की 82 वर्षीय सबसे बुजुर्ग महिला बिलकिस बानो को टाइम मैगजीन…

  • सफलता की मंजिल तक पहुंचाने के लिए जरूरी है सीएए विरोधी आंदोलन में दलितों और आदिवासियों की व्यापक भागीदारी

    सफलता की मंजिल तक पहुंचाने के लिए जरूरी है सीएए विरोधी आंदोलन में दलितों और आदिवासियों की व्यापक भागीदारी

    ​इलाहाबाद। दिल्ली के शाहीनबाग की तर्ज़ पर यहां के रोशनबाग में भी महीने भर से अधिक समय से नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में आंदोलन जारी है। पर्दानशीन औरतें पूरी शिद्दत से डटी हुई हैं। दिन के पहले पहर में जुटान जरा कम रहती है पर दोपहर बाद बड़ी संख्या में महिलाएं जुटने लगती हैं।…

  • रांची का शाहीन बाग बनता कडरू

    रांची का शाहीन बाग बनता कडरू

    रांची। 26 जनवरी 2020 को जब हमारा ‘गणतंत्र’ 71 साल का हो रहा था, ठीक उसी दिन लगभग 3:30 बजे शाम को मैं रांची के कडरू के हज हाउस के सामने पहुंचा जहां 20 जनवरी से ही केन्द्र सरकार के जनविरोधी-संविधान विरोधी सीएए, एनआरसी व एनपीआर के विरोध में महिलाएं अनिश्चितकालीन महाधरने पर बैठी हुई…

  • जैनुलअबीदीन: शाहीनबाग़ का वो पुरुष जो 34 दिनों से है आमरण अनशन पर

    जैनुलअबीदीन: शाहीनबाग़ का वो पुरुष जो 34 दिनों से है आमरण अनशन पर

    देश-विदेश हर तरफ सिर्फ़ शाहीन बाग़ की चर्चा है। शाहीन बाग़ के नवप्रसूता, गर्भवती, जवां बच्चियों और बूढ़ी स्त्रियों की चर्चा है। 30 दिन की सबसे छोटी प्रदर्शनकारी से लेकर 90 वर्षीय बूढ़ी स्त्री तक शाहीन बाग़ में सिर्फ़ स्त्रियां ही स्त्रियां हैं। लेकिन शाहीन बाग़ में एक पुरुष भी है जो पहले ही दिन…

  • ग्राउंड रिपोर्ट-3: जो छुपा रहे हो अपनों से, अब वो दुनिया को बता रही हैं शाहीन बाग़ की औरतें

    ग्राउंड रिपोर्ट-3: जो छुपा रहे हो अपनों से, अब वो दुनिया को बता रही हैं शाहीन बाग़ की औरतें

    शाहीन बाग (नई दिल्ली)। शाहीन बाग आप जाइये। लगेगा आप लोकतंत्र की पाठशाला में पहुंच गए हैं। बच्चे, बूढ़े, जवान, औरत-मर्द, पढ़े-लिखे, अनपढ़ किसी से भी बात कीजिये। आपको पता चलता है कि ये 5 साल के दिमाग़ वाली भीड़ नहीं है। वो सहनशील, जागरुक जनता है जो सत्ता की बड़ी-बड़ी गुस्ताखि़यों को नज़रअंदाज़ करती…