Saturday, April 20, 2024

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‘ये बाबू संविधान बचाईं कि चिराग बाबू के जिताईं समझ में नाही आवत बा’

यह बात बिहार की करीब 60-65 वर्ष की पासी समाज की एक महिला ने कही। जब हम लोग संविधान बचाने और भाजपा को हराने के लिए लंबी-चौड़ी तरकरीर कर रहे थे। उस गोष्ठी-सभा में वह महिला भी मौजूद थीं।...

स्पेशल रिपोर्ट: बिहार में तेजस्वी यादव का नया सियासी प्रयोग भाजपा को डरा तो नहीं रहा?

पटना/सुपौल। राजद माय (मुस्लिम-यादव) कि नहीं बाप (बहुजन, अगड़ा, आधी आबादी और पुअर) की भी पार्टी है। तेजस्वी यादव के इस पूरे बयान को राजद ने लोकसभा 2024 की रणनीति का प्रारूप बना लिया है। भाजपा के मुख्य नेताओं...

बिहार निर्दलीयों को संसद भेजता रहा है, क्या पप्पू यादव इस बार भी संसद पहुंचेंगे?

बिहार के सीमांचल जिले पूर्णिया में राजनीतिक सरगर्मी इतनी बढ़ी हुई है कि अगर आप बीच में किसी को टोक देंगे तो कोई भी खेला हो सकता है। वहां जातीय समुदाय भी बंटे हुए हैं और धार्मिक ध्रुवीकरण भी...

जातीय मान-अपमान का इलीट विमर्श

इलीट शब्द का हिंदी अनुवाद अभिजात या सभ्रांत है। उर्दू में इसे अशराफिया कहते हैं। डिक्शनरी ब्रिटैनिका के मुताबिक इसका अर्थ ऐसे लोगों से होता है, जिनके पास किसी समाज में सबसे अधिक धन हो और जिनकी सबसे ऊंची हैसियत...

बिहार में जाति जनगणना के आंकड़े घोषित, ओबीसी और ईबीसी की आबादी 63 फीसदी और अकेले यादव 14.27 फीसदी

नई दिल्ली/पटना। बिहार की नीतीश सरकार ने बहुत सालों से प्रतीक्षारत जाति जनगणना के आंकड़ों को घोषित कर दिया है। आंकड़ों के मुताबिक सूबे की कुल जनसंख्या में ओबीसी और ईबीसी की संख्या 63 फीसदी है। डेवलपमेंट कमिश्नर विवेक सिंह की...

कास्ट सेंशस से मोदी जी आप डरते क्यों हैं: बिलासपुर में राहुल गांधी

नई दिल्ली। सोमवार को छत्तीसगढ़ में एक भाषण देते हुए कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि “कांग्रेस जनता की सरकार चलाती है लेकिन भाजपा अडानी के लिए सरकार चलाती है।” अपने भाषण में राहुल गांधी ने भाजपा और...

भागवत की नई भागवत: मुंह में जाति शोषितों का सम्मान बगल में मनु

आरएसएस सरसंघचालक मोहन भागवत ने अपने ताजा बयान से एक नयी भागवत कथा की शुरुआत कर दी है। हाल ही में एक आयोजन में उन्होंने कहा कि "हमने साथी मनुष्यों को सामाजिक व्यवस्था के तहत पीछे रखा। उनकी जिंदगी जानवरों...

जाति ही पूछो साधु की, ज्ञान से क्या काम?

किसी ने सही कहा है कि इंसान जन्म के साथ कुछ लेकर नहीं आता। कपड़े तक नहीं। लेकिन पैदा होते ही उसे जाति, धर्म, देश, लिंग, नस्ल सब कुछ बिन मांगे हासिल हो जाते हैं और ज़िंदगी भर उसे...

पतन के अपने चरम पर पहुंच गयी है हिंदी पट्टी

एक स्वस्थ समाज या देश के लिए चार तत्व ज़रूरी हैं: “ बुद्धिमत्ता, साहस, अनुशासन और न्याय”। (प्लेटो:रिपब्लिक ) आज भारतीय समाज, विशेषतः उत्तर भारतीय बहुसंख्यक समाज, चरम विरोधाभास, विद्रूपता, मध्ययुगीनता, पाखण्ड जैसी प्रवृत्तियों की गहरी गिरफ़्त में है; एक तरफ हाई-टेक...

मनोज झा-ग़ज़ाला जमील का लेख: सामाजिक न्याय ‘पहचान की राजनीति’ नहीं, धड़कते दिलों की उम्मीद है

भारत में जाति को लेकर मुख्य समझ एक सांस्कृतिक परिघटना के रूप में जाति के विचार पर केंद्रित रही है। जाति और व्यापक सामाजिक न्याय की मांग करने वाली राजनीति का मजाक उड़ाते हुए 'पहचान की राजनीति' बताया जाता...

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अपरेंटिसशिप गारंटी योजना भारतीय युवाओं के लिए वाकई गेम-चेंजर साबित होने जा रही है

भारत में पिछले चार दशकों से उठाए जा रहे मुद्दों में बेरोजगारी 2024 में प्रमुख समस्या के रूप में सबकी नजरों में है। विपक्षी दल कांग्रेस युवाओं के रोजगार पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, वहीं भाजपा के संकल्प पत्र में ठोस नीतिगत घोषणाएँ नहीं हैं। कांग्रेस हर शिक्षित बेरोजगार युवा को एक वर्ष की अपरेंटिसशिप और 1 लाख रूपये प्रदान करने का प्रस्ताव रख रही है।