भगत सिंह को शहीद, महान शहीद और शहीदे आजम का ताज पहना कर हमने भगत सिंह की मौलिकता, उनके चिंतन और दर्शन को मृत मान लिया है। क्योंकि शहीद में कोई नवीनता नहीं होती। वह एक आदर्श के लिए...
'फांसी पर ही तो चढ़ा दोगे और क्या? हम इससे नहीं डरते!'
उक्त बयान भारत मां के उस सपूत के हैं, जो मात्र 19 वर्ष 5 महीने और 22 दिन की अल्पायु में अपने अन्य छः साथियों क्रमशः सुरैण सिंह,...
आप यदि आदिवासी हैं और शहीद भगत सिंह की किताब रखते हैं, पढ़ते हैं तो आप नक्सली जरूर होंगे। यह मानसिकता हमारे देश के पुलिस बलों की है, चाहे कोई भी राज्य क्यों हो। नक्सलियों से संबंध रखने के...
सुप्रसिद्ध लेखक पत्रकार खुशवंत सिंह की पुस्तक 'दिल्ली' का हिंदी अनुवाद करते हुए ऊषा महाजन ने (दिल्ली की असलियत) में लिखा है, “ज्ञातव्य है कि खुशवंत सिंह के दादा सुजान सिंह और पिता सोभा सिंह नई दिल्ली को बनाने...
पाखण्ड का हमारे जीवन में कोई स्थान नहीं है। हमने अपने देश की परिस्थिति और इतिहास का गहरा अध्ययन किया है। यहां की जन आंकाक्षाओं को हम खूब समझते हैं।’ -भगतसिंह
भगतसिंह को अपने समय ने गढ़ा था। मुल्क में...
हम एक बेशुमार गढ़े जा रहे झूठ और गोएबेलिज़्म के दौर से गुजर रहे हैं। इस दौर में इतिहास की नयी नयी व्याख्या की जा रही है, या कहें, नयी नयी व्याख्यायें गढ़ी जा रही हैं। चाहे प्राचीन भारतीय...
आज से 90 साल पूर्व शहीद-ए-आजम स्वर्गीय भगत सिंह की कही बातें आज मोदीराज में बिल्कुल सत्य साबित हो रही हैं
'चाह नहीं मैं सुरबाला के
गहनों में गूंथा जाऊँ,
चाह नहीं, प्रेमी माला में
विंध प्यारी को ललचाऊँ,
चाह नहीं सम्राटों के शव...
भगत सिंह को भारत के सभी विचारों वाले लोग बहुत श्रद्धा और सम्मान से याद करते हैं। वे उन्हें देश पर कुर्बान होने वाले एक जज़बाती हीरो और उनके बलिदान को याद करके उनके आगे विनत होते हैं। वे...
25 सितंबर 2021 को सिलागाई स्थित वीर बुधु भगत के स्मारक स्थल पर एकलव्य आवासीय विद्यालय बनाए जाने के विरोध में झारखंड के विभिन्न जिलों के आदिवासी संगठनों द्वारा चक्का जाम किया गया। आदिवासी महासभा के संयोजक देव कुमार...
शहीद-ए-आजम भगत सिंह ने स्वतंत्रता से पूर्व कांग्रेस की पूंजीवादी व सामंतवादी नीतियों के खिलाफ जमकर लिखा था। एक लेख में उन्होंने लिखा था कि समाज के प्रमुख अंग होते हुए भी आज मजदूरों और किसानों को उनके प्राथमिक...