Tuesday, April 23, 2024

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दबे पांव यूपी में बढ़ रहा है कांग्रेस का आधार

भाजपा की ओर से उत्तर प्रदेश में 2024 लोकसभा चुनावों की तैयारी शुरू हो चुकी है। 30 मई से पूरे प्रदेश में जिले, तहसील, कस्बे, गांव ही नहीं बूथ लेवल पर सभाएं और रैलियों का आयोजन किया जायेगा। और...

क्या भारतीय राजनीति में क्षेत्रीय दल अवसान काल की ओर बढ़ रहे हैं?

कर्नाटक चुनाव परिणाम आने के बाद से क्षेत्रीय दलों के सुर बदल रहे हैं। बात-बात में कांग्रेस को कोसने और राहुल गांधी को विपक्षी गठबंधन का नेता न मानने की बात करने वाले अपने स्टैंड चेंज कर रहे हैं।...

उत्तर प्रदेश नगर निगम चुनाव: क्यों सपा, बसपा और कांग्रेस का दामन छोड़ रहे हैं मुसलमान?

उत्तर प्रदेश में अब मुस्लिमों का भी एक तबका भाजपा के पक्ष में आ रहा है। यह खबर हैरान करने वाली लग सकती है, लेकिन यह एक कड़वी सच्चाई है। इस बारे में अभी तक कोई गहन सामाजिक विश्लेषण...

ग्राउंड रिपोर्ट: मुख्यमंत्री महामाया सचल अस्पताल योजना, सरकारों की उपेक्षा से चलते फिरते अस्पताल कबाड़ में तब्दील

उत्तरप्रदेश। साल 2007 में पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आई उत्तर प्रदेश की पूर्ववर्ती बसपा सरकार ने स्वास्थ्य सेवा को गांव-गांव, घर-घर पहुंचाने के उद्देश्य से उस दौरान एक कारगर कदम उठाया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री एवं बसपा सुप्रीमो...

आर्थिक-राजनीतिक सवालों को हल करने से होगा दलित समस्या का समाधान: डॉ. अंबेडकर

डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 ई. को महू छावनी, मध्य प्रदेश में हुआ था। मूल रूप से महाराष्ट्र के रहने वाले उनके पिता उस समय महू, मध्य प्रदेश में कार्यरत थे। उनके पिता का नाम...

बसपा के पुराने नारों से पीछा क्यों छुड़ा रही हैं मायावती?

कहा जाता है कि राजनीति संभावनाओं का खेल है, लेकिन परिवर्तनकामी राजनीति के लिए जो वैचारिक, सांस्कृतिक और सामाजिक जमीन तैयार की जाती है वह संभावनाओं का खेल नहीं होती बल्कि उसे एक स्पष्ट दूरगामी लक्ष्य और मजबूत रणनीति...

कांशीराम के राजनीतिक प्रयोग के मायने

पहचान व्यक्तित्व का एक ऐसा जरूरी हिस्सा है जो न सिर्फ हमारी लोकेशन को निर्धारित करता है बल्कि हमारे लिए ढेर सारे सकारात्मक और नकारात्मक अवसरों को भी उत्पन्न करता है। यह राष्ट्रीय, भाषाई, क्षेत्रीय,धार्मिक और जातीय किसी भी...

स्टालिन के मंच से लेकर पीएम को लिखी चिट्ठी तक कैसा है विपक्षी एकता का रंग?

कोई जवाब होता नहीं है। कोई जवाब होगा नहीं, कोई जवाब रहा ही नहीं है और ये ही जवाब है। अमेरिकी साहित्यकार गर्ट्रूड स्टेन (Gertrude Stein) के इस कथन को राजनीति के बरक्स समझने की कोशिश करेंगे तो पाएंगे...

  हिंदी पट्टी की बहुजन राजनीति को कैसे निगल रही है भाजपा

हिंदी पट्टी में राजनीतिक वर्चस्व भारत की केंद्रीय सत्ता पर राजनीतिक वर्चस्व का रास्ता खोलता है। हिंदी पट्टी की घनी जनसंख्या और भारत में जनसंख्या आधारित राजनीतिक प्रतिनिधित्व की व्यवस्था के चलते भारत के अन्य हिस्सों पर इसका राजनीतिक...

आने वाले समय में बढ़ जाएगी राष्ट्रीय स्तर की पार्टियों की तादाद 

भारत में इस समय आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय स्तर के मान्यता प्राप्त कुल सात राजनीतिक दल हैं, लेकिन आने वाले समय में इनकी संख्या में इजाफा हो सकता है। हाल ही में हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के...

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स्मृति शेष: सत्यजीत राय- वह जीनियस फ़िल्मकार जिसने पहली फिल्म से इतिहास रचा

सत्यजित राय देश के ऐसे फ़िल्मकार हैं, जिनकी पहली ही फ़िल्म से उन्हें एक दुनियावी शिनाख़्त और बेशुमार शोहरत...