नरेश सक्सेना की कविता ‘चंबल एक नदी का नाम’ ब्राह्मण मिथकों को दिलाती है प्रमाणिकता
“प्रगतिशील कविता मिथक के साथ न तो बह सकती है ना ही उसमें डूब सकती है, उसे मिथक पर तैरने की छूट ज़रूर है और अगर [more…]
“प्रगतिशील कविता मिथक के साथ न तो बह सकती है ना ही उसमें डूब सकती है, उसे मिथक पर तैरने की छूट ज़रूर है और अगर [more…]