शमशेर सिंह बिष्ट के जीवन पर लिखी इस क़िताब का उद्देश्य लोकतांत्रिक समाज के निर्माण के लिए प्रयासरत लोगों को शमशेर की कहानी बताकर सही मार्ग दिखाना है।
लेखक ने इस क़िताब में शमशेर की बचपन से अंतिम दिनों तक...
अगर उनके निजी जीवन को देखें तो कहना गलत नहीं होगा कि शीला संधु सही अर्थों में चुनौती का दूसरा नाम थीं। हिंदी प्रकाशन व्यवसाय को राजकमल प्रकाशन के माध्यम से चरम पर पहुंचानेवाली शीला संधु (24 मई 1924...
इस अर्थ में कि वहां उसके सभी स्तंभ विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका और चौथा खंभा प्रेस भी उतना ही मुस्तैद है। पर पिछले चुनावों के दौरान वहां जो हुआ, वह एक अर्थ में पूरी लोकतांत्रिक व्यवस्था की सीमा का आईना...