शहादत दिवस पर विशेष : सांप्रदायिक राजनीति के धुर विरोधी थे भगतसिंह
भगत सिंह हिंदुस्तान के भविष्य को लेकर बहुत चिंतित थे। स्वतंत्रता का अर्थ उनकी नजर में अंग्रेजों से मुक्त भारत कतई नहीं था बल्कि उनकी [more…]
भगत सिंह हिंदुस्तान के भविष्य को लेकर बहुत चिंतित थे। स्वतंत्रता का अर्थ उनकी नजर में अंग्रेजों से मुक्त भारत कतई नहीं था बल्कि उनकी [more…]
भगत सिंह को 23 मार्च, 1931 को फांसी की सजा दी गई थी और अपनी शहादत के बाद वे हमारे देश के उन बेहतरीन स्वाधीनता [more…]
शहीदे आजम भगत सिंह को लेकर एक असमय और अनावश्यक बहस चल रही है। कहा जा रहा है, “भगतसिंह की शहादत कोई मायने नहीं रखती”, [more…]
एक ही विचार भूमि पर खड़े लोगों को एक-दूसरे के विरुद्ध खड़ा करने की नीति कुछ संगठनों की प्रिय नीति रही है। जैसे 2 अक्टूबर [more…]
भगतसिंह ने अपनी फांंसी से पहले लिखा था कि “संकट के समय देश को हमारी बहुत याद आएगी।” आज दुनिया भर में आर्थिक संकट बढ़ [more…]
भूमिहीनों के लिए भूमि के बंटवारे के लिए आजादी से पहले की अधूरी मांगों को पूरा करने के लिए आजादी के बाद तेभागा तेलंगाना का [more…]
हल्द्वानी। मोदी शासन में कई साल पहले दिल्ली में भाजपाइयों ने नारे लगाए थे कि, “जो भगत सिंह की चाल चलेगा, वह कुत्ते की मौत [more…]
लखनऊ। भगत सिंह के जयंती के अवसर पर आज दिनांक 28 सितंबर, 2024 को लखनऊ के यूपी प्रेस क्लब में गोष्ठी का आयोजन किया गया। [more…]
साथियों, तवारीख़ के पन्नों में 28 सितम्बर मार्च सिर्फ एक दिन के रूप में दर्ज नहीं है।यह वह तारीख़ थी जब हिन्दुस्तान की जवानी ने [more…]
23 मार्च 1931 को शाम में करीब 7 बजकर 33 मिनट पर भगत सिंह तथा उनके दो साथियों सुखदेव व राजगुरु को फांसी दे दी [more…]