बहुजन राजनीति का लक्ष्य 2024 के चुनाव को लेकर क्या है? यह सवाल करने से पहले यह पूछा जा सकता है कि क्या बहुजन राजनीति की कोई एक पार्टी है? जाहिर है कि इसका जवाब नहीं में है। किसी भी...
नई दिल्ली। ‘हिंदी साहित्य पर पश्चिमी प्रभाव और देशज प्रतिमान’ विषय पर दो दिवसीय विचार गोष्ठी दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर की एनेक्सी में किया गया। डॉ. बीआर अम्बेडकर विश्वविद्यालय, दिल्ली की साहित्य अध्ययन पीठ के देशिक अभिलेख-अनुसंधान केंद्र...
प्रयागराज। बड़े-बड़े बैनरों से सजा डीजे, मालवाहक वैन और ट्रैक्टरों पर निकलने वाली कांवड़ यात्रा सावन के पहले पाख के साथ ही खत्म हो गई। इसके साथ ही उत्पात, अव्यवस्था और सड़कों पर भगवा वर्चस्व का एक चैप्टर भी...
बिहार के भागलपुर जिले के बिहपुर के रेलवे सामुदायिक भवन में 13 जून को 'बढ़ते मनुवादी-सांप्रदायिक हमले व कॉरपोरेट कब्जा के खिलाफ बहुजन दावेदारी' को लेकर एक सम्मेलन हुआ। सम्मेलन की अध्यक्षता चर्चित बहुजन बुद्धिजीवी डॉ.विलक्षण रविदास ने की।...
डॉ. भीमराव आंबेडकर एक बहुजन राजनीतिक नेता और एक बौद्ध पुनरुत्थानवादी होने के साथ-साथ, भारतीय संविधान के मुख्य वास्तुकार भी थे। आंबेडकर का जन्म एक गरीब अस्पृश्य परिवार में हुआ था। आंबेडकर ने अपना सारा जीवन हिंदू धर्म की...
हिंदी पट्टी में राजनीतिक वर्चस्व भारत की केंद्रीय सत्ता पर राजनीतिक वर्चस्व का रास्ता खोलता है। हिंदी पट्टी की घनी जनसंख्या और भारत में जनसंख्या आधारित राजनीतिक प्रतिनिधित्व की व्यवस्था के चलते भारत के अन्य हिस्सों पर इसका राजनीतिक...
भागलपुर। बहुजन दृष्टि का मूल तत्व समानता, बराबरी व आजादी है। बहुजन दृष्टि सोशल इंजीनियरिंग का पर्याय नहीं है। सोशल इंजीनियरिंग के जरिए सामाजिक न्याय और बदलाव की राजनीति आगे नहीं बढ़ सकती है। सोशल इंजीनियरिंग के जरिए सामाजिक...
उत्तर प्रदेश में हर रोज राजनैतिक भूचाल के झटके लग रहे हैं। बहुजन विमर्श, जिसे विगत वर्षों में आखेट कर लिया गया था, एक बार फिर चर्चा में आ चुका है। मंत्रियों और विधायकों के इस्तीफे आ रहे हैं।...
12 सितंबर को गोरखपुर के गोकुल अतिथि भवन में बहुजन बुद्धिजीवियों एक्टिविस्टों और नेताओं का एक महासम्मेलन रखा गया है। इस महा सम्मेलन का विषय ‘दलित, पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक भागीदारी उद्घोष सम्मेलन’ है। इस सम्मेलन में भारतीय समाज में...
अभी हाल की बात है, एक दिन मैंने अपने फेसबुक पेज पर दक्षिणपंथी खेमे के एक वरिष्ठ संपादक की असमय मौत पर दुख प्रकट करते हुए संक्षिप्त श्रद्धांजलि-लेख लिखा। इस पर कुछ ‘वामपंथी’ और ‘समाजवादी’ किस्म के बुद्धिजीवी खासे...