Estimated read time 3 min read
संस्कृति-समाज

जन्मदिवस पर विशेष: इंक़लाब, तब्दीली और उम्मीद के शायर मजाज़

दीगर शायरों की तरह मजाज़ की शायराना ज़िंदगी की इब्तिदा, ग़ज़लगोई से हुई। शुरुआत भी लाजवाब हुई, तस्कीन-ए-दिल-ए-महज़ूं न हुई वो सई-ए-करम फ़रमा भी गए [more…]