गांधी जयंती विशेष: बापू से आज भी वे क्यों डरते हैं ?
कहा जाता है कि मानव मन हमेशा अपने गुनाहों से भयभीत रहता है जबकि इसके विपरीत निडरता से वही बोल सकता है जिसने गुनाह नहीं [more…]
कहा जाता है कि मानव मन हमेशा अपने गुनाहों से भयभीत रहता है जबकि इसके विपरीत निडरता से वही बोल सकता है जिसने गुनाह नहीं [more…]
बड़ी संख्या में लोग मानने लगे हैं कि भारतीय लोकतंत्र एक संकट के दौर से गुज़र रहा है। लोकतान्त्रिक संस्थाओं की कार्य शैलियाँ बदल रही [more…]
अपने वृहद उपन्यास ‘पहला गिरमिटिया’ के जरिए महात्मा गांधी के ‘महात्मा’ होने से पहले की जीवन प्रक्रिया के अनगिनत अनछुए पहलू विस्तार से व्याख्ति करने [more…]
नटरंग पत्रिका के मार्च 2006 के अंक में प्रकाशित नंदकिशोर आचार्य जी के ‘बापू’ नाटक को पढ़ कर कोई यदि उस पर आरएसएस की सांप्रदायिक [more…]